"सदस्य:DrMKVaish": अवतरणों में अंतर
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;चुम्बकीय क्षेत्र | ;चुम्बकीय क्षेत्र | ||
बहुत से विद्वानों का मत है कि सागर के इस भाग में एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र होने के कारण जहाजों में लगे उपकरण यहाँ काम करना बंद कर देते हैं तथा रेडियो तरंगों के संकेतों को काट कर इन यन्त्रों को खराब कर देता है इससे जहाज रास्ता भटक जाते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। यानी यहां भौतिक के कुछ नियम बदल जाते है । | बहुत से विद्वानों का मत है कि सागर के इस भाग में एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र होने के कारण जहाजों में लगे उपकरण यहाँ काम करना बंद कर देते हैं तथा रेडियो तरंगों के संकेतों को काट कर इन यन्त्रों को खराब कर देता है इससे जहाज रास्ता भटक जाते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। यानी यहां भौतिक के कुछ नियम बदल जाते है । | ||
;इलेक्ट्रोमेगनेटिक फिल्ड | |||
कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बरमूडा टायएंगल के आसमान में बादलों के बीच तेज आवाज के बीच बिजलियां कड़कड़ते हुए देखने की बात कही, जिससे वहां इलेक्ट्रोमेगनेटिक फिल्ड बनता है और फिर बादल और समंदर के बीच बबंडर उठता है, जिसे इलेक्ट्रोनिक फॉग कहा गया। जिसमें फंस कर जहाज और विमान लापता हो जाते हैं। लेकिन बरमूडा में इलेक्ट्रानिक फॉग किस तरह बनता है, इसके बारे में जानकारी नहीं हैं। | |||
;परग्रही | |||
इस रहस्मयी त्रिकोण को परग्रही शक्तितियों से भी जोड़ कर देखा जाता है। इस त्रिकोण के पास सबसे ज्यादा यूएफओ दिखने की बात सामने आई है, इसलिए हो सकता है कि बरमूडा त्रिकोण दूसरे ग्रह के प्राणियों का रिसर्च स्टेशन हो। इसलिए परग्रही शक्तियां जहाजों और विमानों को गायब करते हों और फिर उस पर रिसर्च करते हों। दुनिया भर में यूएफओ देखने की बात सामने आती ही रहती है। ऐसे में बरमूडा त्रिकोण से गायब होने वाले विमान और जहाज में परग्रही शक्तियों का हाथ होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन बरमूडा त्रिकोण के रहस्य में परग्रही शक्तियों का ही हाथ है, इस पर बस अंदाजा ही लगाया जा सकता है। क्योंकि इसका ठोस कोई प्रमाण नहीं है, इस लिए बरमूडा त्रिकोण आज भी है रहस्यमयी। | |||
भौगोलिक स्थिति | भौगोलिक स्थिति | ||
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इन रहस्यमयी घटनाओं के पीछे क्या कारण है ? यह जानने के लिए कई दशकों से वैज्ञानिक, अनुसंधानकर्ता, खोजकर्ता एवं शोधकर्ता लगे हुए हैं और वे लोग दावा भी करते हैं कि उन्होंने इन घटनाओं का हल ढूंढ निकाला है, किन्तु अभी भी बहुत से प्रश्न ऐसे हैं जिनका कोई सही व सटीक उत्तर नहीं मिल सका है। इसीलिए आज तक बरमूदा का यह रहस्यमयी त्रिभुजाकार क्षेत्र अपने आप में एक अनसुलझा रहस्य ही बना हुआ है। | इन रहस्यमयी घटनाओं के पीछे क्या कारण है ? यह जानने के लिए कई दशकों से वैज्ञानिक, अनुसंधानकर्ता, खोजकर्ता एवं शोधकर्ता लगे हुए हैं और वे लोग दावा भी करते हैं कि उन्होंने इन घटनाओं का हल ढूंढ निकाला है, किन्तु अभी भी बहुत से प्रश्न ऐसे हैं जिनका कोई सही व सटीक उत्तर नहीं मिल सका है। इसीलिए आज तक बरमूदा का यह रहस्यमयी त्रिभुजाकार क्षेत्र अपने आप में एक अनसुलझा रहस्य ही बना हुआ है। | ||
