"नदी घाटी परियोजना": अवतरणों में अंतर

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नदियों की घाटियों पर बड़े-बड़े बाँध बनाकर ऊर्जा, सिंचाई, पर्यटन स्थलों की सुविधाएं प्राप्त की जाती हैं। इसीलिए इन्हें बहुद्देशीय नदी घाटी परियोजना कहते हैं। नदी घाटी योजना का प्राथमिक उद्देश्य होता है किसी नदी घाटी के अंतर्गत [[जल]] और थल का मानवहितार्थ पूर्ण उपयोग।  
नदियों की घाटियों पर बड़े-बड़े बाँध बनाकर ऊर्जा, सिंचाई, पर्यटन स्थलों की सुविधाएं प्राप्त की जाती हैं। इसीलिए इन्हें बहुद्देशीय नदी घाटी परियोजना कहते हैं। नदी घाटी योजना का प्राथमिक उद्देश्य होता है किसी नदी घाटी के अंतर्गत [[जल]] और थल का मानवहितार्थ पूर्ण उपयोग।  
==इतिहास==
==इतिहास==
नदीघाटी योजनाओं के बारे में सोचते समय सबसे पहले [[संयुक्त राज्य अमरीका]] की टैनेसी घाटी योजना का ध्यान आता है। आयोजित रूप में नदी घाटी की एक इकाई मानकर यह संसार में पहली बड़ी योजना थी। वास्तव में कोई भी नदी, अपने उद्गम से लेकर जहाँ वह [[समुद्र]] या किसी दूसरी नदी में मिलती है वहाँ तक एक प्राकृतिक इकाई होती है। बहुधा बड़ी नदियों के संदर्भ में यह प्राकृतिक इकाई विभिन्न राजनीतिक इकाइयों में बँट जाती है और इकाई रूप से नदीघाटी योजना बनाना एक जटिल प्रश्न बन जाता है। टेनेसी घाटी की योजना का सूत्रपात 1933 ई. में 'टेनेसी घाटी ऑथॉरिटी ऐक्ट' द्वारा हुआ। इसको संक्षिप्त रूप से टी. वी. ए. (T. V. A.) भी कहते हैं। टी.वी.ए. का मुख्य ध्येय टेनेसी घाटी में सारे जल और थल का नियंत्रित रूप से उपयोग संभव करना और उन्हें समाज के लिए लाभप्रद बनाना था। टी.वी.ए. के कुछ कुछ अनुकूल भारतीय [[संसद]] ने भी दामोदर घाटी कारपोरेशन के बारे में विधान पास किया और डी. वी. सी. (D. V. C.) के अंतर्गत [[दामोदर नदी]] के जल थल के लिए योजना बनी, जो [[बिहार]] और [[पश्चिम बंगाल|पश्चिमी बंगाल]] के प्रदेश को विशेषकर लाभान्वित करती है। [[दामोदर घाटी परियोजना|दामोदर घाटी योजना]] के अंतर्गत माइथान, पंचेटहिल, तिलैया आदि बाँधों का निर्माण बिहार प्रदेश के क्षेत्र में हो चुका है और बड़ी मात्रा में पनबिजली का उत्पादन इन स्थलों पर होता है। दुर्गापुर में दामोदर नदी पर एक बैराज का निर्माण भी हुआ है, जिसमें दामोदर नदी से नहर निकाली गई है। साथ ही नहर द्वारा जलमार्गीय यातायात की व्यवस्था भी की गई है।
[[संयुक्त राज्य अमरीका|संयुक्त राज्य अमेरिका]] के टेनेसी घाटी परियोजना की तर्ज़ पर यहाँ दामोदर घाटी परियोजना की संरचना प्रथम प्रधानमंत्री [[जवाहरलाल नेहरू]] के कार्यकाल में की गई। इससे बाढ़ों का आना रुका तथा नई-नई सिंचाई परियोजनाएँ तथा पनबिजली उत्पादन केन्द्र स्थापित हुए। वास्तव में कोई भी नदी, अपने उद्गम से लेकर जहाँ वह [[समुद्र]] या किसी दूसरी नदी में मिलती है वहाँ तक एक प्राकृतिक इकाई होती है। बहुधा बड़ी नदियों के संदर्भ में यह प्राकृतिक इकाई विभिन्न राजनीतिक इकाइयों में बँट जाती है और इकाई रूप से नदीघाटी योजना बनाना एक जटिल प्रश्न बन जाता है। टेनेसी घाटी की योजना का सूत्रपात 1933 ई. में 'टेनेसी घाटी ऑथॉरिटी ऐक्ट' द्वारा हुआ। इसको संक्षिप्त रूप से टी. वी. ए. (T. V. A.) भी कहते हैं। टी.वी.ए. का मुख्य ध्येय टेनेसी घाटी में सारे जल और थल का नियंत्रित रूप से उपयोग संभव करना और उन्हें समाज के लिए लाभप्रद बनाना था। टी.वी.ए. के अनुकूल भारतीय [[संसद]] ने भी दामोदर घाटी कारपोरेशन के बारे में विधान पास किया और डी. वी. सी. (D. V. C.) के अंतर्गत [[दामोदर नदी]] के जल थल के लिए योजना बनी, जो [[बिहार]] और [[पश्चिम बंगाल|पश्चिमी बंगाल]] के प्रदेश को विशेषकर लाभान्वित करती है। [[दामोदर घाटी परियोजना|दामोदर घाटी योजना]] के अंतर्गत माइथान, पंचेटहिल, तिलैया आदि बाँधों का निर्माण बिहार प्रदेश के क्षेत्र में हो चुका है और बड़ी मात्रा में पनबिजली का उत्पादन इन स्थलों पर होता है। [[दुर्गापुर]] में दामोदर नदी पर एक बैराज का निर्माण भी हुआ है, जिसमें दामोदर नदी से नहर निकाली गई है। साथ ही नहर द्वारा जलमार्गीय यातायात की व्यवस्था भी की गई है।
 
