"अल-बलद": अवतरणों में अंतर
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90:15- मोहताज को।<br /> | 90:15- मोहताज को।<br /> |
14:03, 6 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण
अल-बलद इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रंथ क़ुरआन का 90वाँ सूरा (अध्याय) है जिसमें 20 आयतें होती हैं।
90:1- मुझे इस शहर (मक्का) की कसम।
90:2- और तुम इसी शहर में तो रहते हो।
90:3- और (तुम्हारे) बाप (आदम) और उसकी औलाद की क़सम।
90:4- हमने इन्सान को मशक्क़त में (रहने वाला) पैदा किया है।
90:5- क्या वह ये समझता है कि उस पर कोई काबू न पा सकेगा।
90:6- वह कहता है कि मैने अलग़ारों माल उड़ा दिया।
90:7- क्या वह ये ख्याल रखता है कि उसको किसी ने देखा ही नहीं।
90:8- क्या हमने उसे दोनों ऑंखें और ज़बान।
90:9- और दोनों लब नहीं दिए (ज़रूर दिए)।
90:10- और उसको (अच्छी बुरी) दोनों राहें भी दिखा दीं।
90:11- फिर वह घाटी पर से होकर (क्यों) नहीं गुज़रा।
90:12- और तुमको क्या मालूम कि घाटी क्या है।
90:13- किसी (की) गर्दन का (ग़ुलामी या कर्ज से) छुड़ाना।
90:14- या भूख के दिन रिश्तेदार यतीम या ख़ाकसार।
90:15- मोहताज को।
90:16- खाना खिलाना।
90:17- फिर तो उन लोगों में (शामिल) हो जाता जो ईमान लाए और सब्र की नसीहत और तरस खाने की वसीयत करते रहे।
90:18- यही लोग ख़ुश नसीब हैं।
90:19- और जिन लोगों ने हमारी आयतों से इन्कार किया है यही लोग बदबख्त हैं।
90:20- कि उनको आग में डाल कर हर तरफ से बन्द कर दिया जाएगा।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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