बरमूडा त्रिभुज रहस्य | |||
इस क्षेत्र में हवाई और समुद्री यातायात भी बहुतायत में रहता है। क्षेत्र की गणना दुनिया की व्यस्ततम समुद्री यातायात वाले जलमार्ग के रूप में की जाती है। यहाँ से अमेरिका, यूरोप और केरेबियन द्वीपों के लिए रोजाना कई जहाज निकलते हैं। यही नहीं, फ्लोरिडा, केरेबियन द्वीपों और दक्षिण अमेरिका की तरफ जाने वाले हवाई जहाज भी यहीं से गुजरते हैं। यही कारण है कि कुछ लोग यह मानने को तैयार नहीं हैं कि इतने यातायात के बावजूद कोई जहाज अचानक से गायब हो जाए। ऐसे में कोई दुर्घटना होती है तो किसी को पता चल ही जाता है। | |||
इस तरह की तमाम घटनाऍं उस क्षेत्र में होने का दावा समय समय पर किया जाता रहा है। लेकिन यह सब किन कारणों से हो रहा है, यह कोई भी बताने में अस्मर्थ रहा है। इस सम्बंध में चार्ल्स बर्लिट्ज ने 1974 में अपनी एक पुस्तक के द्वारा इस रहस्य की पर्तों को खोजने का दावा किया था। उसने अपनी पुस्तक 'दा बरमूडा ट्राइएंगिल मिस्ट्री साल्व्ड' में लिखा था कि यह घटना जैसी बताई जाती है, वैसी है नही। बॉबरों के पायलट अनुभवी नहीं थे। चार्ल्स के अनुसार वे सभी चालक उस क्षेत्र से पूरी तरह से अनभिज्ञ थे और सम्भवत: उनके दिशा सूचक यंत्र में खराबी होने के कारण खराब मौसम में एक दूसरे से टकरा कर नष्ट हो गये। | इस तरह की तमाम घटनाऍं उस क्षेत्र में होने का दावा समय समय पर किया जाता रहा है। लेकिन यह सब किन कारणों से हो रहा है, यह कोई भी बताने में अस्मर्थ रहा है। इस सम्बंध में चार्ल्स बर्लिट्ज ने 1974 में अपनी एक पुस्तक के द्वारा इस रहस्य की पर्तों को खोजने का दावा किया था। उसने अपनी पुस्तक 'दा बरमूडा ट्राइएंगिल मिस्ट्री साल्व्ड' में लिखा था कि यह घटना जैसी बताई जाती है, वैसी है नही। बॉबरों के पायलट अनुभवी नहीं थे। चार्ल्स के अनुसार वे सभी चालक उस क्षेत्र से पूरी तरह से अनभिज्ञ थे और सम्भवत: उनके दिशा सूचक यंत्र में खराबी होने के कारण खराब मौसम में एक दूसरे से टकरा कर नष्ट हो गये। | ||
बहरहाल समय-समय पर इस तरह के ताम दावे इस त्रिकोण के रहस्य को सुलझाने के किए जाते रहे हैं। | बहरहाल समय-समय पर इस तरह के ताम दावे इस त्रिकोण के रहस्य को सुलझाने के किए जाते रहे हैं। | ||
बहरहाल इस तर्क से भी सभी वैज्ञानिक सहमत नहीं है। यही कारण है कि बरमूडा त्रिकोण अभी भी एक अनसुलझा रहस्य ही बना हुआ है। इस रहस्य से कभी पूरी तरह से पर्दा हटेगा, यह कहना मुश्किल है। | बहरहाल इस तर्क से भी सभी वैज्ञानिक सहमत नहीं है। यही कारण है कि बरमूडा त्रिकोण अभी भी एक अनसुलझा रहस्य ही बना हुआ है। इस रहस्य से कभी पूरी तरह से पर्दा हटेगा, यह कहना मुश्किल है। | ||