==भारत में नदी घाटी परियोजनाएँ==
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* [[भाखड़ा नांगल परियोजना]]
* [[व्यास परियोजना]]
* [[इंदिरा गाँधी नहर]]
* [[दामोदर घाटी परियोजना]]
* [[हीराकुंड परियोजना]]
* [[चम्बल परियोजना]]
* [[तुंगभद्रा परियोजना]]
* [[मयूराक्षी परियोजना]]
* [[नागार्जुन सागर परियोजना]]
* [[कोसी परियोजना]]
* [[गण्डक परियोजना]]
* [[फरक्का परियोजना]]
* [[काकरापारा परियोजना]]
* [[तवा परियोजना]]
* [[नागपुर शक्ति गृह परियोजना]]
* [[सरदार सरोवर परियोजना]]
* [[धौली गंगा परियोजना]]
* [[नाथपा झाकड़ी जलविद्युत परियोजना]]
* [[संजय विद्युत परियोजना]]
* [[शरावती जलविद्युत परियोजना]]
* [[सुवर्ण रेखा बहुउद्देशीय परियोजना]]
|
* [[पूचमपाद परियोजना]]
* [[मालप्रभा परियोजना]]
* [[माही परियोजना]]
* [[महानदी डेल्टा परियोजना]]
* [[रिहन्द परियोजना]]
* [[कुण्डा परियोजना]]
* [[दुर्गापुर परोयोजना]]
* [[इडुक्की परियोजना]]
* [[टिहरी बाँध परियोजना]]
* [[माताटीला परियोजना]]
* [[कोयना परियोजना]]
* [[रामगंगा बहूद्देशीय परियोजना]]
* [[ऊपरी क्रष्णा परियोजना]]
* [[घाटप्रभा परियोजना]]
* [[इंदिरा सागर परियोजना]]
* [[कामेरा जलविद्युत परियोजना]]
* [[कलपोंग जलविद्युत परियोजना]]
* [[पार्वती घाटी परियोजना]]
* [[रोंग-तोंग परियोजना]]
* [[श्रीशीलम परियोजना]]
|
* [[भीमा परियोजना]]
* [[जायकवाड़ी परियोजना]]
* [[थीन बाँध परियोजना]]
* [[हिडकल परियोजना]]
* [[सलाल परियोजना]]
* [[नाथपा-झाकरी परियोजना]]
* [[थानम परियोजना]]
* [[कोलडैम परियोजना]]
* [[कांगसावती परियोजना]]
* [[पराम्बिकुलम-अलियार परियोजना]]
* [[नर्मदा घाटी परियोजना]]
* [[जाखम परियोजना]]
* [[टिहरी पन बिजली परियोजना]]
* [[उकाई परियोजना]]
* [[ओंकारेश्वर परियोजना]]
* [[डुलहस्ती जलविद्युत परियोजना]]
* [[कोयल-कारो परियोजना]]
* [[पारापलर सिंचाई परियोजना]]
* [[सियालकोट जलविद्युत परियोजना]]
* [[शरावती जलविद्युत परियोजना]]
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12:52, 26 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

