"केशव प्रसाद मौर्य": अवतरणों में अंतर

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'''केशव प्रसाद मौर्य''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Keshav Prasad Maurya'', जन्म- [[7 मई]], [[1968]], [[कौशाम्बी]], [[उत्तर प्रदेश]]) [[भारत]] के सबसे बड़े राजनीतिक दल [[भारतीय जनता पार्टी]] के राजनीतिज्ञों में से एक हैं। उत्तर प्रदेश में [[2017]] के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की शानदार विजय के बाद जब [[योगी आदित्यनाथ]] को प्रदेश का [[मुख्यमंत्री]] बनाया गया, तब केशव प्रसाद मौर्य तथा दिनेश शर्मा को उप-मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्होंने [[19 मार्च]], 2017 को उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। केशव जी पिछड़ों और दलितों का चेहरा माने जाते हैं। [[प्रधानमंत्री]] [[नरेंद्र मोदी]] की तरह ही केशव प्रसाद मौर्य भी बचपन में [[चाय]] बेचते थे, इसलिए कहा जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी उनसे विशेष स्नेह रहा है।
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==परिचय==
==परिचय==
केशव प्रसाद मौर्य का जन्म 7 मई, 1968 को [[कौशाम्बी]], [[उत्तर प्रदेश]] के सिराथू में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। पिता का नाम श्याम लाल मौर्य और माता का नाम धनपति देवी मौर्य है। केशव जी ने अपने [[माता]]-[[पिता]] के साथ [[कृषि]] कार्यों को करते हुए अपनी शिक्षा पूर्ण करने के लिए [[चाय]] की दुकान भी चलायी और [[समाचार पत्र]] का विक्रय भी किया। वे कोइरी समाज से हैं। उनकी पत्नी का नाम राजकुमारी देवी मौर्य है। आप दो संतानों के पिता हैं। उत्तर प्रदेश में पिछड़ों और दलितों का चेहरा माने जाने वाले केशव प्रसाद मौर्य को भारतीय जनता पार्टी ने विधान सभा चुनाव, 2017 से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। '[[राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ]]' के सम्पर्क में आने के बाद केशव प्रसाद मौर्य 'विश्व हिन्दू परिषद', 'बजरंग दल' और [[भारतीय जनता पार्टी]] में करीब 18 साल तक प्रचारक रहे। साथ ही 'श्रीराम जन्म भूमि' और गोरक्षा व [[हिन्दू]] हित के लिए अनेकों आन्दोलन किये और इसके लिए जेल भी गये।
केशव प्रसाद मौर्य का जन्म 7 मई, 1968 को [[कौशाम्बी]], [[उत्तर प्रदेश]] के सिराथू में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। पिता का नाम श्याम लाल मौर्य और माता का नाम धनपति देवी मौर्य है। केशव जी ने अपने [[माता]]-[[पिता]] के साथ [[कृषि]] कार्यों को करते हुए अपनी शिक्षा पूर्ण करने के लिए कौशाम्बी के सिराथू रेलवे स्टेशन पर [[चाय]] की दुकान भी चलायी और [[समाचार पत्र]] का विक्रय भी किया। वे कोइरी समाज से हैं। उनकी पत्नी का नाम राजकुमारी देवी मौर्य है। उनके दो पुत्र हैं- योगेश कुमार और आशीष कुमार। उत्तर प्रदेश में पिछड़ों और दलितों का चेहरा माने जाने वाले केशव प्रसाद मौर्य को भारतीय जनता पार्टी ने विधान सभा चुनाव, 2017 से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। '[[राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ]]' के सम्पर्क में आने के बाद केशव प्रसाद मौर्य 'विश्व हिन्दू परिषद', 'बजरंग दल' और [[भारतीय जनता पार्टी]] में करीब 18 साल तक प्रचारक रहे। साथ ही 'श्रीराम जन्म भूमि' और गोरक्षा व [[हिन्दू]] हित के लिए अनेकों आन्दोलन किये और इसके लिए जेल भी गये।
==राजनीतिक क्रियाकलाप==
==राजनीतिक क्रियाकलाप==
बीजेपी में केशव प्रसाद मौर्य का राजनीतिक जीवन [[2012]] में शुरू हुआ। 2012 में [[इलाहाबाद]] की सिराथू सीट से वह एमएलए बने। इसके बाद वर्ष [[2014]] में वह फूलपुर से भाजपा प्रत्याशी के रूप में तीन लाख आठ हज़ार तीन सौ आठ मतों से ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाले प्रत्याशी रहे और फिर [[सांसद]] बने। [[इलाहाबाद]] को 'स्मार्ट सिटी' के रूप में जो उपहार मिला, उसमें भी उन्होने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। [[2016]] में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बन गए। बीजेपी में उनका राजनीतिक जीवन चार साल का ही है, लेकिन विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल में वह बारह साल रहे हैं।
बीजेपी में केशव प्रसाद मौर्य का राजनीतिक जीवन [[2012]] में शुरू हुआ। 2012 में [[इलाहाबाद]] की सिराथू सीट से वह एमएलए बने। इसके बाद वर्ष [[2014]] में वह फूलपुर से भाजपा प्रत्याशी के रूप में तीन लाख आठ हज़ार तीन सौ आठ मतों से ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाले प्रत्याशी रहे और फिर [[सांसद]] बने। [[इलाहाबाद]] को 'स्मार्ट सिटी' के रूप में जो उपहार मिला, उसमें भी उन्होने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। [[2016]] में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बन गए। बीजेपी में उनका राजनीतिक जीवन चार साल का ही है, लेकिन विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल में वह बारह साल रहे हैं।


