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| {| class="bharattable" | | {| width="100%" style="background:transparent;" |
| |- | | |-valign="top" |
| !कहावत लोकोक्ति मुहावरे
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| !अर्थ
| | * आई तो ईद, न आई तो जुम्मेरात, आई तो रोज़ी नहीं तो राज़ा। |
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| | * आई मौज फ़कीर की, दिया झोपड़ा फूँक। |
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| | * आई है जान के साथ, जाएगी जनाज़े के साथ। |
| 1-आसमान से गिरा खजूर में अटका।
| | * आओ-आओ घर तुम्हारा, खाना माँगे दुश्मन हमारा। |
| | style="width:70%"|
| | * आग का जला आग ही से अच्छा होता है। |
| अर्थ - एक मुसीबत से निकलकर दूसरी मुसीबत में फंस जाना।
| | * आग खाएगा तो अंगार उगलेगा |
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| | * आग बिना धुआँ नहीं। |
| |2- आसाढ़ी पूनो दिना, गाज बीजु बरसंत।<br />
| | * आग लगने पर कुआं खोदना। |
| | * आगे जाए घुटने टूट, पीछे देखे आँख फूटे। |
| | * आगे नाथ न पीछे पगहा। |
| | * आज मेरी मँगनी, कल मेरा ब्याह,<br /> |
| | टूट गई टंगड़ी, रह गया ब्याह। |
| | * आसमान से गिरा खजूर में अटका। |
| | * आसाढ़ी पूनो दिना, गाज बीजु बरसंत।<br /> |
| नासे लच्छन काल का, आनंद मानो सत।। | | नासे लच्छन काल का, आनंद मानो सत।। |
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| | * आद्रा में जौ बोवै साठी। <br /> |
| अर्थ - आषाढ़ की पूर्णिमा को यदि बादल गरजें, बिजली चमके और पानी बरसे तो वह वर्ष बहुत सुख से बीतेगा।
| | दु:खै मारि निकारै लाठी।। |
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| | * आद्रा बरसे पुनर्वसुजाय, दीन अन्न कोऊ न खाय।। |
| |3- आद्रा में जौ बोवै साठी। दु:खै मारि निकारै लाठी।।
| | * आस-पास रबी बीच में खरीफ। <br /> |
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| अर्थ - जो किसान आद्रा नक्षत्र में धान बोता है वह दु:ख को लाठी मारकर भगा देता है।
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| |4- आद्रा बरसे पुनर्वसुजाय, दीन अन्न कोऊ न खाय।।
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| अर्थ - यदि आर्द्रा नक्षत्र में वर्षा हो और पुनर्वसु नक्षत्र में पानी न बरसे तो ऐसी फ़सल होगी कि कोई दिया हुआ अन्न नहीं खाएगा।
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| |5- आस-पास रबी बीच में खरीफ। <br />
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| नोन-मिर्च डाल के, खा गया हरीफ।। | | नोन-मिर्च डाल के, खा गया हरीफ।। |
| | * आँख के अंधे नाम नैनसुख। |
| | * आटे के साथ घुन भी पिसता है। |
| | * आदमी–आदमी अंतर, कोई हीरा कोई कंकर। |
| | * आम के आम गुठलियों के दाम। |
| | * आँख एक नहीं, कजरौटा दस-दस। |
| | * आँख ओट पहाड़ ओट। |
| | * आँख और कान में चार अंगुल का फ़र्क़। |
| | * आँख के आगे नाक, सूझे क्या खाक। |
| | * आँख बची और माल दोस्तों का। |
| | * आँख सुख कलेजे ठंडक। |
| | * आँख एक नहीं कलेजा टूक-टूक। |
| | * आटे का चिराग, घर रखूँ तो चूहा खाए, बाहर रखूँ तो कौआ ले जाए। |
| | * आठ वार नौ त्योहार। |
| | * आदमी की दवा आदमी है। |
| | * आदमी को ढाई गज़ कफ़न काफ़ी है। |
| | * आदमी जाने बसे, सोना जाने कसे। |
| | * आदमी पानी का बुलबुला है। |
| | * आधा तीतर आधी बटेर। |
| | * आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी रहे ना पूरी पावे। |
| | * आप काज़ महा काज़। |
| | * आप न जावे सासुरे औरों को देय सीख। |
| | * आप भला तो जग भला। |
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| अर्थ - खरीफ की फ़सल के बीच में रबी की फ़सल अच्छी नहीं होती है।
| | * आप मरे जग परलय। |
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| | * आप मरे बिन स्वर्ग न जावे। |
| |6- आँख के अंधे नाम नैनसुख।
| | * आप मियाँ जी माँगते, द्वार खड़े दरवेश। |
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| | * आपा तजे तो हरि को भजे। |
| अर्थ - नाम बड़ा होना और व्यक्ति का व्यवहार और गुण उसके विपरीत होना।
| | * आब–आब कर मर गया, सिरहाने रखा पानी। |
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| | * आ बला गले लग, आ बैल मुझे मार। |
| |7- आटे के साथ घुन भी पिसता है।
| | * आम खाने से काम, पेड गिनने से क्या काम। |
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| | * आए की खुशी न गए का गम। |
