"गोकुल": अवतरणों में अंतर
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{{सूचना बक्सा पर्यटन | |||
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'''गोकुल''' [[कृष्ण|भगवान श्रीकृष्ण]] से जुड़ा [[ब्रज]] का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह स्थल [[मथुरा]] से 15 कि.मी. की दूरी पर [[यमुना]] के पार स्थित है। यह वैष्णव तीर्थ है। यथार्थ [[महावन]] और गोकुल एक ही है। [[नन्दबाबा]] अपने परिजनों को लेकर [[नन्दगाँव]] से 'वृहद्वन' या 'महावन' में बस गये थे। गौ, [[गोप]], [[गोपी]] आदि का समूह वास करने के कारण महावन को ही 'गोकुल' कहा गया है। | |||
==इतिहास== | |||
नन्दबाबा के समय गोकुल नाम का कोई पृथक् रूप में गाँव या नगर नहीं था। यथार्थ में यह गोकुल आधुनिक बस्ती है। यहाँ पर नन्दबाबा की गऊओं का खिड़क था। आज से लगभग पाँच सौ पच्चीस वर्ष पहले [[चैतन्य महाप्रभु]] के [[ब्रज]] आगमन के पश्चात् [[वल्लभाचार्य]] ने यमुना के इस मनोहर तट पर [[भागवत पुराण|श्रीमद्भागवत]] का पारायण किया था। इनके [[पुत्र]] श्री विट्ठलाचार्य और उनके पुत्र श्रीगोकुलनाथ जी की बैठकें भी यहाँ पर हैं। असल में [[विट्ठलनाथ|श्रीविट्ठलनाथ]] ने औरंगजेब को चमत्कार दिखला कर इस स्थान का अपने नाम पर पट्टा लिया था। उन्होंने ही इस गोकुल को बसाया। उनके पश्चात् श्रीगोकुलनाथ के पुत्र, परिवारों के सहित इस गोकुल में ही रहते थे। श्रीवल्लभकुल के गोस्वामी गोकुल में ही रहते थे। उन्होंने यहाँ पर मथुरेशजी, विट्ठलनाथ जी, [[द्वारिकाधीश मंदिर मथुरा|द्वारिकाधीश जी]], गोकुलचन्द्रमा जी, बालकृष्ण जी तथा [[मदन मोहन मन्दिर वृन्दावन|श्रीमदनमोहन जी]] के श्रीविग्रहों को प्रतिष्ठा की थी। बाद में श्रीमथुरेश जी कोटा, श्रीविट्ठलनाथ जी नाथद्वारा, श्रीद्वारिकाधीश जी कांकरौली, गोकुलचन्द्रमा जी [[काम्यकवन|कामवन]], श्रीबालकृष्ण जी सूरत और मदनमोहन जी कामवन पधार गये। | |||
श्रीवल्लभकुल के गोस्वामी गोकुल में रहने के कारण 'गोकुलिया गोस्वामी' के नाम से प्रसिद्ध हुए। विश्वास किया जाता है कि भगवान कृष्ण ने यहाँ गौएँ चरायी थीं। कहा जाता है, श्रीकृष्ण के पालक पिता [[नन्द]] का यहाँ गोष्ठ था। संप्रति वल्लभाचार्य, उनके पुत्र गुसाँई बिट्ठलनाथ जी एवं गोकुलनाथजी की बैठकें हैं। मुख्य मन्दिर गोकुलनाथ जी का है। यहाँ वल्लभकुल के चौबीस मन्दिर बतलाये जाते हैं। महालिंगेश्वर तन्त्र में शिवशतनाम स्तोत्र के अनुसार महादेव गोपीश्वर का यह स्थान है- | |||
गोकुले गोपिनीपूज्यो गोपीश्वर इतीरित:। | गोकुले गोपिनीपूज्यो गोपीश्वर इतीरित:। | ||
- | [[चित्र:gokul-ghat.jpg|[[यमुना नदी|यमुना]], गोकुल<br /> Yamuna, Gokul|thumb|left|250px]] | ||
==महत्त्व== | |||
गोकुल [[ब्रज]] का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थल है। यहीं पर [[रोहिणी]] ने [[बलराम]] को जन्म दिया था। बलराम [[देवकी]] के सातवें गर्भ में थे, जिन्हें योगमाया ने आकर्षित करके रोहिणी के गर्भ में डाल दिया था। [[मथुरा]] में [[कृष्ण]] के जन्म के बाद [[कंस]] के सभी सैनिकों को नींद आ गयी और [[वसुदेव|वासुदेव]] की बेड़ियाँ खुल गयी थीं। तब [[वासुदेव]] कृष्ण को गोकुल में नन्दराय के यहाँ छोड़ आये थे। नन्दराय जी के घर लाला का जन्म हुआ है, धीरे-धीरे यह बात गोकुल में फैल गयी। सभी