"टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान''' भारत सरकार के '[[परमा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ")
 
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय
|चित्र=Tata-Institute-of-Fundamental-Research-Logo.jpg
|चित्र का नाम='टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान' का प्रतीक चिह्न
|विवरण='टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान' '[[परमाणु ऊर्जा विभाग]]' के अंतर्गत आने वाला नाभिकीय विज्ञान और गणित का राष्ट्रीय केंद्र है। संस्थान का मुख्य परिसर [[मुम्बई]] में है तथा [[पुणे]], [[बेंगलुरु]] और [[हैदराबाद]] में भी अतिरिक्त परिसर हैं।
|शीर्षक 1=राज्य
|पाठ 1=[[महाराष्ट्र]]
|शीर्षक 2=ज़िला
|पाठ 2=[[मुम्बई]]
|शीर्षक 3=कार्य
|पाठ 3=संस्थान में भौतिकी, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान, गणित, कंप्यूटर विज्ञान व विज्ञान शिक्षा के क्षेत्रों में मूल अनुसंधान कार्य किए जाते हैं।
|शीर्षक 4=स्थापना
|पाठ 4=[[होमी जहाँगीर भाभा]] द्वारा [[1 जून]], [[1945]] में।
|शीर्षक 5=
|पाठ 5=
|शीर्षक 6=
|पाठ 6=
|शीर्षक 7=
|पाठ 7=
|शीर्षक 8=
|पाठ 8=
|शीर्षक 9=
|पाठ 9=
|शीर्षक 10=विशेष
|पाठ 10=[[मुंबई]] में संस्थान को पेडर मार्ग पर स्थित केनिलवर्थ बंगले पर स्थानांतरित किया गया था। इसका उद्घाटन मुंबई के तत्कालीन [[राज्यपाल]] सर जॉन कोल्विले ने [[19 दिसंबर]], [[1945]] को किया।
|संबंधित लेख=[[परमाणु ऊर्जा विभाग]], [[होमी जहाँगीर भाभा]], [[पंडित जवाहर लाल नेहरू]]
|अन्य जानकारी='टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान' [[परमाणु ऊर्जा विभाग]] के अंतर्गत आता है एवं इस विभाग से ही सभी अनुदान प्राप्त होते हैं।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
'''टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान''' भारत सरकार के '[[परमाणु ऊर्जा विभाग]]' के अंतर्गत आने वाला नाभिकीय विज्ञान और गणित का राष्ट्रीय केंद्र है। यह एक समविश्वविद्यालय भी है, जो कि संस्थान में चलने वाले स्नातकोत्तर और पी.एच.डी. कार्यक्रमों के लिए डिग्रियां भी प्रदान करता है। संस्थान में भौतिकी, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान, गणित, कंप्यूटर विज्ञान व विज्ञान शिक्षा के क्षेत्रों में मूल अनुसंधान कार्य किए जाते हैं। संस्थान का मुख्य परिसर [[मुम्बई]] में है तथा [[पुणे]], [[बेंगलुरु]] और [[हैदराबाद]] में भी अतिरिक्त परिसर हैं।
'''टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान''' भारत सरकार के '[[परमाणु ऊर्जा विभाग]]' के अंतर्गत आने वाला नाभिकीय विज्ञान और गणित का राष्ट्रीय केंद्र है। यह एक समविश्वविद्यालय भी है, जो कि संस्थान में चलने वाले स्नातकोत्तर और पी.एच.डी. कार्यक्रमों के लिए डिग्रियां भी प्रदान करता है। संस्थान में भौतिकी, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान, गणित, कंप्यूटर विज्ञान व विज्ञान शिक्षा के क्षेत्रों में मूल अनुसंधान कार्य किए जाते हैं। संस्थान का मुख्य परिसर [[मुम्बई]] में है तथा [[पुणे]], [[बेंगलुरु]] और [[हैदराबाद]] में भी अतिरिक्त परिसर हैं।
