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*विष्णुधर्मोत्तरपुराण<ref>विष्णुधर्मोत्तरपुराण, (3|317 | *विष्णुधर्मोत्तरपुराण<ref>विष्णुधर्मोत्तरपुराण, (3|317</ref> ने विभिन्न ऋतुओं, मासों, सप्ताहों एवं नक्षत्रों में दिये जाने वाले पुरस्कारों (फलों या पुण्यों) का वर्णन किया है। | ||
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07:22, 15 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- दानसागर[1], कृत्यरत्नाकर[2] में उल्लेख प्राप्त है।
- कृत्यरत्नाकर[3] ने विभिन्न तिथियों में दिये जाने वाले दानों का उल्लेख दिया है।
- विष्णुधर्मोत्तरपुराण[4] ने विभिन्न ऋतुओं, मासों, सप्ताहों एवं नक्षत्रों में दिये जाने वाले पुरस्कारों (फलों या पुण्यों) का वर्णन किया है।
- दान करने से मनुष्य को सुख की प्राप्ति होती है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
अन्य संबंधित लिंक
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