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भूदान आन्दोलन के प्रणेता विनोबा भावे के पास एक शराब की लत वाला युवक आया 1 उसने प्रार्थना की की मैं बेहद परेशां हू मदिरा मेरा पीछा नहीं छोड़ती ! विनोबा जी ने सुना और अगले कल आने को कहा ! अगले दिन युवक आया और विनोबा जी को आवाज़ देने लगा युवक की आवाज़ सुन कर विनोबा जी ने कहा की मैं बाहर नहीं आ सकता क्योंकि मुझे एक खम्बे ने पकड़ रखा है ! युवक ने भीतर देखा की विनोबा जी ने एक खम्बे को पकड़ रखा है ! यह देख युवक बोला आप स्वयं खम्बे को छोड़ दे तो आप खम्बे से अलग हो जायेंगे ! यह सुन कर विनोबाजी बोले बेटा मैं तुम्हे यही समझाना चाहता था की मदिरा ने तुम्हे नहीं, तुमने मदिरा को पकड़ रखा है ! तुम स्वयं ही शराब को छोड़ सकते हो ! दृद इच्छा और शक्ति से तुम गलत आदतों को छोड़ सकते हो! युवक विनोबाजी की शिक्षा से प्रभावित हुआ और मदिरा त्याग का वादा कर ख़ुशी ख़ुशी घर चला गया !
[[भूदान आन्दोलन]] के प्रणेता [[विनोबा भावे]] के पास एक शराब की लत वाला युवक आया। उसने प्रार्थना की कि मैं बेहद परेशान हूँ, मदिरा मेरा पीछा नहीं छोड़ती।  विनोबा जी ने सुना और अगले कल आने को कहा। अगले दिन युवक आया और विनोबा जी को आवाज़ देने लगा युवक की आवाज़ सुन कर विनोबा जी ने कहा कि मैं बाहर नहीं आ सकता क्योंकि मुझे एक खम्बे ने पकड़ रखा है। युवक ने भीतर देखा कि विनोबा जी ने एक खम्बे को पकड़ रखा है! यह देख युवक बोला आप स्वयं खम्बे को छोड़ दे तो आप खम्बे से अलग हो जायेंगे। यह सुन कर विनोबाजी बोले बेटा मैं तुम्हे यही समझाना चाहता था कि मदिरा ने तुम्हें नहीं, तुमने मदिरा को पकड़ रखा है। तुम स्वयं ही शराब को छोड़ सकते हो। दृढ़ इच्छा और शक्ति से तुम ग़लत आदतों को छोड़ सकते हो। युवक विनोबाजी की शिक्षा से प्रभावित हुआ और मदिरा त्याग का वादा कर ख़ुशी ख़ुशी घर चला गया।
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10:54, 13 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

शराब की लत -विनोबा भावे
विनोबा भावे
विनोबा भावे
विवरण विनोबा भावे
भाषा हिंदी
देश भारत
मूल शीर्षक प्रेरक प्रसंग
उप शीर्षक विनोबा भावे के प्रेरक प्रसंग
संकलनकर्ता अशोक कुमार शुक्ला

भूदान आन्दोलन के प्रणेता विनोबा भावे के पास एक शराब की लत वाला युवक आया। उसने प्रार्थना की कि मैं बेहद परेशान हूँ, मदिरा मेरा पीछा नहीं छोड़ती। विनोबा जी ने सुना और अगले कल आने को कहा। अगले दिन युवक आया और विनोबा जी को आवाज़ देने लगा युवक की आवाज़ सुन कर विनोबा जी ने कहा कि मैं बाहर नहीं आ सकता क्योंकि मुझे एक खम्बे ने पकड़ रखा है। युवक ने भीतर देखा कि विनोबा जी ने एक खम्बे को पकड़ रखा है! यह देख युवक बोला आप स्वयं खम्बे को छोड़ दे तो आप खम्बे से अलग हो जायेंगे। यह सुन कर विनोबाजी बोले बेटा मैं तुम्हे यही समझाना चाहता था कि मदिरा ने तुम्हें नहीं, तुमने मदिरा को पकड़ रखा है। तुम स्वयं ही शराब को छोड़ सकते हो। दृढ़ इच्छा और शक्ति से तुम ग़लत आदतों को छोड़ सकते हो। युवक विनोबाजी की शिक्षा से प्रभावित हुआ और मदिरा त्याग का वादा कर ख़ुशी ख़ुशी घर चला गया।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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