==स्थापना==
==स्थापना==
'टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान' की स्थापना [[भारत]] के ख्याति प्राप्त परमाणु वैज्ञानिक [[होमी जहाँगीर भाभा]] ने की थी। संस्थान की स्थापना [[1 जून]], [[1945]] को सर दोराबजी टाटा न्यास की सहायता से की गई। इस संस्थान ने सर्वप्रथम भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू के कैंपस में ब्रह्मांड किरण अनुसंधान इकाई में कार्य करना प्रारंभ किया था। तत्पश्चात उसी [[वर्ष]] संस्थान को [[अक्टूबर]] के माह में [[मुंबई]] में स्थानांतरित कर दिया गया।<ref name="aa">{{cite web |url=http://www.tifr.res.in/hindi/index.php/2012-07-10-04-55-51/2012-07-10-04-55-59/2012-07-10-04-55-58 |title=टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान |accessmonthday= 06 नवम्बर|accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}</ref>
'टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान' की स्थापना [[भारत]] के ख्याति प्राप्त परमाणु वैज्ञानिक [[होमी जहाँगीर भाभा]] ने की थी। संस्थान की स्थापना [[1 जून]], [[1945]] को सर दोराबजी टाटा न्यास की सहायता से की गई। इस संस्थान ने सर्वप्रथम भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू के कैंपस में ब्रह्मांड किरण अनुसंधान इकाई में कार्य करना प्रारंभ किया था। तत्पश्चात् उसी [[वर्ष]] संस्थान को [[अक्टूबर]] के माह में [[मुंबई]] में स्थानांतरित कर दिया गया।<ref name="aa">{{cite web |url=http://www.tifr.res.in/hindi/index.php/2012-07-10-04-55-51/2012-07-10-04-55-59/2012-07-10-04-55-58 |title=टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान |accessmonthday= 06 नवम्बर|accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}</ref>
====केनिलवर्थ से कोलाबा तक====
====केनिलवर्थ से कोलाबा तक====
मुंबई में संस्थान को पेडर मार्ग पर स्थित केनिलवर्थ बंगले पर स्थानांतरित किया गया था। इसका उद्घाटन मुंबई के तत्कालीन [[राज्यपाल]] सर जॉन कोल्विले ने [[19 दिसंबर]], [[1945]] को किया। [[वर्ष]] [[1949]] में संस्थान के विकास के साथ इसे [[गेटवे ऑफ़ इंडिया]] के निकट ओल्ड यॉट क्लब बिल्डिंग<ref>रॉयल बाम्बे यॉट क्लब का पूर्व केंद्र</ref> में दूसरा केंद्र प्राप्त हुआ। ब्रह्मांड किरण समूह ऐसा पहला समूह था, जिसने संस्थान में कार्य करना प्रारंभ किया। नाभिकीय इमल्शन व इलेक्ट्रॉन चुंबकत्व समूह ने [[1953]] में कार्य करना प्रारंभ किया। संगणक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में कार्य, [[1954]] से प्रारंभ हुआ एवं प्रारंभिक मशीन ने [[1956]] में कार्य करना शुरू किया। पूर्ण रूप से सुसज्जित मशीन जिसका बाद में नामकरण 'टीआईएफ़आरएसी' किया गया, ने [[फ़रवरी]], [[1960]] में कार्य करना प्रारंभ किया। [[कोलाबा]] में मुख्य इमारत की आधार शिला [[पंडित जवाहर लाल नेहरू]] ने [[1954]] में रखी। संस्थान का वर्तमान मुख्य परिसर इसी इमारत में है। समुद्र तट पर उद्यानों, लॉन्स व [[समुद्र]] किनारे के प्रोमेनेड की डिजायन, शिकागो के वास्तुशास्त्री हेल्मुथ बार्टस् ने तैयार की थी। इस इमारत का उद्घाटन [[प्रधानमंत्री]] जवाहर लाल नेहरु ने [[15 जनवरी]], [[1962]] को किया।
