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नाना पाटेकर ने शुरू में कई सालो तक थिएटर में काम किया। फ़िल्मों में उनकी शुरुआत [[1974]] में मुज्जफर अली द्वारा निर्देशित फ़िल्म 'गमन' से हुई। इसके बाद उन्होंने 'मोहरे' ([[1987]]) और 'सलाम बॉम्बे' ([[1988]]) फ़िल्मों में काम किया। [[1989]] में आयी 'परिंदा' फ़िल्म में विलन का किरदार निभाकर वे फ़िल्मकारों की नजरों में आ गये। इस फ़िल्म ने उनको इंडस्ट्री में अहम स्थान दिलाया और उनको इस फ़िल्म के लिए सपोर्टिंग एक्टर का रास्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।<ref>{{cite web |url=https://gajabkhabar.com/biography-and-movies-of-nana-patekar/ |title=नाना पाटेकर |accessmonthday=20 जुलाई |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=gajabkhabar.com |language=हिंदी}}</ref>  
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[[1991]] में नाना पाटेकर ने अपनी पहली फ़िल्म 'प्रहार' निर्देशित की और इस फ़िल्म में वो खुद [[अभिनेता]] और [[माधुरी दीक्षित]] [[अभिनेत्री]] थीं। इसके बाद [[1992]] में 'अंगार' फ़िल्म में उनको बेस्ट विलेन का अवॉर्ड मिला। [[1994]] में उनकी फ़िल्म 'क्रांतिवीर' के लिए उन्हें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिला। इस फ़िल्म में उनके दमदार डॉयलाग को भुलाया नहीं जा सकता। [[1994]] में 'अभय' फ़िल्म में उन्होंने एक भूत का किरदार निभाया, जिसके लिए भी उनको अवॉर्ड मिला। इसके बाद उन्होंने 'अग्नी साक्षी' ([[1996]]), 'खामोशी' (1996) और 'वजूद' ([[1998]]) फ़िल्में की और अलग-अलग किरदार निभाएँ। नाना पाटेकर ने बॉलीवुड में हीरो और विलन दोनों तरह के किरदार निभाएँ। उन्होंने [[1996]] में संजय लीला भंसाली की फ़िल्म 'खामोशी' में एक गूंगे पिता का किरदार निभाया। हालंकि फ़िल्म सफल नहीं हुई लेकिन उनके अभिनय को काफी सराहा गया। इसके बाद कई सालो तक ये फ़िल्मों से दूर रहे और [[2005]] में 'अब तक छप्पन' से फ़िल्मों में वापसी की। इस फ़िल्म में उन्होंने एक पुलिस इंस्पेक्टर का किरदार निभाया। [[1999]] में नाना ने [[अमिताभ बच्चन]] के साथ मिलकर एक एक्शन फ़िल्म 'कोहराम' में काम किया। नाना पाटेकर ने पहली बार [[2007]] में बनी फ़िल्म 'वेलकम' में हास्य अभिनेता का किरदार निभाया। जिसमें वो [[दुबई]] के जाने माने गैंगस्टर का रोल निभाते हैं, जो [[हिंदी]] फ़िल्मों में काम करना चाहता है। 'अपहरण' फ़िल्म में उनको Filmfare Best Villain Award का अवॉर्ड मिला।   
[[1991]] में नाना पाटेकर ने अपनी पहली फ़िल्म 'प्रहार' निर्देशित की और इस फ़िल्म में वो खुद [[अभिनेता]] और [[माधुरी दीक्षित]] [[अभिनेत्री]] थीं। इसके बाद [[1992]] में 'अंगार' फ़िल्म में उनको बेस्ट विलेन का अवॉर्ड मिला। [[1994]] में उनकी फ़िल्म 'क्रांतिवीर' के लिए उन्हें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिला। इस फ़िल्म में उनके दमदार डॉयलाग को भुलाया नहीं जा सकता। [[1994]] में 'अभय' फ़िल्म में उन्होंने एक भूत का किरदार निभाया, जिसके लिए भी उनको अवॉर्ड मिला। इसके बाद उन्होंने 'अग्नी साक्षी' ([[1996]]), 'खामोशी' (1996) और 'वजूद' ([[1998]]) फ़िल्में की और अलग-अलग किरदार निभाएँ। नाना पाटेकर ने बॉलीवुड में हीरो और विलन दोनों तरह के किरदार निभाएँ। उन्होंने [[1996]] में संजय लीला भंसाली की फ़िल्म 'खामोशी' में एक गूंगे पिता का किरदार निभाया। हालंकि फ़िल्म सफल नहीं हुई लेकिन उनके अभिनय को काफी सराहा गया। इसके बाद कई सालो तक ये फ़िल्मों से दूर रहे और [[2005]] में 'अब तक छप्पन' से फ़िल्मों में वापसी की। इस फ़िल्म में उन्होंने एक पुलिस इंस्पेक्टर का किरदार निभाया। [[1999]] में नाना ने [[अमिताभ बच्चन]] के साथ मिलकर एक एक्शन फ़िल्म 'कोहराम' में काम किया। नाना पाटेकर ने पहली बार [[2007]] में बनी फ़िल्म 'वेलकम' में हास्य अभिनेता का किरदार निभाया। जिसमें वो [[दुबई]] के जाने माने गैंगस्टर का रोल निभाते हैं, जो [[हिंदी]] फ़िल्मों में काम करना चाहता है। 'अपहरण' फ़िल्म में उनको सर्वश्रेष्ठ खलनायक का फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड मिला।   


नाना ने कई मराठी नाटकों और फ़िल्मों में भी काम किया। इनके अलावा इनकी कुछ जानी मानी फ़िल्में 'ब्लफमास्टर', 'टैक्सी न. 9211', 'राजनीति', 'पाठशाला', 'यहाँ के हम सिकन्दर', 'इट्स माय लाइफ', और 'हुतुतू' है। [[2015]] में नाना ने 'अब तक छप्पन' की सीरीज 'अब तक छप्पन 2' में काम किया। नाना पाटेकर ने कुछ फ़िल्मों जैसे 'आंच' ([[2003]]), 'वजूद' ([[1998]]), और 'यशवंत' ([[1997]]) में पार्श्व गायक का काम भी किया। इन सबके अलावा दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले “जंगल बुक” कार्टून शो में नाना ने शेरख़ान की आवाज़ दी।
नाना ने कई मराठी नाटकों और फ़िल्मों में भी काम किया। इनके अलावा इनकी कुछ जानी मानी फ़िल्में 'ब्लफमास्टर', 'टैक्सी न. 9211', 'राजनीति', 'पाठशाला', 'यहाँ के हम सिकन्दर', 'इट्स माय लाइफ', और 'हुतुतू' है। [[2015]] में नाना ने 'अब तक छप्पन' की सीरीज 'अब तक छप्पन 2' में काम किया। नाना पाटेकर ने कुछ फ़िल्मों जैसे 'आंच' ([[2003]]), 'वजूद' ([[1998]]), और 'यशवंत' ([[1997]]) में पार्श्व गायक का काम भी किया। इन सबके अलावा दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले “जंगल बुक” कार्टून शो में नाना ने शेरख़ान की आवाज़ दी।

13:21, 21 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण

नाना पाटेकर विषय सूची
नाना पाटेकर का फ़िल्मी कॅरियर
नाना पाटेकर
नाना पाटेकर
पूरा नाम विश्वनाथ नाना पाटेकर
प्रसिद्ध नाम नाना पाटेकर
अन्य नाम नाना
जन्म 1 जनवरी, 1951
जन्म भूमि मुरुड-जंजिरा, महाराष्ट्र
अभिभावक दिनकर पाटेकर और संजनाबाई पाटेकर
पति/पत्नी नीलकंठी पाटेकर
संतान मल्हार पाटेकर
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र सिनेमा जगत
मुख्य फ़िल्में 'परिंदा', 'अंगार', 'क्रान्तिवीर', 'तिरंगा', 'अभय', 'अग्नि साक्षी', 'खामोशी', 'वजूद', 'ब्लफ़मास्टर', 'टैक्सी न. 9 2 11', 'राजनीति', 'वेलकम', 'अब तक छप्पन', 'द अटैक्स ऑफ़ 26/11' आदि
शिक्षा स्नातक
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री (2013)
विशेष योगदान नाना पाटेकर ने अपने साथी मकरंद अनासपुरे के साथ मिलकर “नाम फाउंडेशन” की स्थापना की, जो किसानों की मदद करती है।
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता और सर्वश्रेष्ठ खलनायक की श्रेणी में फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड जीतने वाले वे एकमात्र अभिनेता हैं।
अद्यतन‎