गोपगण, [[गोपी|गोपियाँ]], गोकुलवासी खुशियाँ मनाने लगे। सभी घर, गलियाँ चौक आदि सजाये जाने लगे और बधाइयाँ गायी जाने लगीं। कृष्ण और बलराम का पालन पोषण यहीं हुआ और दोनों अपनी लीलाओं से सभी का मन मोहते रहे। घुटनों के बल चलते हुए दोनों [[भाई]] को देखना गोकुलवासियों को सुख देता था, वहीं माखन चुराकर कृष्ण [[ब्रज]] की गोपिकाओं के दुखों को हर लेते थे। गोपियाँ कृष्ण को [[छाछ]] और [[माखन]] का लालच देकर नचाती थीं तो कृष्ण [[बांसुरी]] की धुन से सभी को मन्त्र मुग्ध कर देते थे। कृष्ण ने गोकुल में रहते हुए [[पूतना-वध|पूतना]], [[शकटासुर वध|शकटासुर]], [[तृणावर्त]] आदि [[असुर|असुरों]] को मोक्ष प्रदान किया। गोकुल से आगे 2 किलोमीटर दूर [[महावन]] है। लोग इसे 'पुरानी गोकुल' कहते हैं। यहाँ चौरासी खम्भों का मन्दिर, नन्देश्वर महादेव, मथुरा नाथ, द्वारिका नाथ आदि मन्दिर हैं। | |||
==दर्शनीय स्थान== | ==दर्शनीय स्थान== | ||
;श्रीठाकुरानीघाट | |||
गोकुल का यह मुख्य घाट है। श्रीवल्लभाचार्य जी को यहीं पर | यह गोकुल का यह मुख्य घाट है। श्रीवल्लभाचार्य जी को यहीं पर यमुना महारानी का दर्शन प्राप्त हुआ था। उन्होंने यहीं पर सर्वप्रथम दीक्षा देना आरम्भ किया। इसलिए 'वल्लभ संप्रदाय' के वैष्णवों के लिए यह घाट बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान है। | ||
;गोविन्द घाट | |||
श्रीवल्लभाचार्यजी जब | श्रीवल्लभाचार्यजी जब ब्रज में आये, तब [[यमुना]] के इस घाट का दर्शन कर बड़े आकर्षित हुए। उन्होंने बड़े-बूढ़े ब्रजवासियों से सुना कि पास ही [[नन्दबाबा]] की खिड़क थी और यह घाट जहाँ वह बैठे हैं, वह घाट गोविन्द घाट के नाम से विख्यात हैं। श्रीवल्लभाचार्यजी उस स्थान का दर्शन कर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इस घाट पर [[शमी]] [[वृक्ष]] के नीचे '[[भागवत पुराण|श्रीमद्भागवत]]' का सप्ताह-पारायण किया। इसके अतिरिक्त यहाँ निम्न स्थल भी दर्शनीय हैं- | ||
[[चित्र:Gokul-Ghat-2.jpg|गोकुल घाट | [[चित्र:Gokul-Ghat-2.jpg|गोकुल घाट|thumb|250px]] | ||
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*श्रीमाधवराय जी का मन्दिर, | *श्रीमाधवराय जी का मन्दिर, | ||
*श्रीगोकुलनाथ जी का मन्दिर, | *श्रीगोकुलनाथ जी का मन्दिर, | ||
* | *[[नवनीत प्रिया जी मन्दिर गोकुल|श्री नवनीत प्रिया जी का मन्दिर]], | ||
*श्रीद्वारकानाथजी का मन्दिर, | *श्रीद्वारकानाथजी का मन्दिर, | ||
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*श्रीमथुरानाथजी का मन्दिर तथा | *श्रीमथुरानाथजी का मन्दिर तथा | ||
*श्रीनन्दमहाराज जी के छकड़ा रखने आदि स्थान दर्शनीय हैं। गोकुल के सामने यमुना के उसपार नौरंगाबाद गाँव है। उसमें श्रीगंगा जी का मन्दिर तथा दूसरे दर्शनीय स्थान हैं। | *श्रीनन्दमहाराज जी के छकड़ा रखने आदि स्थान दर्शनीय हैं। गोकुल के सामने यमुना के उसपार नौरंगाबाद गाँव है। उसमें श्रीगंगा जी का मन्दिर तथा दूसरे दर्शनीय स्थान हैं। | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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13:27, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
गोकुल