| अर्थ - दोषी व्यक्ति के साथ निर्दोष व्यक्ति भी मारा जाता है।
| | * आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास। |
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| | * आस-पास बरसे दिल्ली पड़ी तरसे। |
| |8- आदमी–आदमी अंतर, कोई हीरा कोई कंकर।
| | * आसमान का थूका मुँह पर आता है। |
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| | * आसमान से गिरा खजूर पर अटका। |
| अर्थ - हर आदमी का गुण और स्वाभाव दूसरे से भिन्न होता है्।
| | * आकाश से बातें करना। |
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| | * आकाश पाताल एक करना। |
| |9- आम के आम गुठलियों के दाम।
| | * आग पर तेल छिड़कना। |
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| | * आग पर पानी डालना। |
| अर्थ - दोहरा लाभ होना।
| | * आग पानी या आग और फूल का बैर होना। |
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| | * आग बबूला होना। |
| |10- आँख एक नहीं, कजरौटा दस-दस।
| | * आग में कूदना। |
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| | * आग लगने पर कुआँ खोदना। |
| अर्थ - व्यर्थ का आडम्बर रचना।
| | * आग लगाकर तमाशा देखना। |
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| | * आगा-पीछा करना। |
| |11- आँख ओट पहाड़ ओट।
| | * आगे का पैर पीछे पड़ना। |
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| | * आटा गीला होना। |
| अर्थ - आँख से ओझल होने पर समझना चाहिए कि बहुत दूर हो गए।
| | * आटे के साथ घुन पीसना। |
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| | * आटे दाल का भाव मालूम होना। |
| |12- आँख और कान में चार अंगुल का फ़र्क़।
| | * आठ-आठ आँसू रोना। |
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| | * आड़े आना। |
| अर्थ - आँखों देखी बात का विश्वास करना, कानों से सुनी बात का नहीं।
| | * आड़े हाथों लेना। |
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| | * आधा तीतर आधा बटेर। |
| |13- आँख के आगे नाक, सूझे क्या खाक।
| | * आपे से बाहर होना। |
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| | * आव न देखा ताव। |
| अर्थ - आँख के आगे परदा पड़ा है तो क्या रास्ता सूझेगा।
| | * आवाज़ उठाना। |
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| | * आसन डोलना। |
| |14- आँख बची और माल दोस्तों का।
| | * आसमान के तारे तोड़ना। |
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| | * आसमान टूट पड़ना। |
| अर्थ - पलक झपकने से माल गायब हो सकता है।
| | * आसमान पर चढ़ा देना। |
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| | * आसमान पर दिमाग होना। |
| |15- आँख सुख कलेजे ठंडक।
| | * आसमान फट पड़ना। |
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| | * आसमान सिर पर उठाना। |
| अर्थ - परम शान्ति का होना।
| | * आस्तीन का साँप। |
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| |16- आँख एक नहीं कलेजा टूक-टूक।
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| अर्थ - बनावटी दु:ख प्रकट करना।
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| |17- आई तो ईद, न आई तो जुम्मेरात,<br />
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| आई तो रोज़ी नहीं तो राज़ा।
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| अर्थ - आमदनी हुई तो मौज ही मौज, नहीं तो फाका ही सही।
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| |18- आई मौज फ़कीर की, दिया झोपड़ा फूँक।
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| अर्थ - मनमौजी और विरक्त आदमी को किसी का मोह नहीं होता और ना ही किसी चीज़ की परवाह होती है ।
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| |19- आई है जान के साथ, जाएगी जनाज़े के साथ।
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| अर्थ - लाइलाज बीमारी।
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| |20- आओ-आओ घर तुम्हारा, <br />
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| खाना माँगे दुश्मन हमारा।
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| अर्थ - झूठ-मूठ का सत्कार करना, मन ना होने पर भी आदर देना ।
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| |21- आग, कहते मुँह नहीं जलता।