नाना पाटेकर की बॉलीवुड में अभिनेता के तौर पर “एंग्री यंगमैन” के रूप में एक ख़ास पहचान हैं, जो अमिताभ बच्चन और मिथुन चक्रवर्ती से बिल्कुल अलग है। फ़िल्मों में नाना पाटेकर ने विलेन, लीड, कॉमिक हर तरह के रोल में अपनी श्रेष्ठता की छाप छोड़ी है। नाना पाटेकर ने कुछ फ़िल्मों जैसे 'आंच' (2003), 'वजूद' (1998), और 'यशवंत' (1997) में पार्श्व गायक का काम भी किया। इन सबके अलावा नाना ने दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले “जंगल बुक” कार्टून शो में शेरख़ान की आवाज़ दी।

फ़िल्मी कॅरियर

नाना पाटेकर ने शुरू में कई सालो तक थिएटर में काम किया। फ़िल्मों में उनकी शुरुआत 1974 में मुज्जफर अली द्वारा निर्देशित फ़िल्म 'गमन' से हुई। इसके बाद उन्होंने 'मोहरे' (1987) और 'सलाम बॉम्बे' (1988) फ़िल्मों में काम किया। 1989 में आयी 'परिंदा' फ़िल्म में विलन का किरदार निभाकर वे फ़िल्मकारों की नजरों में आ गये। इस फ़िल्म ने उनको इंडस्ट्री में अहम स्थान दिलाया और उनको इस फ़िल्म के लिए सपोर्टिंग एक्टर का रास्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।[1]

निर्देशन के रूप में

1991 में नाना पाटेकर ने अपनी पहली फ़िल्म 'प्रहार' निर्देशित की और इस फ़िल्म में वो खुद अभिनेता और माधुरी दीक्षित अभिनेत्री थीं। इसके बाद 1992 में 'अंगार' फ़िल्म में उनको बेस्ट विलेन का अवॉर्ड मिला। 1994 में उनकी फ़िल्म 'क्रांतिवीर' के लिए उन्हें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिला। इस फ़िल्म में उनके दमदार डॉयलाग को भुलाया नहीं जा सकता। 1994 में 'अभय' फ़िल्म में उन्होंने एक भूत का किरदार निभाया, जिसके लिए भी उनको अवॉर्ड मिला। इसके बाद उन्होंने 'अग्नी साक्षी' (1996), 'खामोशी' (1996) और 'वजूद' (1998) फ़िल्में की और अलग-अलग किरदार निभाएँ। नाना पाटेकर ने बॉलीवुड में हीरो और विलन दोनों तरह के किरदार निभाएँ। उन्होंने 1996 में संजय लीला भंसाली की फ़िल्म 'खामोशी' में एक गूंगे पिता का किरदार निभाया। हालंकि फ़िल्म सफल नहीं हुई लेकिन उनके अभिनय को काफी सराहा गया। इसके बाद कई सालो तक ये फ़िल्मों से दूर रहे और 2005 में 'अब तक छप्पन' से फ़िल्मों में वापसी की। इस फ़िल्म में उन्होंने एक पुलिस इंस्पेक्टर का किरदार निभाया। 1999 में नाना ने अमिताभ बच्चन के साथ मिलकर एक एक्शन फ़िल्म 'कोहराम' में काम किया। नाना पाटेकर ने पहली बार 2007 में बनी फ़िल्म 'वेलकम' में हास्य अभिनेता का किरदार निभाया। जिसमें वो दुबई के जाने माने गैंगस्टर का रोल निभाते हैं, जो हिंदी फ़िल्मों में काम करना चाहता है। 'अपहरण' फ़िल्म में उनको सर्वश्रेष्ठ खलनायक का फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड मिला।

नाना ने कई मराठी नाटकों और फ़िल्मों में भी काम किया। इनके अलावा इनकी कुछ जानी मानी फ़िल्में 'ब्लफमास्टर', 'टैक्सी न. 9211', 'राजनीति', 'पाठशाला', 'यहाँ के हम सिकन्दर', 'इट्स माय लाइफ', और 'हुतुतू' है। 2015 में नाना ने 'अब तक छप्पन' की सीरीज 'अब तक छप्पन 2' में काम किया। नाना पाटेकर ने कुछ फ़िल्मों जैसे 'आंच' (2003), 'वजूद' (1998), और 'यशवंत' (1997) में पार्श्व गायक का काम भी किया। इन सबके अलावा दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले “जंगल बुक” कार्टून शो में नाना ने शेरख़ान की आवाज़ दी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. नाना पाटेकर (हिंदी) gajabkhabar.com। अभिगमन तिथि: 20 जुलाई, 2017।

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