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कमलेश भट्ट कमल
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पूरा नाम | कमलेश भट्ट कमल |
जन्म | 13 फ़रवरी, 1959 |
जन्म भूमि | सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश |
कर्म भूमि | भारत |
मुख्य रचनाएँ | मैं नदी की सोचता हूँ, नखलिस्तान, मंगल टीका, शंख सीपी रेत पानी आदि। |
विषय | ग़ज़ल, कहानी, हाइकु, साक्षात्कार, निबन्ध, समीक्षा एवं बाल-साहित्य |
भाषा | हिन्दी |
विद्यालय | लखनऊ विश्वविद्यालय |
शिक्षा | एम.एस.सी (साँख्यिकी) |
पुरस्कार-उपाधि | उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा पुरस्कृत, परिवेश सम्मान-2000, आर्य स्मृति साहित्य सम्मान -2005 |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | सम्प्रति में उत्तर प्रदेश के वाणिज्य कर विभाग में जॉइंट कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं। |
अद्यतन | 18:45, 10 मार्च 2015 (IST)
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इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
कमलेश भट्ट कमल (अंग्रेज़ी: Kamlesh Bhatt Kamal, जन्म:13 फ़रवरी, 1959) हिन्दी साहित्यकार एवं कवि हैं। ग़ज़ल, कहानी, हाइकु, साक्षात्कार, निबन्ध, समीक्षा एवं बाल-साहित्य आदि विधाओं में रचना करते हैं। देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में इनकी कविताएँ प्रकाशित होती रहती हैं। आकाशवाणी और दूरदर्शन से इनकी कविताओं का प्रसारण होता रहता है।
परिचय
उत्तर प्रदेश का जनपद सुल्तानपुर अपनी साहित्यिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक गतिविधियों में अपनी एक अलग पहचान रखता है। यह जनपद मजरूह सुल्तानपुरी के नाते भी जाना और पहचाना जाता है। कमलेश भट्ट कमल का जन्म 13 फ़रवरी 1959 ई॰ को सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) की कादीपुर तहसील के ज़फरपुर नामक गाँव में हुआ था। कमलेश भट्ट कमल ने 1979 में लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.एस.सी (साँख्यिकी) की उपाधि प्राप्त की। सम्प्रति में उत्तर प्रदेश के वाणिज्य कर विभाग में जॉइंट कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं। कमलेश भट्ट कमल उन हिंदी ग़ज़लकारों में से हैं जो बहुत तेज़ीसे आगे बढ़े हैं। उन्हें हाइकू में भी महारत हासिल है। कमलेश केवल दिल्लगी या मनोरंजन के लिए ग़ज़लें नहीं कहते हैं वरन् वह पर्यावरण के प्रति भी गहरा लगाव रखते हैं नदी, पानी सब कुछ उनकी कहन का विषय बनते हैं। कमलेश भट्ट कमल समकालीन ग़ज़ल लेखन का एक ज़रूरी नाम है। कमलेश भट्ट कमल ने अपने समय से बोलते बतियाते हुए ग़ज़लें कही हैं और अपने वक्त का मुहावरा ईजाद किया है। शायद इसीलिए उनकी ग़ज़लों में हिंदी कविता का कथ्य सम्पूर्ण सघनता के साथ उजागर हुआ है और इसी शब्द की रौशनी में जिंदगी के बहुत सारे पेंचीदा मसले तय किये हैं और मरहले पार किये हैं।[1]
कृतियाँ
- त्रिवेणी एक्सप्रेस (कहानी-संग्रह)
- चिट्ठी आई है (कहानी-संग्रह)
- नखलिस्तान (कहानी-संग्रह)
- सह्याद्रि का संगीत (यात्रा वृत्तांत)
- साक्षात्कार (लघुकथा पर डॉ॰ कमल किशोर गोयनका से बातचीत)
- मंगल टीका (बाल कहानियाँ)
- शंख सीपी रेत पानी (ग़ज़ल-संग्रह)
- अजब गजब ( बाल कविताएँ)
- तुर्रम (बाल उपन्यास)
- संस्कृति के पड़ाव
- मैं नदी की सोचता हूँ (गजल संग्रह) -2009
- अमलतास (हाइकु संग्रह) -2009
सम्पादन
सम्मान एवं पुरस्कार
- उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा 'मंगल टीका' पर 20 हजार रुपए का नामित पुरस्कार
- उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा 'शंख सीपी रेत पानी' पर 20 हजार रुपए का नामित पुरस्कार
- नखलिस्तान के लिए सर्जना पुरस्कार
- परिवेश सम्मान-2000
- आर्य स्मृति साहित्य सम्मान -2005
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ छह ग़ज़लें -कवि कमलेश भट्ट कमल (हिन्दी) सुनहरी कलम से। अभिगमन तिथि: 10 मार्च, 2015।