फ्लाइट 19 के गायब होने का घटनाक्रम में एरिजोना स्टेट विश्वविद्यालय के शोध लाइब्रेरियन और ‘द बरमूडा ट्रायंगल मिस्ट्रीः साल्व्ड’ के लेखक लारेंस डेविड कुशे ने काफी शोध किया तथा उनका नतीजा बाकी लेखकों के अलग था। उन्होंने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से विमानों के गायब होने की बात को गलत करार दिया। कुशे ने लिखा कि विमान प्राकृतिक आपदाओं के चलते दुर्घटनाग्रस्त हुए। इस बात को बाकी लेखकों ने नजर अंदाज कर दिया था। | फ्लाइट 19 के गायब होने का घटनाक्रम में एरिजोना स्टेट विश्वविद्यालय के शोध लाइब्रेरियन और ‘द बरमूडा ट्रायंगल मिस्ट्रीः साल्व्ड’ के लेखक लारेंस डेविड कुशे ने काफी शोध किया तथा उनका नतीजा बाकी लेखकों के अलग था। उन्होंने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से विमानों के गायब होने की बात को गलत करार दिया। कुशे ने लिखा कि विमान प्राकृतिक आपदाओं के चलते दुर्घटनाग्रस्त हुए। इस बात को बाकी लेखकों ने नजर अंदाज कर दिया था। | ||
बहरहाल, तमाम शोध और जाँच-पड़ताल के बाद भी इस नतीजे पर नहीं पहुँचा जा सका है कि आखिर गायब हुए जहाजों का पता क्यों नहीं लग पाया, उन्हें आसमान निगल गया या समुद्र लील गया...दुर्घटना की स्थिति में भी मलबा तो मिलता...ये प्रश्न अनुत्तरित हैं। | बहरहाल, तमाम शोध और जाँच-पड़ताल के बाद भी इस नतीजे पर नहीं पहुँचा जा सका है कि आखिर गायब हुए जहाजों का पता क्यों नहीं लग पाया, उन्हें आसमान निगल गया या समुद्र लील गया...दुर्घटना की स्थिति में भी मलबा तो मिलता...ये प्रश्न अनुत्तरित हैं। | ||
बारमूडा ट्रायएंगल हादसा | बारमूडा ट्रायएंगल हादसा | ||
बरमूडा ट्रायएंगल अब तक कई जहाजों और विमानों को अपने आगोश में ले चुका है, जिसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया। सबसे पहले 1872 में जहाज द मैरी बरमूडा त्रिकोण में लापता हुआ, जिसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया। लेकिन बारमूडा ट्रायएंगल का रहस्य दुनिया के सामने पहली बार तब सामने आया, जब 16 सितंबर 1950 को पहली बार इस बारे में अखबार में लेख भी छपा था। दो साल बाद फैट पत्रिका ने ‘सी मिस्ट्री एट अवर बैक डोर’ शीर्षक से जार्ज एक्स. सेंड का एक संक्षिप्त लेख भी प्रकाशित किया था। इस लेख में कई हवाई तथा समुद्री जहाजों समेत अमेरिकी जलसेना के पाँच टीबीएम बमवर्षक विमानों ‘फ्लाइट 19’ के लापता होने का जिक्र किया गया था। फ्लाइट 19 के गायब होने की घटना को काफी गंभीरता से लिया गया। इसी सिलसिले में अप्रैल 1962 में एक पत्रिका में प्रकाशित किया गया था कि बरमूडा त्रिकोण में गायब हो रहे विमान चालकों को यह कहते सुना गया था कि हमें नहीं पता हम कहां हैं, पानी हरा है और कुछ भी सही होता नजर नहीं आ रहा है । जलसेना के अधिकारियों के हवाले ये भी कहा गया था कि विमान किसी दूसरे ग्रह पर चले गए। यह पहला आर्टिकल था, जिसमें विमानों के गायब होने के पीछे किसी परलौकिक शक्ति यानी दूसरे ग्रह के प्राणियों का हाथ बताया गया। 