"मेकांग नदी": अवतरणों में अंतर
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मेकांग नदी [[हिमालय]] की ऊँचाई से फूटकर निकलती है और झरझर करके पहाड़ों की ढलानों से नीचे उतरकर गहरी घाटियों में बड़ी तेज़ी से बहने लगती है। मेकांग अपना आधा सफर [[चीन]] में ही तय कर लेती है, जहाँ वह ‘लान्टसान्ग’ नाम से जानी जाती है। वहाँ वह 15,000 फुट की ऊँचाई से नीचे की ओर बहती है। मगर एक बार जब वह चीन से निकल जाती है, तो सिर्फ 1,600 फुट की ऊँचाई से नीचे की तरफ बहती है। इसलिए यहाँ से नदी की धारा धीमी हो जाती है। चीन से निकलने के बाद यह नदी [[म्यांमार]] और लाओस की सीमा बनकर उन्हें अलग करती है और | मेकांग नदी [[हिमालय]] की ऊँचाई से फूटकर निकलती है और झरझर करके पहाड़ों की ढलानों से नीचे उतरकर गहरी घाटियों में बड़ी तेज़ी से बहने लगती है। मेकांग अपना आधा सफर [[चीन]] में ही तय कर लेती है, जहाँ वह ‘लान्टसान्ग’ नाम से जानी जाती है। वहाँ वह 15,000 फुट की ऊँचाई से नीचे की ओर बहती है। मगर एक बार जब वह चीन से निकल जाती है, तो सिर्फ 1,600 फुट की ऊँचाई से नीचे की तरफ बहती है। इसलिए यहाँ से नदी की धारा धीमी हो जाती है। चीन से निकलने के बाद यह नदी [[म्यांमार]] और लाओस की सीमा बनकर उन्हें अलग करती है और काफ़ी हद तक लाओस और [[थाईलैंड]] की भी सीमा ठहरती है। [[कम्बोडिया]] में यह नदी दो उपनदियों में बँट जाती है और जब ये उपनदियाँ वियतनाम में बहती हैं, तो और भी छोटी-छोटी धाराएँ बनकर दक्षिण चीन सागर से जा मिलती हैं।<ref name="aa"/> | ||
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दक्षिण-पूर्वी एशिया की आर्थिक हालत को बेहतर बनाने में मेकांग नदी एक अहम भूमिका निभाती है। लाओस की राजधानी 'विएंशिएन' और कम्बोडिया की राजधानी 'नाम पेन' दोनों इसी नदी पर बसे बंदरगाह शहर हैं। नदी के मुहाने के पास मेकांग वियतनाम के लोगों के लिए भी बहुत अहमियत रखती है। वहाँ मेकांग सात धाराओं में अलग हो जाती है और 25,000 वर्ग किलोमीटर तक फैला एक डेल्टा बनाती है। अनुमान लगाया जाता है कि ये धाराएँ कुल मिलाकर 3,200 किलोमीटर लंबी हैं। पानी की कोई कमी न होने की वजह से इसके आस-पास के मैदानों और [[धान]] के खेतों की अच्छी सिंचाई होती है और उन्हें बेशकीमती बालू-मिट्टी भी मिलती है। इससे किसान हर साल तीन बार [[चावल]] की फसल उगा पाते हैं। जी हाँ, थाईलैंड के बाद वियतनाम ऐसा दूसरा देश है, जो दुनिया-भर में इस मुख्य आहार का निर्यात करता है। | दक्षिण-पूर्वी एशिया की आर्थिक हालत को बेहतर बनाने में मेकांग नदी एक अहम भूमिका निभाती है। लाओस की राजधानी 'विएंशिएन' और कम्बोडिया की राजधानी 'नाम पेन' दोनों इसी नदी पर बसे बंदरगाह शहर हैं। नदी के मुहाने के पास मेकांग वियतनाम के लोगों के लिए भी बहुत अहमियत रखती है। वहाँ मेकांग सात धाराओं में अलग हो जाती है और 25,000 वर्ग किलोमीटर तक फैला एक डेल्टा बनाती है। अनुमान लगाया जाता है कि ये धाराएँ कुल मिलाकर 3,200 किलोमीटर लंबी हैं। पानी की कोई कमी न होने की वजह से इसके आस-पास के मैदानों और [[धान]] के खेतों की अच्छी सिंचाई होती है और उन्हें बेशकीमती बालू-मिट्टी भी मिलती है। इससे किसान हर साल तीन बार [[चावल]] की फसल उगा पाते हैं। जी हाँ, थाईलैंड के बाद वियतनाम ऐसा दूसरा देश है, जो दुनिया-भर में इस मुख्य आहार का निर्यात करता है। | ||
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10:27, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
