"अमृतसर": अवतरणों में अंतर
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'''अमृतसर''' शहर, ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय, [[पंजाब]] राज्य, पश्चिमोत्तर [[भारत]] में स्थित है। अमृतसर [[पाकिस्तान|पाकिस्तानी]] सीमा पर, पंजाब का सबसे बड़ा नगर है। यह [[गुरु रामदास]] का डेरा हुआ करता था। अमृतसर अनेक त्रासदियों और दर्दनाक घटनाओं का गवाह रहा है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा नरसंहार अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में ही हुआ था। इसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच जो बंटवारा हुआ उस समय भी अमृतसर में बड़ा हत्याकांड हुआ। [[चित्र:Jallianwalah-Bagh-Amritsar.jpg|[[जलियांवाला बाग़]], अमृतसर|thumb|250px|left]] यहीं नहीं अफ़ग़ान और [[मुग़ल]] शासकों ने इसके ऊपर अनेक आक्रमण किए और इसको बर्बाद कर दिया। इसके बावजूद [[सिक्ख|सिक्खों]] ने अपने दृढ संकल्प और मज़बूत इच्छाशक्ति से दोबारा इसको बसाया। हालांकि अमृतसर में समय के साथ काफ़ी बदलाव आए हैं लेकिन आज भी अमृसतर की गरिमा बरकरार है। | |||
अमृतसर शहर, ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय, [[पंजाब]] राज्य, पश्चिमोत्तर [[भारत]] में स्थित है। अमृतसर [[पाकिस्तान|पाकिस्तानी]] सीमा पर, पंजाब का सबसे बड़ा नगर है। यह | |||
==स्थापना== | ==स्थापना== | ||
सीमा से लगभग 50 किमी दूर स्थित अमृतसर एक प्रमुख व्यापारिक व सांस्कृतिक केंद्र है। 1577 में सिक्खों के चौथे [[गुरु रामदास]] ने अमृत सारस नामक एक पवित्र सरोवर, जिसके नाम पर इस शहर का नामकरण हुआ, के किनारे अमृतसर की स्थापना की थी। इस तालाब के ठीक मध्य में टापू पर एक मंदिर बनाया गया था, जिसके तांबे के गुंबद को बाद में स्वर्ण-पतरों से मढ़ दिया गया, इस मंदिर का नाम हरमंदिर साहब या [[स्वर्ण मंदिर]] रखा गया। अब अमृतसर [[सिक्ख धर्म]] का केंद्र बन गया है। उभरती हुई सिक्ख शक्ति के केंद्र के साथ-साथ यह शहर व्यापार के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण बनता गया। | सीमा से लगभग 50 किमी दूर स्थित अमृतसर एक प्रमुख व्यापारिक व सांस्कृतिक केंद्र है। 1577 में सिक्खों के चौथे [[गुरु रामदास]] ने अमृत सारस नामक एक पवित्र सरोवर, जिसके नाम पर इस शहर का नामकरण हुआ, के किनारे अमृतसर की स्थापना की थी। इस तालाब के ठीक मध्य में टापू पर एक मंदिर बनाया गया था, जिसके [[तांबा|तांबे]] के गुंबद को बाद में [[स्वर्ण]]-पतरों से मढ़ दिया गया, इस मंदिर का नाम हरमंदिर साहब या [[स्वर्ण मंदिर]] रखा गया। अब अमृतसर [[सिक्ख धर्म]] का केंद्र बन गया है। उभरती हुई सिक्ख शक्ति के केंद्र के साथ-साथ यह शहर व्यापार के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण बनता गया। | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