मुंबई में संस्थान को पेडर मार्ग पर स्थित केनिलवर्थ बंगले पर स्थानांतरित किया गया था। इसका उद्घाटन मुंबई के तत्कालीन [[राज्यपाल]] सर जॉन कोल्विले ने [[19 दिसंबर]], [[1945]] को किया। [[वर्ष]] [[1949]] में संस्थान के विकास के साथ इसे [[गेटवे ऑफ़ इंडिया]] के निकट ओल्ड यॉट क्लब बिल्डिंग<ref>रॉयल बाम्बे यॉट क्लब का पूर्व केंद्र</ref> में दूसरा केंद्र प्राप्त हुआ। ब्रह्मांड किरण समूह ऐसा पहला समूह था, जिसने संस्थान में कार्य करना प्रारंभ किया। नाभिकीय इमल्शन व इलेक्ट्रॉन चुंबकत्व समूह ने [[1953]] में कार्य करना प्रारंभ किया। संगणक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में कार्य, [[1954]] से प्रारंभ हुआ एवं प्रारंभिक मशीन ने [[1956]] में कार्य करना शुरू किया। पूर्ण रूप से सुसज्जित मशीन जिसका बाद में नामकरण 'टीआईएफ़आरएसी' किया गया, ने [[फ़रवरी]], [[1960]] में कार्य करना प्रारंभ किया। [[कोलाबा]] में मुख्य इमारत की आधार शिला [[पंडित जवाहर लाल नेहरू]] ने [[1954]] में रखी। संस्थान का वर्तमान मुख्य परिसर इसी इमारत में है। समुद्र तट पर उद्यानों, लॉन्स व [[समुद्र]] किनारे के प्रोमेनेड की डिजायन, शिकागो के वास्तुशास्त्री हेल्मुथ बार्टस् ने तैयार की थी। इस इमारत का उद्घाटन [[प्रधानमंत्री]] जवाहर लाल नेहरु ने [[15 जनवरी]], [[1962]] को किया।
पंक्ति 14: पंक्ति 44:
संस्थान को वर्ष [[2003]] में मानद विश्वविद्यालय की मान्यता प्रदान की गई थी।
संस्थान को वर्ष [[2003]] में मानद विश्वविद्यालय की मान्यता प्रदान की गई थी।
==निदेशक==
==निदेशक==
[[वर्ष]] [[1966]] में संस्थान के स्थापक निदेशक [[होमी जहाँगीर भाभा]] की मृत्यु हवाई दुर्घटना में हो गई। उनके पश्चात प्रोफेसर एम.जी.के. मेनन को संस्थान का निदेशक नियुक्त किया गया। प्रोफेसर मेनन के पश्चात प्रोफेसर बी.वी. श्रीकांतन ने वर्ष [[1975]] में निदेशक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह वर्ष [[1987]] में संस्थान के निदेशक बने। प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह के पश्चात वर्ष [[1997]] में प्रोफेसर एस.एस. झा को निदेशक के रुप में नियुक्त किया गया। प्रोफेसर झा के पश्चात प्रोफेसर एस. भट्टाचार्य [[2002]] में निदेशक बने।<ref name="aa"/>
[[वर्ष]] [[1966]] में संस्थान के स्थापक निदेशक [[होमी जहाँगीर भाभा]] की मृत्यु हवाई दुर्घटना में हो गई। उनके पश्चात् प्रोफेसर एम.जी.के. मेनन को संस्थान का निदेशक नियुक्त किया गया। प्रोफेसर मेनन के पश्चात् प्रोफेसर बी.वी. श्रीकांतन ने वर्ष [[1975]] में निदेशक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह वर्ष [[1987]] में संस्थान के निदेशक बने। प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह के पश्चात् वर्ष [[1997]] में प्रोफेसर एस.एस. झा को निदेशक के रुप में नियुक्त किया गया। प्रोफेसर झा के पश्चात् प्रोफेसर एस. भट्टाचार्य [[2002]] में निदेशक बने।<ref name="aa"/>


