"सूर्य तीर्थ मथुरा": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==अन्य लिंक==" to "==सम्बंधित लिंक==") |
शिल्पी गोयल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=सूर्य|लेख का नाम=सूर्य (बहुविकल्पी)}} | |||
<blockquote>तत: परं सूर्यतीर्थं सर्वपापविमोचनम् ।<br /> | <blockquote>तत: परं सूर्यतीर्थं सर्वपापविमोचनम् ।<br /> | ||
विरोचनेन बलिना सूर्य्यस्त्वाराधित: पुरा ।।<br /> | विरोचनेन बलिना सूर्य्यस्त्वाराधित: पुरा ।।<br /> | ||
पंक्ति 8: | पंक्ति 9: | ||
==टीका-टिपण्णी== | ==टीका-टिपण्णी== | ||
<references/> | <references/> | ||
== | ==संबंधित लेख== | ||
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}} | {{ब्रज के दर्शनीय स्थल}} | ||
10:52, 8 मई 2011 के समय का अवतरण
सूर्य | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- सूर्य (बहुविकल्पी) |
तत: परं सूर्यतीर्थं सर्वपापविमोचनम् ।
विरोचनेन बलिना सूर्य्यस्त्वाराधित: पुरा ।।
आदित्येऽहनि संक्रान्तौ ग्रहणे चन्द्रसूर्य्ययो: ।
तस्मिन् स्नातो नरो देवि ! राजसूयफलं लभेत् ।। [1]
विरोचन के पुत्र महाराज बलि ने यहाँ सूर्यदेव की आराधना कर मनोवाच्छित फल की प्राप्ति की थी क्योंकि सूर्यदेव अपनी द्वादश कलाओं के साथ यहाँ अपने आराध्यदेव श्री कृष्ण की आराधना में तत्पर रहते हैं । यहाँ रविवार, संक्रान्ति, सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के योग में स्नान करने से राजसूर्य यज्ञ का फल प्राप्त होता है । तथा मुक्ति होने पर भगवद् धाम की प्राप्ति होती है । पास ही में बलि महाराज का टीला है । जहाँ श्रीमन्दिर में बलि महाराज और उनके आराध्य श्रीवामनदेव का दर्शन है ।
टीका-टिपण्णी
- ↑ आदिवराह पुराण