मेकांग नदी विश्व की प्रमुख नदियों में से एक है। यह तिब्बत से शुरू होकर चीन के युनान प्रान्त, म्यांमार, थाईलैंड, लाओस तथा कम्बोडिया से होकर बहती है। लंबाई के अनुसार यह विश्व की तेरहवीं लम्बी नदी है और प्रवाह के आयतन दर के अनुसार दसवीं नदी है। बहाव में अनियमितता तथा जलप्रपातों की वज़ह से इसका अधिकांश भाग नौकाओं के लिये अगम्य है। दक्षिण-पूर्वी एशिया की आर्थिक हालत को बेहतर बनाने में मेकांग नदी एक अहम भूमिका निभाती है। मेकांग नदी में मछलियों की 1,200 जातियाँ पायी जाती हैं। इनमें से कुछ जाति की मछलियों को, साथ ही झींगों को भी बेचने के लिए पाला जाता है।[1]
बहाव क्षेत्र
मेकांग एक ऐसी नदी है, जो एशिया के छह देशों से बहकर जाती है और इस पर क़रीब 10 करोड़ लोग निर्भर हैं। ये लोग तकरीबन 100 आदिवासी समूहों और दूसरे देश की जातियों से हैं। हर साल इस नदी से 13 लाख टन मछलियाँ पकड़ी जाती हैं, यानी ब्रिटेन के उत्तर सागर में पकड़ी जाने वाली मछलियों से चार गुना ज़्यादा। यह नदी 4,350 किलोमीटर का सफर तय करती है, इसलिए इसे दक्षिण-पूर्वी एशिया की सबसे लंबी नदी कहा जाता है; और क्योंकि यह कई देशों से बहकर जाती है, इसलिए इसे कई नाम दिए गए हैं। उनमें से 'मेकांग' नाम सबसे जाना-पहचाना है। यह नाम थाई भाषा में 'मे' नाम 'कॉन्ग’ का छोटा नाम है।
उद्गम
मेकांग नदी हिमालय की ऊँचाई से फूटकर निकलती है और झरझर करके पहाड़ों की ढलानों से नीचे उतरकर गहरी घाटियों में बड़ी तेज़ी से बहने लगती है। मेकांग अपना आधा सफर चीन में ही तय कर लेती है, जहाँ वह ‘लान्टसान्ग’ नाम से जानी जाती है। वहाँ वह 15,000 फुट की ऊँचाई से नीचे की ओर बहती है। मगर एक बार जब वह चीन से निकल जाती है, तो सिर्फ 1,600 फुट की ऊँचाई से नीचे की तरफ बहती है। इसलिए यहाँ से नदी की धारा धीमी हो जाती है। चीन से निकलने के बाद यह नदी म्यांमार और लाओस की सीमा बनकर उन्हें अलग करती है और काफ़ी हद तक लाओस और थाईलैंड की भी सीमा ठहरती है। कम्बोडिया में यह नदी दो उपनदियों में बँट जाती है और जब ये उपनदियाँ वियतनाम में बहती हैं, तो और भी छोटी-छोटी धाराएँ बनकर दक्षिण चीन सागर से जा मिलती हैं।[1]
आर्थिक महत्त्व
दक्षिण-पूर्वी एशिया की आर्थिक हालत को बेहतर बनाने में मेकांग नदी एक अहम भूमिका निभाती है। लाओस की राजधानी 'विएंशिएन' और कम्बोडिया की राजधानी 'नाम पेन' दोनों इसी नदी पर बसे बंदरगाह शहर हैं। नदी के मुहाने के पास मेकांग वियतनाम के लोगों के लिए भी बहुत अहमियत रखती है। वहाँ मेकांग सात धाराओं में अलग हो जाती है और 25,000 वर्ग किलोमीटर तक फैला एक डेल्टा बनाती है। अनुमान लगाया जाता है कि ये धाराएँ कुल मिलाकर 3,200 किलोमीटर लंबी हैं। पानी की कोई कमी न होने की वजह से इसके आस-पास के मैदानों और धान के खेतों की अच्छी सिंचाई होती है और उन्हें बेशकीमती बालू-मिट्टी भी मिलती है। इससे किसान हर साल तीन बार चावल की फसल उगा पाते हैं। जी हाँ, थाईलैंड के बाद वियतनाम ऐसा दूसरा देश है, जो दुनिया-भर में इस मुख्य आहार का निर्यात करता है।
मछलियों की जातियाँ
अनुमान लगाया जाता है कि मेकांग नदी में मछलियों की 1,200 जातियाँ पायी जाती हैं। इनमें से कुछ जाति की मछलियों को, साथ ही झींगों को भी बेचने के लिए पाला जाता है। मेकांग में ‘ट्रे रीएल’ नाम की मछली एक अनोखी वजह से बेहद मशहूर है। वह यह कि कम्बोडिया की मुद्रा 'रीएल' का नाम इसी मछली से पड़ा। यहाँ कैटफिश मछली की एक ऐसी जाति भी पायी जाती है, जो नौ फुट तक लंबी हो सकती है। यह जाति धीरे-धीरे लुप्त हो रही है। सन 2005 में मछुवारों ने 290 कि.ग्रा. का एक कैटफिश पकड़ा था। इतनी बड़ी मछली शायद ही दुनिया की किसी नदी में पायी गयी हो। मेकांग में पायी जाने वाली एक और जाति के लुप्त होने का भी खतरा है और वह है- 'इरावाडी डॉलफिन'। खोजकर्ताओं का कहना है कि अब इस नदी में शायद 100 से भी कम डॉलफिन रह गयी हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 मेकांग नदी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 15 मई, 2014।