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

07:45, 23 जून 2017 के समय का अवतरण

टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान
'टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान' का प्रतीक चिह्न
'टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान' का प्रतीक चिह्न
विवरण 'टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान' 'परमाणु ऊर्जा विभाग' के अंतर्गत आने वाला नाभिकीय विज्ञान और गणित का राष्ट्रीय केंद्र है। संस्थान का मुख्य परिसर मुम्बई में है तथा पुणे, बेंगलुरु और हैदराबाद में भी अतिरिक्त परिसर हैं।
राज्य महाराष्ट्र
ज़िला मुम्बई
कार्य संस्थान में भौतिकी, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान, गणित, कंप्यूटर विज्ञान व विज्ञान शिक्षा के क्षेत्रों में मूल अनुसंधान कार्य किए जाते हैं।
स्थापना होमी जहाँगीर भाभा द्वारा 1 जून, 1945 में।
विशेष मुंबई में संस्थान को पेडर मार्ग पर स्थित केनिलवर्थ बंगले पर स्थानांतरित किया गया था। इसका उद्घाटन मुंबई के तत्कालीन राज्यपाल सर जॉन कोल्विले ने 19 दिसंबर, 1945 को किया।
संबंधित लेख परमाणु ऊर्जा विभाग, होमी जहाँगीर भाभा, पंडित जवाहर लाल नेहरू
अन्य जानकारी 'टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान' परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत आता है एवं इस विभाग से ही सभी अनुदान प्राप्त होते हैं।

टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान भारत सरकार के 'परमाणु ऊर्जा विभाग' के अंतर्गत आने वाला नाभिकीय विज्ञान और गणित का राष्ट्रीय केंद्र है। यह एक समविश्वविद्यालय भी है, जो कि संस्थान में चलने वाले स्नातकोत्तर और पी.एच.डी. कार्यक्रमों के लिए डिग्रियां भी प्रदान करता है। संस्थान में भौतिकी, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान, गणित, कंप्यूटर विज्ञान व विज्ञान शिक्षा के क्षेत्रों में मूल अनुसंधान कार्य किए जाते हैं। संस्थान का मुख्य परिसर मुम्बई में है तथा पुणे, बेंगलुरु और हैदराबाद में भी अतिरिक्त परिसर हैं।

स्थापना

'टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान' की स्थापना भारत के ख्याति प्राप्त परमाणु वैज्ञानिक होमी जहाँगीर भाभा ने की थी। संस्थान की स्थापना 1 जून, 1945 को सर दोराबजी टाटा न्यास की सहायता से की गई। इस संस्थान ने सर्वप्रथम भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू के कैंपस में ब्रह्मांड किरण अनुसंधान इकाई में कार्य करना प्रारंभ किया था। तत्पश्चात् उसी वर्ष संस्थान को अक्टूबर के माह में मुंबई में स्थानांतरित कर दिया गया।[1]

केनिलवर्थ से कोलाबा तक

मुंबई में संस्थान को पेडर मार्ग पर स्थित केनिलवर्थ बंगले पर स्थानांतरित किया गया था। इसका उद्घाटन मुंबई के तत्कालीन राज्यपाल सर जॉन कोल्विले ने 19 दिसंबर, 1945 को किया। वर्ष 1949 में संस्थान के विकास के साथ इसे गेटवे ऑफ़ इंडिया के निकट ओल्ड यॉट क्लब बिल्डिंग[2] में दूसरा केंद्र प्राप्त हुआ। ब्रह्मांड किरण समूह ऐसा पहला समूह था, जिसने संस्थान में कार्य करना प्रारंभ किया। नाभिकीय इमल्शन व इलेक्ट्रॉन चुंबकत्व समूह ने 1953 में कार्य करना प्रारंभ किया। संगणक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में कार्य, 1954 से प्रारंभ हुआ एवं प्रारंभिक मशीन ने 1956 में कार्य करना शुरू किया। पूर्ण रूप से सुसज्जित मशीन जिसका बाद में नामकरण 'टीआईएफ़आरएसी' किया गया, ने फ़रवरी, 1960 में कार्य करना प्रारंभ किया। कोलाबा में मुख्य इमारत की आधार शिला पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1954 में रखी। संस्थान का वर्तमान मुख्य परिसर इसी इमारत में है। समुद्र तट पर उद्यानों, लॉन्स व समुद्र किनारे के प्रोमेनेड की डिजायन, शिकागो के वास्तुशास्त्री हेल्मुथ बार्टस् ने तैयार की थी। इस इमारत का उद्घाटन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने 15 जनवरी, 1962 को किया।

