"हिम पूजा": अवतरणों में अंतर
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*यदि [[हिमालय]] के पास हों तो पितरों को हिम से मिश्रित मधु, तिल एवं घी देना चाहिए और जहाँ घी न हो 'हिम-हिम' का उच्चारण करना चाहिए तथा ब्राह्मणों को घृतपूर्ण माष का भोजन देना चाहिए। | *यदि [[हिमालय]] के पास हों तो पितरों को हिम से मिश्रित मधु, तिल एवं घी देना चाहिए और जहाँ घी न हो 'हिम-हिम' का उच्चारण करना चाहिए तथा ब्राह्मणों को घृतपूर्ण माष का भोजन देना चाहिए। | ||
*गीतों एवं नृत्य के साथ उत्सव तथा श्यामा देवी की पूजा करनी चाहिए। | *गीतों एवं नृत्य के साथ उत्सव तथा श्यामा देवी की पूजा करनी चाहिए। | ||
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13:01, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- पुष्पों एवं दूध के नैवेद्य से चन्द्र, विष्णु के वाम नेत्र की पूर्णिमा पर पूजा की जाती है।
- गायों को नमक देना चाहिए।
- माता, बहिन, पुत्री को नये वस्त्रों से सम्मानित करना चाहिए।
- यदि हिमालय के पास हों तो पितरों को हिम से मिश्रित मधु, तिल एवं घी देना चाहिए और जहाँ घी न हो 'हिम-हिम' का उच्चारण करना चाहिए तथा ब्राह्मणों को घृतपूर्ण माष का भोजन देना चाहिए।
- गीतों एवं नृत्य के साथ उत्सव तथा श्यामा देवी की पूजा करनी चाहिए।
- सुरा पीने वालों को ताजी सुरा दी जाती है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कृत्यरत्नाकर (471-472, ब्रह्म पुराण से उद्धरण
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