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*एक पक्ष के लिए, चार मासों या एक वर्ष के लिए किया जाता है।  
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*कर्ता को पहली से पन्द्रहवीं तिथि तक कुछ वस्तुओं को ही खाना पड़ता है।  
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*व्रत के एक दिन पूर्व तीन बार स्नान किया जाता है।
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*इस व्रत में वैदिक मन्त्रों, गायत्री आदि का पाठ किया जाता है।  
*इस व्रत में वैदिक मन्त्रों, गायत्री आदि का पाठ किया जाता है।  
*इससे बहुत से पुण्य होते है।
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12:57, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • एक पक्ष के लिए, चार मासों या एक वर्ष के लिए किया जाता है।
  • कर्ता को पहली से पन्द्रहवीं तिथि तक कुछ वस्तुओं को ही खाना पड़ता है।
  • वस्तुओं का क्रम कुछ यूं है–दूध, पुष्प, सभी प्रकार का भोजन, किन्तु नमक नहीं, तिल, दूध, घी, पुष्प, तरकारियाँ, बेल, आटा, अपक्व भोजन, उपवास, दूध में चावल एवं गुड़ (उबाला हुआ), जौ, गोमूत्र एवं कुश से पवित्र किया हुआ जल होता है।
  • इन सभी दिनों तक एक निश्चित् तिथि का प्रयोग होता है।
  • व्रत के एक दिन पूर्व तीन बार स्नान किया जाता है।
  • इस व्रत में वैदिक मन्त्रों, गायत्री आदि का पाठ किया जाता है।
  • इससे बहुत से पुण्य होते हैं।
  • वह अन्त में सूर्यलोक को जाता है।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रत0 2, 392-394, भविष्य पुराण से उद्धरण

अन्य संबंधित लिंक

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