त्रिपक्षीय समझौता

'त्रिपक्षीय समझौता' वर्ष 1955-1956 में भारत सरकार, मुंबई सरकार व सर दोराबजी टाटा न्यास के मध्य हुआ और संस्थान में लागू हुआ। इस समझौते के अनुसार भारत सरकार से बड़ी वित्तीय सहायता व इसके अनुरुप प्रबंध परिषद में सरकार के लिए बड़ा व अधिक स्थाई प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हुआ। वर्तमान में 99 प्रतिशत से अधिक संस्थान के व्यय का वहन भारत सरकार द्वारा किया जाता है। संस्थान परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत आता है एवं इस विभाग से ही सभी अनुदान प्राप्त होते हैं।[1]

विस्तार

1960 के दशक में संस्थान ने अपने कार्य क्षेत्र का विस्तार कर आण्विक जैव विज्ञान समूह व रेडियो खगोल विज्ञान समूह प्रारंभ किया। अल्प तापमान सुविधा केंद्र व अर्द्ध चालक समूह ने भी इसी समय अपना कार्य प्रारंभ किया। वर्ष 1964 में मूल दंत अनुसंधान समूह ने कार्य करना प्रारंभ किया, जो बाद में बंद हो गया। 1970 के दशक में संस्थान ने अपने कार्य क्षेत्र में सैद्धांतिक खगोल भौतिकी व होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केंद्र को शामिल किया। अगले दो दशकों में संस्थान ने अपने कार्य क्षेत्र को और अधिक विस्तृत रूप देकर नए राष्ट्रीय केंद्रों की स्थापना की। इन केंद्रों में पुणे में 'राष्ट्रीय रेडियो खगोल भौतिकी केंद्र', बेंगलुरु में 'अनुप्रयोज्य गणित केंद्र', बेंगलुरु में 'राष्ट्रीय जैविक विज्ञान केंद्र' हैं। नए राष्ट्रीय केंद्रों की स्थापना में नवीनतम 'अंतर्राष्ट्रीय सैद्धांतिक विज्ञान केंद्र' है, जिसकी स्थापना वर्ष 2007 में हुई थी। संस्थान का कार्य तीन स्कूलों के अंतर्गत किया जाता है-

  1. गणित स्कूल
  2. प्राकृतिक विज्ञान स्कूल
  3. प्रौद्योगिकी एवं कंप्यूटर साइंस स्कूल

संस्थान को वर्ष 2003 में मानद विश्वविद्यालय की मान्यता प्रदान की गई थी।

निदेशक

वर्ष 1966 में संस्थान के स्थापक निदेशक होमी जहाँगीर भाभा की मृत्यु हवाई दुर्घटना में हो गई। उनके पश्चात् प्रोफेसर एम.जी.के. मेनन को संस्थान का निदेशक नियुक्त किया गया। प्रोफेसर मेनन के पश्चात् प्रोफेसर बी.वी. श्रीकांतन ने वर्ष 1975 में निदेशक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह वर्ष 1987 में संस्थान के निदेशक बने। प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह के पश्चात् वर्ष 1997 में प्रोफेसर एस.एस. झा को निदेशक के रुप में नियुक्त किया गया। प्रोफेसर झा के पश्चात् प्रोफेसर एस. भट्टाचार्य 2002 में निदेशक बने।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 06 नवम्बर, 2013।
  2. रॉयल बाम्बे यॉट क्लब का पूर्व केंद्र

संबंधित लेख