केशव प्रसाद मौर्य 'विश्व हिंदू परिषद' से 18 साल तक जुड़े रहे और गंगापार तथा यमुनापार में प्रचारक रहे। [[2002]] में पश्चिमी विधान सभा सीट से उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी के रूप में जब चुनाव लड़ा तो [[बहुजन समाज पार्टी]] के प्रत्याशी राजू पाल के हाथों हार का सामना करना पड़ा। लेकिन केशव मौर्य के लिए हार का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ। [[2007]] के चुनाव में भी उन्होंने इसी विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और एक बार फिर हार का मुंह देखना पड़ा। लेकिन आखिरकार [[2012]] के चुनाव में उन्हें सिराथू विधान सभा सीट से भारी जीत मिली। दो साल तक विधायक रहने के बाद [[2014]] के लोक सभा चुनाव में पहली बार फूलपुर सीट पर विजय पाई और [[भारतीय जनता पार्टी]] का झंडा फहरा दिया।
केशव प्रसाद मौर्य 'विश्व हिंदू परिषद' से 18 साल तक जुड़े रहे और गंगापार तथा यमुनापार में प्रचारक रहे। [[2002]] में पश्चिमी विधान सभा सीट से उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी के रूप में जब चुनाव लड़ा तो [[बहुजन समाज पार्टी]] के प्रत्याशी राजू पाल के हाथों हार का सामना करना पड़ा। लेकिन केशव मौर्य के लिए हार का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ। [[2007]] के चुनाव में भी उन्होंने इसी विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और एक बार फिर हार का मुंह देखना पड़ा। लेकिन आखिरकार [[2012]] के चुनाव में उन्हें सिराथू विधान सभा सीट से भारी जीत मिली। दो साल तक विधायक रहने के बाद [[2014]] के लोक सभा चुनाव में पहली बार फूलपुर सीट पर विजय पाई और [[भारतीय जनता पार्टी]] का झंडा फहरा दिया।
==मोदी-शाह के करीबी==
==आरएसएस के क़रीबी==
[[राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ]] के सबसे करीबी और विश्व हिन्दू परिषद के तेज तर्रार नेताओं में गिने जाने वाले केशव प्रसाद मौर्य ने विधान सभा चुनाव, 2017 के लिए अपनी पार्टी का धुआंधार प्रचार किया। चुनाव में मौर्य अच्छे वक्ता साबित हुए और उन्होंने बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा 155 चुनावी सभाएं कीं। बीजेपी में पिछड़ी जाति का चेहरा कहे जाने वाले केशव प्रसाद मौर्य को [[अमित शाह]] और [[नरेंद्र मोदी|प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी]] की खोज माना जाता है और केशव मौर्य इन दोनों ही बड़े नेताओं के करीबी माने जाते हैं।
[[राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ]] के सबसे क़रीबी और विश्व हिन्दू परिषद के तेज तर्रार नेताओं में गिने जाने वाले केशव प्रसाद मौर्य ने विधान सभा चुनाव, 2017 के लिए अपनी पार्टी का धुआंधार प्रचार किया। चुनाव में मौर्य अच्छे वक्ता साबित हुए और उन्होंने बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा 155 चुनावी सभाएं कीं। बीजेपी में पिछड़ी जाति का चेहरा कहे जाने वाले केशव प्रसाद मौर्य को [[अमित शाह]] और [[नरेंद्र मोदी|प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी]] की खोज माना जाता है और केशव मौर्य इन दोनों ही बड़े नेताओं के करीबी माने जाते हैं।