1849 में अमृतसर को ब्रिटिश भारत में मिला दिया गया। 13 अप्रैल 1919 को शहर के जिस [[जलियांवाला बाग़]] में एक राजनीतिक सभा पर ब्रिटिश सेना ने अंधाधुंध गोलियां चलाकर 379 लोगों की हत्या कर दी थी तथा इससे भी अधिक लोगों को घायल कर दिया था, उसे अब राष्ट्रीय स्मारक बना दिया गया है। 1984 में अमृतसर में एक और हिंसक राजनीतिक संघर्ष हुआ, जब स्वर्ण मंदिर में मोर्चाबंद सैकड़ों सिक्ख अलगाववादियों पर भारतीय सेना ने हमला किया। परस्पर विरोधी सूत्रों के अनुसार, इस संघर्ष में 450 से 1,200 लोग मारे गये थे। | 1849 में अमृतसर को ब्रिटिश [[भारत]] में मिला दिया गया। [[13 अप्रैल]] 1919 को शहर के जिस [[जलियांवाला बाग़]] में एक राजनीतिक सभा पर ब्रिटिश सेना ने अंधाधुंध गोलियां चलाकर 379 लोगों की हत्या कर दी थी तथा इससे भी अधिक लोगों को घायल कर दिया था, उसे अब राष्ट्रीय स्मारक बना दिया गया है। 1984 में अमृतसर में एक और हिंसक राजनीतिक संघर्ष हुआ, जब स्वर्ण मंदिर में मोर्चाबंद सैकड़ों सिक्ख अलगाववादियों पर भारतीय सेना ने हमला किया। परस्पर विरोधी सूत्रों के अनुसार, इस संघर्ष में 450 से 1,200 लोग मारे गये थे। | ||
[[चित्र:Wagah-Border-Amritsar.jpg|thumb|250px|left|[[बाघा बॉर्डर अमृतसर|बाघा बॉर्डर]], अमृतसर]] | |||
[[चित्र: | किंवदन्ती है, कि [[रामायण]] काल में अमृतसर के स्थान पर एक घना वन था, जहाँ एक सरोवर भी स्थित था। [[राम|श्रीरामचन्द्र]] के पुत्र [[लवकुश|लव]] और [[लवकुश|कुश]] आखेट के लिए एक बार यहाँ पर आकर सरोवर के तीर पर कुछ समय के लिए ठहरे थे। ऐतिहासिक समय में सिक्खों के आदिगुरु नानक ने भी इस स्थान के प्राकृतिक सौंन्दर्य से आकृष्ट होकर यहाँ कुछ देर के लिए एक वृक्ष के नीचे विश्राम तथा ध्यान किया था। यह वृक्ष वर्तमान सरोवर के निकट आज भी दिखाया जाता है। तीसरे गुरु रामदास ने [[नानक देव, गुरु|नानकदेव]] का इस स्थान से सम्बन्ध होने के कारण यहाँ एक मन्दिर बनवाने का विचार किया। 1564 ई. में चौथे गुरु रामदास ने वर्तमान अमृतसर नगर की नींव डाली और स्वयं भी यहाँ पर आकर रहने लगे। इस समय इस नगर को रामदासपुर या चक-रामदास कहते थे। 1577 में मुग़ल सम्राट [[अकबर]] ने रामदास को 500 बीघा भूमि नगर को बसाने के लिए दी, जो उन्होंने तुंग के ज़मीदारों को 700 रुपये अकबरी देकर ख़रीदी। कहा जाता है, कि सरोवर के पवित्र जल में स्नान करने से एक कौवे के पर श्वेत हो गए थे और कोढ़ी का रोग जाता रहा था। इस दन्तकथा से आकृष्ट होकर सहस्रों लोग यहाँ आने-जाने लगे और नगर की आबादी भी बढ़ने लगी। | ||
किंवदन्ती है, कि [[रामायण]] काल में अमृतसर के स्थान पर एक घना वन था, जहाँ एक सरोवर भी स्थित था। [[राम|श्रीरामचन्द्र]] के पुत्र [[लवकुश|लव]] और [[लवकुश|कुश]] आखेट के लिए एक बार यहाँ पर आकर सरोवर के तीर पर कुछ समय के लिए ठहरे थे। ऐतिहासिक समय में सिक्खों के आदिगुरु नानक ने भी इस स्थान के प्राकृतिक सौंन्दर्य से आकृष्ट होकर यहाँ कुछ देर के लिए एक वृक्ष के नीचे विश्राम तथा ध्यान किया था। यह वृक्ष वर्तमान सरोवर के निकट आज भी दिखाया जाता है। तीसरे गुरु रामदास ने नानकदेव का इस स्थान से सम्बन्ध होने के कारण यहाँ एक मन्दिर बनवाने का विचार किया। 1564 ई. में चौथे गुरु रामदास ने वर्तमान अमृतसर नगर की नींव डाली और स्वयं भी यहाँ पर आकर रहने लगे। इस समय इस नगर को रामदासपुर या चक-रामदास कहते थे। 1577 में मुग़ल सम्राट [[अकबर]] ने रामदास को 500 बीघा भूमि नगर को बसाने के लिए दी, जो उन्होंने तुंग के ज़मीदारों को 700 रुपये अकबरी देकर | |||
==यातायात और परिवहन== | ==यातायात और परिवहन== | ||
[[चित्र:Ranjit-Singh-Museum-Amritsar.jpg|thumb|250px|[[रणजीत सिंह संग्रहालय अमृतसर|महाराजा रणजीत सिंह संग्रहालय]], अमृतसर]] | |||
