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*जब सूर्य [[मिथुन राशि]] में प्रवेश करता है, उस दिन तीन दिनों एवं 20 घटियों तक न बीजारोपण होता है और न ही वेदाध्ययन। | *जब सूर्य [[मिथुन राशि]] में प्रवेश करता है, उस दिन तीन दिनों एवं 20 घटियों तक न बीजारोपण होता है और न ही वेदाध्ययन। | ||
*[[पश्चिम बंगाल|बंगाल]] में इन दिनों [[ज्येष्ठ]], [[आषाढ़]] के [[कृष्ण पक्ष]], [[दशमी]] से [[त्रयोदशी]] तक माता [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]] एवं नदियाँ अपवित्र मानी जाती हैं। <ref>हेमाद्रि (काल पर चतुर्वर्ग, 701-703</ref> | *[[पश्चिम बंगाल|बंगाल]] में इन दिनों [[ज्येष्ठ]], [[आषाढ़]] के [[कृष्ण पक्ष]], [[दशमी]] से [[त्रयोदशी]] तक माता [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]] एवं नदियाँ अपवित्र मानी जाती हैं।<ref>हेमाद्रि (काल पर चतुर्वर्ग, 701-703</ref> | ||
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12:37, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- वह काल जब सौर आषाढ़ में सूर्य आर्द्रा-नक्षत्र के प्रथम चरण में होता है।[1]
- जब सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करता है, उस दिन तीन दिनों एवं 20 घटियों तक न बीजारोपण होता है और न ही वेदाध्ययन।
- बंगाल में इन दिनों ज्येष्ठ, आषाढ़ के कृष्ण पक्ष, दशमी से त्रयोदशी तक माता पृथ्वी एवं नदियाँ अपवित्र मानी जाती हैं।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
अन्य संबंधित लिंक
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