नदियों की घाटियों पर बड़े-बड़े बाँध बनाकर ऊर्जा, सिंचाई, पर्यटन स्थलों की सुविधाएं प्राप्त की जाती हैं। इसीलिए इन्हें बहुद्देशीय नदी घाटी परियोजना कहते हैं। नदी घाटी योजना का प्राथमिक उद्देश्य होता है किसी नदी घाटी के अंतर्गत जल और थल का मानवहितार्थ पूर्ण उपयोग।

इतिहास

संयुक्त राज्य अमेरिका के टेनेसी घाटी परियोजना की तर्ज़ पर यहाँ दामोदर घाटी परियोजना की संरचना प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में की गई। इससे बाढ़ों का आना रुका तथा नई-नई सिंचाई परियोजनाएँ तथा पनबिजली उत्पादन केन्द्र स्थापित हुए। वास्तव में कोई भी नदी, अपने उद्गम से लेकर जहाँ वह समुद्र या किसी दूसरी नदी में मिलती है वहाँ तक एक प्राकृतिक इकाई होती है। बहुधा बड़ी नदियों के संदर्भ में यह प्राकृतिक इकाई विभिन्न राजनीतिक इकाइयों में बँट जाती है और इकाई रूप से नदीघाटी योजना बनाना एक जटिल प्रश्न बन जाता है। टेनेसी घाटी की योजना का सूत्रपात 1933 ई. में 'टेनेसी घाटी ऑथॉरिटी ऐक्ट' द्वारा हुआ। इसको संक्षिप्त रूप से टी. वी. ए. (T. V. A.) भी कहते हैं। टी.वी.ए. का मुख्य ध्येय टेनेसी घाटी में सारे जल और थल का नियंत्रित रूप से उपयोग संभव करना और उन्हें समाज के लिए लाभप्रद बनाना था। टी.वी.ए. के अनुकूल भारतीय संसद ने भी दामोदर घाटी कारपोरेशन के बारे में विधान पास किया और डी. वी. सी. (D. V. C.) के अंतर्गत दामोदर नदी के जल थल के लिए योजना बनी, जो बिहार और पश्चिमी बंगाल के प्रदेश को विशेषकर लाभान्वित करती है। दामोदर घाटी योजना के अंतर्गत माइथान, पंचेटहिल, तिलैया आदि बाँधों का निर्माण बिहार प्रदेश के क्षेत्र में हो चुका है और बड़ी मात्रा में पनबिजली का उत्पादन इन स्थलों पर होता है। दुर्गापुर में दामोदर नदी पर एक बैराज का निर्माण भी हुआ है, जिसमें दामोदर नदी से नहर निकाली गई है। साथ ही नहर द्वारा जलमार्गीय यातायात की व्यवस्था भी की गई है।

भारत में नदी घाटी परियोजनाएँ


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख