"गांधीजी का मंदिर -महात्मा गाँधी": अवतरणों में अंतर
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Mahatma_prerak.png |चित्र का नाम=महात...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==संबंधित लेख==" to "==संबंधित लेख== {{प्रेरक प्रसंग}}") |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{सूचना बक्सा | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | ||
|चित्र=Mahatma_prerak.png | |चित्र=Mahatma_prerak.png | ||
|चित्र का नाम=महात्मा गाँधी | |चित्र का नाम=महात्मा गाँधी | ||
| | |विवरण= इस लेख में [[महात्मा गाँधी]] से संबंधित प्रेरक प्रसंगों के लिंक दिये गये हैं। | ||
| | |शीर्षक 1=भाषा | ||
| | |पाठ 1=[[हिंदी]] | ||
| | |शीर्षक 2=देश | ||
| | |पाठ 2=[[भारत]] | ||
| | |शीर्षक 3= | ||
| | |पाठ 3= | ||
| | |शीर्षक 4= | ||
| | |पाठ 4= | ||
| | |शीर्षक 5= | ||
| | |पाठ 5= | ||
| | |शीर्षक 6= | ||
| | |पाठ 6= | ||
| | |शीर्षक 7= | ||
| | |पाठ 7= | ||
| | |शीर्षक 8=मूल शीर्षक | ||
| | |पाठ 8=[[प्रेरक प्रसंग]] | ||
|शीर्षक 9=उप शीर्षक | |||
|पाठ 9=[[महात्मा गाँधी के प्रेरक प्रसंग]] | |||
|शीर्षक 10=संकलनकर्ता | |||
|पाठ 10=[[अशोक कुमार शुक्ला]] | |||
|संबंधित लेख= | |||
|अन्य जानकारी= | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}} | }} | ||
<poem style="background:#fbf8df; padding:15px; font-size:14px; border:1px solid #003333; border-radius:5px"> | <poem style="background:#fbf8df; padding:15px; font-size:14px; border:1px solid #003333; border-radius:5px"> | ||
पंक्ति 29: | पंक्ति 37: | ||
'भैया, तुम कैसी बातें कर रहे हो? जीवित व्यक्ति की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करना बेढंगा कार्य है।' | 'भैया, तुम कैसी बातें कर रहे हो? जीवित व्यक्ति की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करना बेढंगा कार्य है।' | ||
इस पर वहां मौजूद लोगों ने कहा, 'बापूजी हम आपके कार्यों से बहुत प्रभावित हैं। इसलिए यदि आपको यह सम्मान दिया जा रहा है तो इसमें | इस पर वहां मौजूद लोगों ने कहा, 'बापूजी हम आपके कार्यों से बहुत प्रभावित हैं। इसलिए यदि आपको यह सम्मान दिया जा रहा है तो इसमें ग़लत क्या है।' | ||
गांधीजी ने पूछा, 'आप मेरे किस कार्य से प्रभावित हैं?' | गांधीजी ने पूछा, 'आप मेरे किस कार्य से प्रभावित हैं?' | ||
पंक्ति 35: | पंक्ति 43: | ||
यह सुनकर सामने खड़ा एक युवक बोला, 'बापू, आप हर कार्य पहले स्वयं करते हैं, हर जिम्मेदारी को अपने ऊपर लेते हैं और अहिंसक नीति से शत्रु को भी प्रभावित कर देते हैं। आपके इन्हीं सद्गुणों से हम बहुत प्रभावित हैं।' | यह सुनकर सामने खड़ा एक युवक बोला, 'बापू, आप हर कार्य पहले स्वयं करते हैं, हर जिम्मेदारी को अपने ऊपर लेते हैं और अहिंसक नीति से शत्रु को भी प्रभावित कर देते हैं। आपके इन्हीं सद्गुणों से हम बहुत प्रभावित हैं।' | ||
गांधीजी ने कहा, 'यदि आप मेरे कार्यों और सद्गुणों से प्रभावित हैं तो उन सद्गुणों को आप लोग भी अपने जीवन में अपनाइए। तोते की तरह गीता-रामायण का पाठ करने के बदले उनमें वर्णित शिक्षाओं का अनुकरण ही सच्ची पूजा-उपासना है।' | गांधीजी ने कहा, 'यदि आप मेरे कार्यों और सद्गुणों से प्रभावित हैं तो उन सद्गुणों को आप लोग भी अपने जीवन में अपनाइए। तोते की तरह [[गीता]]-[[रामायण]] का पाठ करने के बदले उनमें वर्णित शिक्षाओं का अनुकरण ही सच्ची पूजा-उपासना है।' | ||
