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*कपिला गाय की पूजा तथा ताम्रपात्र में एक प्रस्थ तिल तथा एक स्वर्णिम बैल का, वस्त्रों, पुष्पों एवं गड़ का 'अर्यमा प्रसन्न हों' के साथ में दान दिया जाता है।
*कपिला गाय की पूजा तथा ताम्रपात्र में एक प्रस्थ तिल तथा एक स्वर्णिम बैल का, वस्त्रों, पुष्पों एवं गड़ का 'अर्यमा प्रसन्न हों' के साथ में दान दिया जाता है।
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10:50, 21 मार्च 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • आश्विन शुक्ल पक्ष की सप्तमी पर आरम्भ होता है।
  • कपिला गाय की पूजा तथा ताम्रपात्र में एक प्रस्थ तिल तथा एक स्वर्णिम बैल का, वस्त्रों, पुष्पों एवं गड़ का 'अर्यमा प्रसन्न हों' के साथ में दान दिया जाता है।
  • देवता अर्यमा।
  • प्रति मास एक वर्ष तक यह व्रत किया जाता है।[1]

 

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मत्स्य पुराण (80|1-14); कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 231-223); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 648-650, पद्म पुराण 5|21|307-321 से उद्धरण); भविष्योत्तरपुराण (51|1-14)।

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