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अमृतसर का | अमृतसर का राजा सांसी हवाई अड्डा [[दिल्ली]] से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। | ||
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दिल्ली से टाटानगर-जम्मूतवी एक्सप्रैस और गोल्डन टेम्पल मेल (स्वर्ण मंदिर एक्सप्रैस) द्वारा आसानी से अमृतसर रेलवे स्टेशन पहुंचा जा सकता है। | दिल्ली से टाटानगर-जम्मूतवी एक्सप्रैस और गोल्डन टेम्पल मेल (स्वर्ण मंदिर एक्सप्रैस) द्वारा आसानी से अमृतसर रेलवे स्टेशन पहुंचा जा सकता है। | ||
;सडक मार्ग | |||
*अपनी कार से भी [[ग्रैंड ट्रंक रोड|ग्रैंड ट्रंक]] (जी.टी.) रोड द्वारा आसानी से अमृतसर पहुंचा जा सकता है। | |||
*अपनी कार से भी ग्रैंड ट्रंक (जी.टी.) रोड द्वारा आसानी से अमृतसर पहुंचा जा सकता है। | |||
*इसके अलावा दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से भी अमृतसर के लिए बसें जाती हैं। | *इसके अलावा दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से भी अमृतसर के लिए बसें जाती हैं। | ||
==कृषि और खनिज== | ==कृषि और खनिज== | ||
5,088 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले अमृतसर ज़िले की भूमि लगभग समतलीय है, जो [[रावी नदी|रावी]] व [[व्यास नदी|व्यास]] नदियों द्वारा अपवाहित होती है। पूरी तरह से शुष्क | 5,088 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले [[अमृतसर ज़िला|अमृतसर ज़िले]] की भूमि लगभग समतलीय है, जो [[रावी नदी|रावी]] व [[व्यास नदी|व्यास]] नदियों द्वारा अपवाहित होती है। पूरी तरह से शुष्क जलवायु होने के कारण इस शहर की खेती सिंचाई पर निर्भर है, जो मुख्यत: अपरी बारी दोआब नहर प्रणाली से की जाती है। [[गेहूँ]], [[कपास]], दलहन व [[मक्का]] यहाँ की मुख्य फ़सलें हैं। | ||
==खानपान== | ==खानपान== | ||
अमृतसर के व्यंजन पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। | अमृतसर के व्यंजन पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। यहाँ का बना चिकन, मक्के की रोटी, सरसों का साग और लस्सी बहुत प्रसिद्ध है। खाने-पीने के शौक़ीन लोगों के लिए पंजाब स्वर्ग माना जाता है। [[स्वर्ण मंदिर|दरबार साहिब]] के दर्शन करने के बाद अधिकतर श्रद्धालु भीजे भठुर, रसीली जलेबी और अन्य व्यंजनों का आनंद लेने के लिए भरावन के ढाबे पर जाते हैं। यहाँ की स्पेशल थाली भी बहुत प्रसिद्ध है। इसके अलावा लारेंस रोड की टिक्की, आलू-पूरी और आलू परांठे बहुत प्रसिद्ध हैं। | ||
[[चित्र:Golden-Temple-Amritsar-4.jpg|[[स्वर्ण मंदिर अमृतसर|स्वर्ण मंदिर]], अमृतसर|thumb|250px|left]] | |||
==उद्योग और व्यापार== | ==उद्योग और व्यापार== | ||
अमृतसर के विविध उद्योगों में वस्त्र, खाद्य निर्माण व प्रसंस्करण, रेशम बुनाई, चर्मशोधन व डब्बा पैकिंग उद्योग शामिल हैं। | अमृतसर के विविध उद्योगों में [[वस्त्र]], खाद्य निर्माण व प्रसंस्करण, रेशम बुनाई, चर्मशोधन व डब्बा पैकिंग उद्योग शामिल हैं। | ||
==शिक्षण संस्थान== | ==शिक्षण संस्थान== | ||
मेडिकल कॉलेज के अलावा अमृतसर में डेंटल, कला व इंजीनियरिंग कॉलेज हैं और इसके ठीक बाहर खालसा कॉलेज (1899 में स्थापित) है। | मेडिकल कॉलेज के अलावा अमृतसर में डेंटल, कला व इंजीनियरिंग कॉलेज हैं और इसके ठीक बाहर खालसा कॉलेज (1899 में स्थापित) है। | ||
==जनसंख्या== | ==जनसंख्या== | ||
अमृतसर नगर निगम क्षेत्र की (2001 की जनगणना के अनुसार) कुल जनसंख्या 9,75,695 और अमृतसर ज़िले की कुल जनसंख्या 30,74,207 है। | अमृतसर नगर निगम क्षेत्र की (2001 की जनगणना के अनुसार) कुल जनसंख्या 9,75,695 और अमृतसर ज़िले की कुल जनसंख्या 30,74,207 है। | ||
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[[स्वर्ण मंदिर]] अमृतसर का दिल माना जाता है। अमृतसर का इतिहास गौरवमयी है। यह अपनी [[संस्कृति]] और लड़ाइयों के लिए बहुत प्रसिद्ध रहा है। अमृतसर पंजाब का सबसे महत्त्वपूर्ण और पवित्र शहर माना जाता है। पवित्र इसलिए माना जाता है क्योंकि सिखों का सबसे बड़ा गुरुद्वारा स्वर्ण मंदिर अमृतसर में ही है। [[ताजमहल]] के बाद सबसे ज़्यादा पर्यटक अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को ही देखने आते हैं। अमृतसर में कई पर्यटन स्थल है। | |||
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==वीथिका== | |||
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चित्र:Golden-Temple-Amritsar-18.jpg|[[स्वर्ण मंदिर]], अमृतसर | |||
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चित्र:Gobindgarh-Fort-Amritsar.jpg|गोबिंदगढ़ किला, अमृतसर (1825) | |||
चित्र:Amritsar.jpg|अमृतसर का एक दृश्य (1825) | |||
चित्र:Golden-Temple-Amirtsar-9.jpg|[[स्वर्ण मंदिर]], अमृतसर | |||
चित्र:Sri-Darbar-Sahib-Amritsar-9.jpg|[[स्वर्ण मंदिर]], अमृतसर | |||
चित्र:Harmandir-Sahib-Amritsar-10.jpg|हरमंदिर साहिब, अमृतसर | |||
चित्र:Golden-Temple-Amritsar-19.jpg|[[स्वर्ण मंदिर]], अमृतसर | |||
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==बाहरी कड़ियाँ== | |||
*[http://amritsar.nic.in/ अधिकारिक वेबसाइट] | |||
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08:00, 7 नवम्बर 2016 के समय का अवतरण
अमृतसर
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विवरण | पश्चिमोत्तर भारत में स्थित अमृतसर पाकिस्तानी सीमा पर, पंजाब का सबसे बड़ा नगर है। |
राज्य | पंजाब |
ज़िला | अमृतसर |
स्थापना | 1577 में सिक्खों के चौथे गुरु रामदास द्वारा स्थापित |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 31°38′ - पूर्व- 74°52 |
मार्ग स्थिति | अमृतसर दिल्ली से 469 किमी दूर स्थित है। |
प्रसिद्धि | अमृतसर स्वर्ण मंदिर व जलियांवाला बाग़ के लिए विश्व प्रसिद्ध है। |
कैसे पहुँचें | अमृतसर हवाई जहाज़, रेल, बस व कार से पहुंचा जा सकता है। |
श्री गुरु राम दास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे | |
अमृतसर रेलवे स्टेशन | |
बस अड्डा, अमृतसर | |
टैक्सी, ऑटो रिक्शा, रिक्शा | |
क्या देखें | अमृतसर पर्यटन |
कहाँ ठहरें | होटल, अतिथि ग्रह, धर्मशाला |
क्या खायें | अमृतसर के व्यंजन पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। यहाँ का बना सामिष भोजन, मक्के की रोटी, सरसों का साग और लस्सी बहुत प्रसिद्ध है। |
एस.टी.डी. कोड | 0183 |
ए.टी.एम | लगभग सभी |
गूगल मानचित्र | |
अन्य जानकारी | ऐतिहासिक समय में सिक्खों के आदिगुरु नानक ने भी इस स्थान के प्राकृतिक सौंन्दर्य से आकृष्ट होकर यहाँ कुछ देर के लिए एक वृक्ष के नीचे विश्राम तथा ध्यान किया था। |
बाहरी कड़ियाँ | आधिकारिक वेबसाइट |
अद्यतन | 11:08, 21 दिसम्बर 2011 (IST)
|
अमृतसर शहर, ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय, पंजाब राज्य, पश्चिमोत्तर भारत में स्थित है। अमृतसर पाकिस्तानी सीमा पर, पंजाब का सबसे बड़ा नगर है। यह गुरु रामदास का डेरा हुआ करता था। अमृतसर अनेक त्रासदियों और दर्दनाक घटनाओं का गवाह रहा है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा नरसंहार अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में ही हुआ था। इसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच जो बंटवारा हुआ उस समय भी अमृतसर में बड़ा हत्याकांड हुआ।
यहीं नहीं अफ़ग़ान और मुग़ल शासकों ने इसके ऊपर अनेक आक्रमण किए और इसको बर्बाद कर दिया। इसके बावजूद सिक्खों ने अपने दृढ संकल्प और मज़बूत इच्छाशक्ति से दोबारा इसको बसाया। हालांकि अमृतसर में समय के साथ काफ़ी बदलाव आए हैं लेकिन आज भी अमृसतर की गरिमा बरकरार है।
स्थापना
सीमा से लगभग 50 किमी दूर स्थित अमृतसर एक प्रमुख व्यापारिक व सांस्कृतिक केंद्र है। 1577 में सिक्खों के चौथे गुरु रामदास ने अमृत सारस नामक एक पवित्र सरोवर, जिसके नाम पर इस शहर का नामकरण हुआ, के किनारे अमृतसर की स्थापना की थी। इस तालाब के ठीक मध्य में टापू पर एक मंदिर बनाया गया था, जिसके तांबे के गुंबद को बाद में स्वर्ण-पतरों से मढ़ दिया गया, इस मंदिर का नाम हरमंदिर साहब या स्वर्ण मंदिर रखा गया। अब अमृतसर सिक्ख धर्म का केंद्र बन गया है। उभरती हुई सिक्ख शक्ति के केंद्र के साथ-साथ यह शहर व्यापार के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण बनता गया।
इतिहास
1849 में अमृतसर को ब्रिटिश भारत में मिला दिया गया। 13 अप्रैल 1919 को शहर के जिस जलियांवाला बाग़ में एक राजनीतिक सभा पर ब्रिटिश सेना ने अंधाधुंध गोलियां चलाकर 379 लोगों की हत्या कर दी थी तथा इससे भी अधिक लोगों को घायल कर दिया था, उसे अब राष्ट्रीय स्मारक बना दिया गया है। 1984 में अमृतसर में एक और हिंसक राजनीतिक संघर्ष हुआ, जब स्वर्ण मंदिर में मोर्चाबंद सैकड़ों सिक्ख अलगाववादियों पर भारतीय सेना ने हमला किया। परस्पर विरोधी सूत्रों के अनुसार, इस संघर्ष में 450 से 1,200 लोग मारे गये थे।
किंवदन्ती है, कि रामायण काल में अमृतसर के स्थान पर एक घना वन था, जहाँ एक सरोवर भी स्थित था। श्रीरामचन्द्र के पुत्र लव और कुश आखेट के लिए एक बार यहाँ पर आकर सरोवर के तीर पर कुछ समय के लिए ठहरे थे। ऐतिहासिक समय में सिक्खों के आदिगुरु नानक ने भी इस स्थान के प्राकृतिक सौंन्दर्य से आकृष्ट होकर यहाँ कुछ देर के लिए एक वृक्ष के नीचे विश्राम तथा ध्यान किया था। यह वृक्ष वर्तमान सरोवर के निकट आज भी दिखाया जाता है। तीसरे गुरु रामदास ने नानकदेव का इस स्थान से सम्बन्ध होने के कारण यहाँ एक मन्दिर बनवाने का विचार किया। 1564 ई. में चौथे गुरु रामदास ने वर्तमान अमृतसर नगर की नींव डाली और स्वयं भी यहाँ पर आकर रहने लगे। इस समय इस नगर को रामदासपुर या चक-रामदास कहते थे। 1577 में मुग़ल सम्राट अकबर ने रामदास को 500 बीघा भूमि नगर को बसाने के लिए दी, जो उन्होंने तुंग के ज़मीदारों को 700 रुपये अकबरी देकर ख़रीदी। कहा जाता है, कि सरोवर के पवित्र जल में स्नान करने से एक कौवे के पर श्वेत हो गए थे और कोढ़ी का रोग जाता रहा था। इस दन्तकथा से आकृष्ट होकर सहस्रों लोग यहाँ आने-जाने लगे और नगर की आबादी भी बढ़ने लगी।
यातायात और परिवहन