इसके बाद उन्होंने मंदिर की स्थापना करने वाले लोगों को संदेश भिजवाते हुए लिखा कि आपने मेरा मंदिर बनाकर अपने धन का दुरुपयोग किया | इसके बाद उन्होंने मंदिर की स्थापना करने वाले लोगों को संदेश भिजवाते हुए लिखा कि आपने मेरा मंदिर बनाकर अपने धन का दुरुपयोग किया है। इस धन को आवश्यक कार्य के लिए प्रयोग किया जा सकता था। इस तरह उन्होंने अपनी पूजा रुकवाई। | ||
;[[महात्मा गाँधी]] से जुड़े अन्य प्रसंग पढ़ने के लिए [[महात्मा गाँधी के प्रेरक प्रसंग]] पर जाएँ। | |||
</poem> | </poem> | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
{{ | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
[[Category:अशोक कुमार शुक्ला]][[Category:महात्मा गाँधी]] | {{प्रेरक प्रसंग}} | ||
[[Category: | [[Category:अशोक कुमार शुक्ला]][[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:प्रेरक प्रसंग]][[Category:महात्मा गाँधी]] | ||
[[Category:साहित्य कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
10:54, 13 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
गांधीजी का मंदिर -महात्मा गाँधी
| |
विवरण | इस लेख में महात्मा गाँधी से संबंधित प्रेरक प्रसंगों के लिंक दिये गये हैं। |
भाषा | हिंदी |
देश | भारत |
मूल शीर्षक | प्रेरक प्रसंग |
उप शीर्षक | महात्मा गाँधी के प्रेरक प्रसंग |
संकलनकर्ता | अशोक कुमार शुक्ला |
एक बार गांधीजी को एक पत्र मिला, जिसमें लिखा था कि शहर में गांधी मंदिर की स्थापना की गई है, जिसमें रोज उनकी मूर्ति की पूजा-अर्चना की जाती है। यह जानकर गांधीजी परेशान हो उठे। उन्होंने लोगों को बुलाया और अपनी मूर्ति की पूजा करने के लिए उनकी निंदा की। इस पर उनका एक समर्थक बोला,
'बापूजी, यदि कोई व्यक्ति अच्छे कार्य करे तो उसकी पूजा करने में कोई बुराई नहीं है।'
उस व्यक्ति की बात सुनकर गांधीजी बोले,
'भैया, तुम कैसी बातें कर रहे हो? जीवित व्यक्ति की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करना बेढंगा कार्य है।'
इस पर वहां मौजूद लोगों ने कहा, 'बापूजी हम आपके कार्यों से बहुत प्रभावित हैं। इसलिए यदि आपको यह सम्मान दिया जा रहा है तो इसमें ग़लत क्या है।'
गांधीजी ने पूछा, 'आप मेरे किस कार्य से प्रभावित हैं?'
यह सुनकर सामने खड़ा एक युवक बोला, 'बापू, आप हर कार्य पहले स्वयं करते हैं, हर जिम्मेदारी को अपने ऊपर लेते हैं और अहिंसक नीति से शत्रु को भी प्रभावित कर देते हैं। आपके इन्हीं सद्गुणों से हम बहुत प्रभावित हैं।'
गांधीजी ने कहा, 'यदि आप मेरे कार्यों और सद्गुणों से प्रभावित हैं तो उन सद्गुणों को आप लोग भी अपने जीवन में अपनाइए। तोते की तरह गीता-रामायण का पाठ करने के बदले उनमें वर्णित शिक्षाओं का अनुकरण ही सच्ची पूजा-उपासना है।'
इसके बाद उन्होंने मंदिर की स्थापना करने वाले लोगों को संदेश भिजवाते हुए लिखा कि आपने मेरा मंदिर बनाकर अपने धन का दुरुपयोग किया है। इस धन को आवश्यक कार्य के लिए प्रयोग किया जा सकता था। इस तरह उन्होंने अपनी पूजा रुकवाई।
- महात्मा गाँधी से जुड़े अन्य प्रसंग पढ़ने के लिए महात्मा गाँधी के प्रेरक प्रसंग पर जाएँ।
|
|
|
|
|