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| {[[छत्तीसगढ़]] के [[बिलासपुर ज़िला|बिलासपुर ज़िले]] में [[हसदो नदी]] की लम्बाई कितनी है?
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| -181 कि.मी.
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| +192 कि.मी.
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| -170 कि.मी.
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| -185 कि.मी.
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| ||[[चित्र:Hasdeo-River.jpg|right|100px|हसदो नदी, छत्तीसगढ़]][[हसदो नदी]] [[छत्तीसगढ़]] राज्य में [[कोरबा ज़िला|कोरबा]] के कोयला क्षेत्र में तथा [[चांपा]] के मैदान में प्रवाहित होने वाली महत्त्वपूर्ण नदी है। इसका उद्गम स्थल [[कोरिया ज़िला|कोरिया ज़िले]] की पहाड़ियाँ हैं। हसदो नदी की सहायक नदियाँ बेसिन में उतरते ही छोटे-छोटे प्रपात बनाती हैं। [[सरगुजा ज़िला|सरगुजा ज़िले]] में नदी का प्रवाह क्षेत्र 3,710 वर्ग किलोमीटर है। यह कुल प्रवाह क्षेत्र का 17% है। [[बिलासपुर ज़िला|बिलासपुर ज़िले]] में नदी की लम्बाई 192 किलोमीटर तथा प्रवाह क्षेत्र 3,500 वर्ग किलोमीटर है, जो ज़िले के कुल प्रवाह क्षेत्र का 17.8% है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हसदो नदी]]
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| {[[छत्तीसगढ़]] राज्य के किस ज़िले में धनवार जनजाति पायी जाति है?
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| -[[रायपुर ज़िला|रायपुर]]
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| -[[बिलासपुर ज़िला|बिलासपुर]]
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| +[[दुर्ग ज़िला|दुर्ग]]
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| -[[कोरबा ज़िला|कोरबा]]
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| {[[कोरकू जनजाति]] में [[अंत्येष्टि संस्कार|मृत्यु-संस्कार]] को क्या कहा जाता है?
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| -दमनच
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| +नवाधानी
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| -कुंमारी
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| -दसमार
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| {'मामा-भांजा मन्दिर' [[छत्तीसगढ़]] में कहाँ स्थित है?
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| -रतनपुर में
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| +[[बरसुर]] में
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| -रामगढ़ में
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| -[[चांपा]] में
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| ||[[चित्र:Ganesh-Temple-Barsur.jpg|right|100px|गणेश मन्दिर, बरसुर]][[बरसुर]] [[छत्तीसगढ़]] राज्य के [[दन्तेवाड़ा ज़िला|दन्तेवाड़ा ज़िले]] में स्थित है। मन्दिरों और तालाबों के लिए प्रसिद्ध बरसुर गीदम की उत्तरी दिशा में 24 किलोमीटर की दूरी पर [[इन्द्रावती नदी]] के किनारे पर स्थित है। बरसुर में 'मामा-भांजा', 'चन्द्रादित्य', 'बत्तीसा' और 'भगवान [[गणेश]]' के भी मन्दिर आकर्षण का केंद्र हैं। यह माना जाता है कि प्राचीन समय में बरसुर में लगभग 147 मन्दिर और लगभग इतने ही तालाब थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बरसुर]]
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| {'कुरहा' किस जनजाति का प्रमुख व्यक्ति है?
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| +[[कमार]]
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| -[[गोंड]]
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| -मुड़िया
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| -माड़िया
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| ||'कमार' [[मध्य प्रदेश]] में पाई जाने वाली जनजाति है। सन [[1961]] और [[1971]] में की गई कमारों की जनसंख्या का ज़िलेवार विवरण प्राप्त किया गया था, जिसके अनुसार कमार लगभग 10 प्रतिशत ग्रामीण अधिवासी में रहने वाले आदिवासी हैं। [[रायपुर ज़िला|रायपुर ज़िले]] के कमार विशेष रूप से पिछड़े माने गए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कमार]]
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| {[[छत्तीसगढ़]] राज्य के प्रथम [[मुख्यमंत्री]] ने किस तिथि को शपथ ग्रहण की थी? | | {[[छत्तीसगढ़]] राज्य के प्रथम [[मुख्यमंत्री]] ने किस तिथि को शपथ ग्रहण की थी? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
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| -[[कलचुरी वंश]] | | -[[कलचुरी वंश]] |
| -[[कदम्ब वंश]] | | -[[कदम्ब वंश]] |
| ||[[चित्र:Bhoramdev-Temple.jpg|right|120px|भोरमदेव मंदिर, छत्तीसगढ़]]'भोरमदेव मंदिर' एक बहुत ही पुराना [[हिन्दू]] मंदिर है, जो भगवान [[शिव]] को समर्पित है। यह [[छत्तीसगढ़]] राज्य के [[कवर्धा ज़िला|कवर्धा ज़िले]] में स्थित है। [[भोरमदेव मंदिर]] कृत्रिमतापूर्वक [[पर्वत]] शृंखला के बीच स्थित है। यह लगभग 7 से 11वीं शताब्दी तक की अवधि में बनाया गया था। भोरमदेव मंदिर नाग राजवंश के राजा 'रामचन्द्र' द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर में [[खजुराहो]] मंदिर की झलक दिखाई देती है, इसलिए इसे 'छत्तीसगढ़ का खजुराहो' भी कहा जाता है। मंदिर पर [[नृत्य]] की आकर्षक भाव भंगिमाओं के साथ-साथ [[हाथी]], घोड़े, भगवान [[गणेश]] एवं [[नटराज]] की मूर्तियाँ [[चंदेल वंश|चंदेल]] शैली में उकेरी गयी हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भोरमदेव मंदिर]] | | ||[[चित्र:Bhoramdev-Temple.jpg|right|120px|भोरमदेव मंदिर, छत्तीसगढ़]]'भोरमदेव मंदिर' एक बहुत ही पुराना [[हिन्दू]] मंदिर है, जो भगवान [[शिव]] को समर्पित है। यह [[छत्तीसगढ़]] राज्य के [[कवर्धा ज़िला|कवर्धा ज़िले]] में स्थित है। [[भोरमदेव मंदिर]] कृत्रिमतापूर्वक [[पर्वत]] श्रृंखला के बीच स्थित है। यह लगभग 7 से 11वीं शताब्दी तक की अवधि में बनाया गया था। भोरमदेव मंदिर नाग राजवंश के राजा 'रामचन्द्र' द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर में [[खजुराहो]] मंदिर की झलक दिखाई देती है, इसलिए इसे 'छत्तीसगढ़ का खजुराहो' भी कहा जाता है। मंदिर पर [[नृत्य]] की आकर्षक भाव भंगिमाओं के साथ-साथ [[हाथी]], घोड़े, भगवान [[गणेश]] एवं [[नटराज]] की मूर्तियाँ [[चंदेल वंश|चंदेल]] शैली में उकेरी गयी हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भोरमदेव मंदिर]] |
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