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'''अंगग्रह''' - [[संज्ञा]] [[पुल्लिंग]] ([[संस्कृत]] अंङ्गग्रह)<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिंदी शब्दसागर, प्रथम भाग |लेखक= श्यामसुंदरदास बी. ए.|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=नागरी मुद्रण, वाराणसी |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=05|url=|ISBN=}}</ref>
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1. एक रोग जिससे देह में पीड़ा होती है।
1. एक रोग, जिससे देह में पीड़ा होती है।


2. [[स्थापत्य कला|स्थापत्य]] में पत्थरों के एक दूसरे के ऊपर फिसल न जाने अथवा उनके जोड़ों को अलग होने से रोकने के लिये उनके बीच बैठाया जाने वाला [[कबूतर]] की पूँछ के आकार का [[लोहा|लोहे]] या [[ताँबा|ताँबे]] का एक टुकड़ा। पाहू।
2. [[स्थापत्य कला|स्थापत्य]] में पत्थरों के एक दूसरे के ऊपर फिसल न जाने अथवा उनके जोड़ों को अलग होने से रोकने के लिये उनके बीच बैठाया जाने वाला [[कबूतर]] की पूँछ के आकार का [[लोहा|लोहे]] या [[ताँबा|ताँबे]] का एक टुकड़ा।  
 
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13:41, 5 जनवरी 2020 के समय का अवतरण

अंगग्रह - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत अंङ्गग्रह)[1]

1. एक रोग, जिससे देह में पीड़ा होती है।

2. स्थापत्य में पत्थरों के एक दूसरे के ऊपर फिसल न जाने अथवा उनके जोड़ों को अलग होने से रोकने के लिये उनके बीच बैठाया जाने वाला कबूतर की पूँछ के आकार का लोहे या ताँबे का एक टुकड़ा।

3. पाहू।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, प्रथम भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 05 |

बाहरी कड़ियाँ

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