- वायु मार्ग
अमृतसर का राजा सांसी हवाई अड्डा दिल्ली से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
- रेल मार्ग
दिल्ली से टाटानगर-जम्मूतवी एक्सप्रैस और गोल्डन टेम्पल मेल (स्वर्ण मंदिर एक्सप्रैस) द्वारा आसानी से अमृतसर रेलवे स्टेशन पहुंचा जा सकता है।
- सडक मार्ग
- अपनी कार से भी ग्रैंड ट्रंक (जी.टी.) रोड द्वारा आसानी से अमृतसर पहुंचा जा सकता है।
- इसके अलावा दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से भी अमृतसर के लिए बसें जाती हैं।
कृषि और खनिज
5,088 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले अमृतसर ज़िले की भूमि लगभग समतलीय है, जो रावी व व्यास नदियों द्वारा अपवाहित होती है। पूरी तरह से शुष्क जलवायु होने के कारण इस शहर की खेती सिंचाई पर निर्भर है, जो मुख्यत: अपरी बारी दोआब नहर प्रणाली से की जाती है। गेहूँ, कपास, दलहन व मक्का यहाँ की मुख्य फ़सलें हैं।
खानपान
अमृतसर के व्यंजन पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। यहाँ का बना चिकन, मक्के की रोटी, सरसों का साग और लस्सी बहुत प्रसिद्ध है। खाने-पीने के शौक़ीन लोगों के लिए पंजाब स्वर्ग माना जाता है। दरबार साहिब के दर्शन करने के बाद अधिकतर श्रद्धालु भीजे भठुर, रसीली जलेबी और अन्य व्यंजनों का आनंद लेने के लिए भरावन के ढाबे पर जाते हैं। यहाँ की स्पेशल थाली भी बहुत प्रसिद्ध है। इसके अलावा लारेंस रोड की टिक्की, आलू-पूरी और आलू परांठे बहुत प्रसिद्ध हैं।
उद्योग और व्यापार
अमृतसर के विविध उद्योगों में वस्त्र, खाद्य निर्माण व प्रसंस्करण, रेशम बुनाई, चर्मशोधन व डब्बा पैकिंग उद्योग शामिल हैं।
शिक्षण संस्थान
मेडिकल कॉलेज के अलावा अमृतसर में डेंटल, कला व इंजीनियरिंग कॉलेज हैं और इसके ठीक बाहर खालसा कॉलेज (1899 में स्थापित) है।
जनसंख्या
अमृतसर नगर निगम क्षेत्र की (2001 की जनगणना के अनुसार) कुल जनसंख्या 9,75,695 और अमृतसर ज़िले की कुल जनसंख्या 30,74,207 है।
पर्यटन
स्वर्ण मंदिर अमृतसर का दिल माना जाता है। अमृतसर का इतिहास गौरवमयी है। यह अपनी संस्कृति और लड़ाइयों के लिए बहुत प्रसिद्ध रहा है। अमृतसर पंजाब का सबसे महत्त्वपूर्ण और पवित्र शहर माना जाता है। पवित्र इसलिए माना जाता है क्योंकि सिखों का सबसे बड़ा गुरुद्वारा स्वर्ण मंदिर अमृतसर में ही है। ताजमहल के बाद सबसे ज़्यादा पर्यटक अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को ही देखने आते हैं। अमृतसर में कई पर्यटन स्थल है।
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वीथिका
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स्वर्ण मंदिर, अमृतसर
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स्वर्ण मंदिर, अमृतसर
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गोबिंदगढ़ किला, अमृतसर (1825)
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अमृतसर का एक दृश्य (1825)
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स्वर्ण मंदिर, अमृतसर
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स्वर्ण मंदिर, अमृतसर
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हरमंदिर साहिब, अमृतसर
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स्वर्ण मंदिर, अमृतसर
बाहरी कड़ियाँ
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