07:58, 6 मई 2018 के समय का अवतरण

केशव प्रसाद मौर्य
केशव प्रसाद मौर्य
केशव प्रसाद मौर्य
पूरा नाम केशव प्रसाद मौर्य
जन्म 7 मई, 1968
जन्म भूमि कौशाम्बी, उत्तर प्रदेश
अभिभावक पिता- श्याम लाल मौर्य, माता- धनपति देवी मौर्य
पति/पत्नी राजकुमारी देवी मौर्य
संतान दो पुत्र- योगेश कुमार और आशीष कुमार
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनीतिज्ञ, राजनेता
पार्टी भारतीय जनता पार्टी
पद वर्तमान उप-मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
शिक्षा बी.ए.
संबंधित लेख भारतीय जनता पार्टी, नरेन्द्र मोदी, योगी आदित्यनाथ, अमित शाह
अन्य जानकारी केशव प्रसाद मौर्य 2016 में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनाये गए थे। बीजेपी में उनका राजनीतिक जीवन चार साल का ही है, लेकिन विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल में वह बारह साल रहे हैं।
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केशव प्रसाद मौर्य (अंग्रेज़ी: Keshav Prasad Maurya, जन्म- 7 मई, 1968, कौशाम्बी, उत्तर प्रदेश) उत्तर प्रदेश के वर्तमान उप-मुख्यमंत्री हैं। ये भारत के सबसे बड़े राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिज्ञों में से एक हैं। उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की शानदार विजय के बाद जब योगी आदित्यनाथ को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया, तब केशव प्रसाद मौर्य तथा दिनेश शर्मा को उप-मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्होंने 19 मार्च, 2017 को उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। केशव जी पिछड़ों और दलितों का चेहरा माने जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह ही केशव प्रसाद मौर्य भी बचपन में चाय बेचते थे, इसलिए कहा जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी उनसे विशेष स्नेह रहा है।

परिचय

केशव प्रसाद मौर्य का जन्म 7 मई, 1968 को कौशाम्बी, उत्तर प्रदेश के सिराथू में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। पिता का नाम श्याम लाल मौर्य और माता का नाम धनपति देवी मौर्य है। केशव जी ने अपने माता-पिता के साथ कृषि कार्यों को करते हुए अपनी शिक्षा पूर्ण करने के लिए कौशाम्बी के सिराथू रेलवे स्टेशन पर चाय की दुकान भी चलायी और समाचार पत्र का विक्रय भी किया। वे कोइरी समाज से हैं। उनकी पत्नी का नाम राजकुमारी देवी मौर्य है। उनके दो पुत्र हैं- योगेश कुमार और आशीष कुमार। उत्तर प्रदेश में पिछड़ों और दलितों का चेहरा माने जाने वाले केशव प्रसाद मौर्य को भारतीय जनता पार्टी ने विधान सभा चुनाव, 2017 से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। 'राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ' के सम्पर्क में आने के बाद केशव प्रसाद मौर्य 'विश्व हिन्दू परिषद', 'बजरंग दल' और भारतीय जनता पार्टी में करीब 18 साल तक प्रचारक रहे। साथ ही 'श्रीराम जन्म भूमि' और गोरक्षा व हिन्दू हित के लिए अनेकों आन्दोलन किये और इसके लिए जेल भी गये।

राजनीतिक क्रियाकलाप

बीजेपी में केशव प्रसाद मौर्य का राजनीतिक जीवन 2012 में शुरू हुआ। 2012 में इलाहाबाद की सिराथू सीट से वह एमएलए बने। इसके बाद वर्ष 2014 में वह फूलपुर से भाजपा प्रत्याशी के रूप में तीन लाख आठ हज़ार तीन सौ आठ मतों से ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाले प्रत्याशी रहे और फिर सांसद बने। इलाहाबाद को 'स्मार्ट सिटी' के रूप में जो उपहार मिला, उसमें भी उन्होने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। 2016 में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बन गए। बीजेपी में उनका राजनीतिक जीवन चार साल का ही है, लेकिन विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल में वह बारह साल रहे हैं।

केशव प्रसाद मौर्य 'विश्व हिंदू परिषद' से 18 साल तक जुड़े रहे और गंगापार तथा यमुनापार में प्रचारक रहे। 2002 में पश्चिमी विधान सभा सीट से उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी के रूप में जब चुनाव लड़ा तो बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी राजू पाल के हाथों हार का सामना करना पड़ा। लेकिन केशव मौर्य के लिए हार का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ। 2007 के चुनाव में भी उन्होंने इसी विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और एक बार फिर हार का मुंह देखना पड़ा। लेकिन आखिरकार 2012 के चुनाव में उन्हें सिराथू विधान सभा सीट से भारी जीत मिली। दो साल तक विधायक रहने के बाद 2014 के लोक सभा चुनाव में पहली बार फूलपुर सीट पर विजय पाई और भारतीय जनता पार्टी का झंडा फहरा दिया।

आरएसएस के क़रीबी

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सबसे क़रीबी और विश्व हिन्दू परिषद के तेज तर्रार नेताओं में गिने जाने वाले केशव प्रसाद मौर्य ने विधान सभा चुनाव, 2017 के लिए अपनी पार्टी का धुआंधार प्रचार किया। चुनाव में मौर्य अच्छे वक्ता साबित हुए और उन्होंने बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा 155 चुनावी सभाएं कीं। बीजेपी में पिछड़ी जाति का चेहरा कहे जाने वाले केशव प्रसाद मौर्य को अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खोज माना जाता है और केशव मौर्य इन दोनों ही बड़े नेताओं के करीबी माने जाते हैं।


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