1964 में आरगोसी नामक पत्रिका में बरमूडा त्रिकोण पर लेख प्रकाशित हुआ। इस लेख को विसेंट एच गोडिस ने लिखा था। इसके बाद से लगातार सम्पूर्ण विश्व में इस पर इतना कुछ लिखा गया कि 1973 में एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका में भी इसे जगह मिल गयी। वहीं बारमूडा त्रिकोण में विमान और जहाज के लापता होने का सिलसिला जारी रहा । | बरमूडा ट्रायएंगल अब तक कई जहाजों और विमानों को अपने आगोश में ले चुका है, जिसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया। सबसे पहले 1872 में जहाज द मैरी बरमूडा त्रिकोण में लापता हुआ, जिसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया। लेकिन बारमूडा ट्रायएंगल का रहस्य दुनिया के सामने पहली बार तब सामने आया, जब 16 सितंबर 1950 को पहली बार इस बारे में अखबार में लेख भी छपा था। दो साल बाद फैट पत्रिका ने ‘सी मिस्ट्री एट अवर बैक डोर’ शीर्षक से जार्ज एक्स. सेंड का एक संक्षिप्त लेख भी प्रकाशित किया था। इस लेख में कई हवाई तथा समुद्री जहाजों समेत अमेरिकी जलसेना के पाँच टीबीएम बमवर्षक विमानों ‘फ्लाइट 19’ के लापता होने का जिक्र किया गया था। फ्लाइट 19 के गायब होने की घटना को काफी गंभीरता से लिया गया। इसी सिलसिले में अप्रैल 1962 में एक पत्रिका में प्रकाशित किया गया था कि बरमूडा त्रिकोण में गायब हो रहे विमान चालकों को यह कहते सुना गया था कि हमें नहीं पता हम कहां हैं, पानी हरा है और कुछ भी सही होता नजर नहीं आ रहा है । जलसेना के अधिकारियों के हवाले ये भी कहा गया था कि विमान किसी दूसरे ग्रह पर चले गए। यह पहला आर्टिकल था, जिसमें विमानों के गायब होने के पीछे किसी परलौकिक शक्ति यानी दूसरे ग्रह के प्राणियों का हाथ बताया गया। 1964 में आरगोसी नामक पत्रिका में बरमूडा त्रिकोण पर लेख प्रकाशित हुआ। इस लेख को विसेंट एच गोडिस ने लिखा था। इसके बाद से लगातार सम्पूर्ण विश्व में इस पर इतना कुछ लिखा गया कि 1973 में एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका में भी इसे जगह मिल गयी। वहीं बारमूडा त्रिकोण में विमान और जहाज के लापता होने का सिलसिला जारी रहा । | ||
हक़ीक़त पर रिसर्च | हक़ीक़त पर रिसर्च | ||
बारमूडा ट्राएंगल के रहस्य से परदा हटाने के लिए कई शोध | अटलांटिक महासागर के बरमूडा त्रिकोण को डेविल्स ट्रायएंगल यानी शैतान त्रिकोण के नाम भी जाना जाता है, इस काल त्रिकोण से अब तक कई जहाज और विमान गायब हुए है लेकिन किसी का भी कुछ पता नहीं चल पाया। बारमूडा ट्राएंगल के रहस्य से परदा हटाने के लिए कई शोध हुए। वहीं लेकिन तमाम रिसर्च के बाद बरमूडा त्रिकोण के रहस्य के बारे में कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया और ये दानवी त्रिकोण आज भी अनसुलझी पहेली है | ||
बरमूड त्रिकोण व्यस्त समुद्री मार्ग | बरमूड त्रिकोण व्यस्त समुद्री मार्ग |