"लव निमेष परमानु जुग": अवतरणों में अंतर
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लव, निमेष, परमाणु, वर्ष, युग और कल्प जिनके प्रचंड बाण हैं और काल जिनका धनुष है, हे मन! तू उन राम को क्यों नहीं भजता? | लव, निमेष, परमाणु, वर्ष, युग और कल्प जिनके प्रचंड [[बाण अस्त्र|बाण]] हैं और काल जिनका [[धनुष अस्त्र|धनुष]] है, हे मन! तू उन [[राम]] को क्यों नहीं भजता? | ||
11:30, 17 मई 2016 के समय का अवतरण
लव निमेष परमानु जुग
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | 'रामचरितमानस' |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि। |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | दोहा, चौपाई और सोरठा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | लंकाकाण्ड |
लव निमेष परमानु जुग बरष कलप सर चंड। |
- भावार्थ
लव, निमेष, परमाणु, वर्ष, युग और कल्प जिनके प्रचंड बाण हैं और काल जिनका धनुष है, हे मन! तू उन राम को क्यों नहीं भजता?
लव निमेष परमानु जुग |
दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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