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विवरण | 'गोकुल' प्रसिद्ध हिन्दू धार्मिक स्थल है। भगवान श्रीकृष्ण तथा बलराम ने अपनी बाल्यवस्था के कुछ वर्ष यहाँ व्यतीत किए थे। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | मथुरा |
भौगोलिक स्थिति | मथुरा से 15 कि.मी. की दूरी पर यमुना के पार। |
प्रसिद्धि | हिन्दू धार्मिक स्थल |
मथुरा जंक्शन, मथुरा छावनी | |
बस, कार, ऑटो, रिक्शा | |
क्या देखें | नवनीत प्रिया मन्दिर, कालियदह |
कहाँ ठहरें | होटल, धर्मशालाएँ आदि। |
संबंधित लेख | श्रीकृष्ण, बलराम, नन्दबाबा, यशोदा, रोहिणी, कालिय नाग, ब्रह्माण्ड घाट आदि।
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अन्य जानकारी | विश्वास किया जाता है कि भगवान कृष्ण ने यहाँ गौएँ चरायी थीं। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण के पालक पिता नन्द का यहाँ गोष्ठ था। संप्रति वल्लभाचार्य, उनके पुत्र गोसाईं विट्ठलनाथ जी एवं गोकुलनाथजी को बैठकें है। मुख्य मन्दिर गोकुलनाथ जी का है। |
अद्यतन | 16:51, 23 जुलाई 2016 (IST)
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गोकुल भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा ब्रज का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह स्थल मथुरा से 15 कि.मी. की दूरी पर यमुना के पार स्थित है। यह वैष्णव तीर्थ है। यथार्थ महावन और गोकुल एक ही है। नन्दबाबा अपने परिजनों को लेकर नन्दगाँव से 'वृहद्वन' या 'महावन' में बस गये थे। गौ, गोप, गोपी आदि का समूह वास करने के कारण महावन को ही 'गोकुल' कहा गया है।
इतिहास
नन्दबाबा के समय गोकुल नाम का कोई पृथक् रूप में गाँव या नगर नहीं था। यथार्थ में यह गोकुल आधुनिक बस्ती है। यहाँ पर नन्दबाबा की गऊओं का खिड़क था। आज से लगभग पाँच सौ पच्चीस वर्ष पहले चैतन्य महाप्रभु के ब्रज आगमन के पश्चात् वल्लभाचार्य ने यमुना के इस मनोहर तट पर श्रीमद्भागवत का पारायण किया था। इनके पुत्र श्री विट्ठलाचार्य और उनके पुत्र श्रीगोकुलनाथ जी की बैठकें भी यहाँ पर हैं। असल में श्रीविट्ठलनाथ ने औरंगजेब को चमत्कार दिखला कर इस स्थान का अपने नाम पर पट्टा लिया था। उन्होंने ही इस गोकुल को बसाया। उनके पश्चात् श्रीगोकुलनाथ के पुत्र, परिवारों के सहित इस गोकुल में ही रहते थे। श्रीवल्लभकुल के गोस्वामी गोकुल में ही रहते थे। उन्होंने यहाँ पर मथुरेशजी, विट्ठलनाथ जी, द्वारिकाधीश जी, गोकुलचन्द्रमा जी, बालकृष्ण जी तथा श्रीमदनमोहन जी के श्रीविग्रहों को प्रतिष्ठा की थी। बाद में श्रीमथुरेश जी कोटा, श्रीविट्ठलनाथ जी नाथद्वारा, श्रीद्वारिकाधीश जी कांकरौली, गोकुलचन्द्रमा जी कामवन, श्रीबालकृष्ण जी सूरत और मदनमोहन जी कामवन पधार गये।
श्रीवल्लभकुल के गोस्वामी गोकुल में रहने के कारण 'गोकुलिया गोस्वामी' के नाम से प्रसिद्ध हुए। विश्वास किया जाता है कि भगवान कृष्ण ने यहाँ गौएँ चरायी थीं। कहा जाता है, श्रीकृष्ण के पालक पिता नन्द का यहाँ गोष्ठ था। संप्रति वल्लभाचार्य, उनके पुत्र गुसाँई बिट्ठलनाथ जी एवं गोकुलनाथजी की बैठकें हैं। मुख्य मन्दिर गोकुलनाथ जी का है। यहाँ वल्लभकुल के चौबीस मन्दिर बतलाये जाते हैं। महालिंगेश्वर तन्त्र में शिवशतनाम स्तोत्र के अनुसार महादेव गोपीश्वर का यह स्थान है- गोकुले गोपिनीपूज्यो गोपीश्वर इतीरित:।
महत्त्व
गोकुल ब्रज का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थल है। यहीं पर रोहिणी ने बलराम को जन्म दिया था। बलराम देवकी के सातवें गर्भ में थे, जिन्हें योगमाया ने आकर्षित करके रोहिणी के गर्भ में डाल दिया था। मथुरा में कृष्ण के जन्म के बाद कंस के सभी सैनिकों को नींद आ गयी और वासुदेव की बेड़ियाँ खुल गयी थीं। तब वासुदेव कृष्ण को गोकुल में नन्दराय के यहाँ छोड़ आये थे। नन्दराय जी के घर लाला का जन्म हुआ है, धीरे-धीरे यह बात गोकुल में फैल गयी। सभी गोपगण, गोपियाँ, गोकुलवासी खुशियाँ मनाने लगे। सभी घर, गलियाँ चौक आदि सजाये जाने लगे और बधाइयाँ गायी जाने लगीं। कृष्ण और बलराम का पालन पोषण यहीं हुआ और दोनों अपनी लीलाओं से सभी का मन मोहते रहे। घुटनों के बल चलते हुए दोनों भाई को देखना गोकुलवासियों को सुख देता था, वहीं माखन चुराकर कृष्ण ब्रज की गोपिकाओं के दुखों को हर लेते थे। गोपियाँ कृष्ण को छाछ और माखन का लालच देकर नचाती थीं तो कृष्ण बांसुरी की धुन से सभी को मन्त्र मुग्ध कर देते थे। कृष्ण ने गोकुल में रहते हुए पूतना, शकटासुर, तृणावर्त आदि असुरों को मोक्ष प्रदान किया। गोकुल से आगे 2 किलोमीटर दूर महावन है। लोग इसे 'पुरानी गोकुल' कहते हैं। यहाँ चौरासी खम्भों का मन्दिर, नन्देश्वर महादेव, मथुरा नाथ, द्वारिका नाथ आदि मन्दिर हैं।
दर्शनीय स्थान
- श्रीठाकुरानीघाट
यह गोकुल का यह मुख्य घाट है। श्रीवल्लभाचार्य जी को यहीं पर यमुना महारानी का दर्शन प्राप्त हुआ था। उन्होंने यहीं पर सर्वप्रथम दीक्षा देना आरम्भ किया। इसलिए 'वल्लभ संप्रदाय' के वैष्णवों के लिए यह घाट बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान है।
- गोविन्द घाट
श्रीवल्लभाचार्यजी जब ब्रज में आये, तब यमुना के इस घाट का दर्शन कर बड़े आकर्षित हुए। उन्होंने बड़े-बूढ़े ब्रजवासियों से सुना कि पास ही नन्दबाबा की खिड़क थी और यह घाट जहाँ वह बैठे हैं, वह घाट गोविन्द घाट के नाम से विख्यात हैं। श्रीवल्लभाचार्यजी उस स्थान का दर्शन कर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इस घाट पर शमी वृक्ष के नीचे 'श्रीमद्भागवत' का सप्ताह-पारायण किया। इसके अतिरिक्त यहाँ निम्न स्थल भी दर्शनीय हैं-
- गोकुलनाथजी का बाग,
- बाजनटीला,
- सिंहपौड़ी,
- यशोदाघाट,
- श्रीविट्ठलनाथ जी का मन्दिर,
- श्रीमदनमोहन जी का मन्दिर,
- श्रीमाधवराय जी का मन्दिर,
- श्रीगोकुलनाथ जी का मन्दिर,
- श्री नवनीत प्रिया जी का मन्दिर,
- श्रीद्वारकानाथजी का मन्दिर,
- ब्रह्मछोकरा वृक्ष,
- श्रीगोकुलचन्द्रमाजी का मन्दिर,
- श्रीमथुरानाथजी का मन्दिर तथा
- श्रीनन्दमहाराज जी के छकड़ा रखने आदि स्थान दर्शनीय हैं। गोकुल के सामने यमुना के उसपार नौरंगाबाद गाँव है। उसमें श्रीगंगा जी का मन्दिर तथा दूसरे दर्शनीय स्थान हैं।
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वीथिका
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गोकुल बैराज, गोकुल
Gokul Barrage, Gokul -
कृष्ण द्वार, गोकुल
Krishna Dwar, Gokul -
गोकुल घाट, गोकुल
Gokul Ghat, Gokul -
नवनीतप्रिया जी का मन्दिर, गोकुल
NavneetPriya Ji Temple, Gokul -
गोकुल बैराज, गोकुल
Gokul Barrage, Gokul -
यमुना, गोकुल
Yamuna, Gokul -
यमुना, गोकुल
Yamuna, Gokul -
गोकुल घाट, गोकुल
Gokul Ghat, Gokul
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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