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| अर्थ - केवल नाम लेने से कोई हानि-लाभ नहीं हो जाता है।
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| |22- आग का जला आग ही से अच्छा होता है।
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| अर्थ - कष्ट देने वाली वस्तु से भी कभी कभी कष्ट का निवारण हो जाता है।
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| |23- आग खाएगा तो अंगार उगलेगा,
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| अर्थ - बुरे काम करने का बुरा फल ही मिलता है।
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| |24- आग बिना धुआँ नहीं।
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| अर्थ - हर चीज़ का कारण अवश्य ही होता है।
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| |25- आग लगने पर कुआं खोदना।
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| अर्थ - आवश्यकता पड़ने पर काम करना, पहले से कुछ न करना।
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| |26- आगे जाए घुटने टूट, पीछे देखे आँख फूटे।
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| अर्थ - जिधर जाएँ उधर ही मुसीबत आना।
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| |27- आगे नाथ न पीछे पगहा।
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| अर्थ - किसी का भी बंधन ना होना, पूर्णत: बंधनरहित होना।
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| |28- आज का बनिया कल का सेठ।
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| अर्थ - काम करते रहने से ही आदमी बड़ा हो जाता है अर्थात उन्नति करता है।
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| |29- आज मेरी मँगनी, कल मेरा ब्याह,<br />
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| टूट गई टंगड़ी, रह गया ब्याह।
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| अर्थ - उम्मीदें कभी कभी विफल भी हो जाती हैं।
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| |30- आटे का चिराग, घर रखूँ तो चूहा खाए,<br />
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| बाहर रखूँ तो कौआ ले जाए।
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| अर्थ - ऐसी वस्तु जिसे बचाने में कठिनाई हो, जिसकी रक्षा करना मुश्किल हो जाए ।
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| |31- आठ कनौजिया नौ चूल्हे।
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| अर्थ - अलगाव की स्थिति होना।
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| |32- आठ वार नौ त्योहार।
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| अर्थ - मौज मस्ती से भरा जीवन जीना।
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| |33- आदमी की दवा आदमी है।
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| अर्थ - मनुष्य ही मनुष्य के काम आता है या मनुष्य ही मनुष्य की सहायता करते हैं।
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| |34- आदमी को ढाई गज़ कफ़न काफ़ी है।
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| अर्थ - आदमी बेकार की सुख-सुविधा जुटाने में लगा रहता है, जीवन के लिए ज़रूरी ज़रूरतें तो कम ही होती हैं।
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| |35- आदमी जाने बसे, सोना जाने कसे।
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| अर्थ - व्यक्ति व्यवहार से और सोना कसौटी पर कसने से पहचाना जाता है।
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| |36- आदमी पानी का बुलबुला है।
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| अर्थ - मनुष्य का जीवन नाशवान है, इसीलिए यह जीवन अनमोल है।
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| |37- आधा तीतर आधी बटेर।
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| अर्थ - बेमेल चीज़ों का सम्मिश्रण होना।
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| |38- आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी रहे ना पूरी पावे।
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| अर्थ - अधिक लालच करने से हानि ही होती है।
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| |39- आप काज़ महा काज़।
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| अर्थ - अपना काम स्वयं करना ही अच्छा होता है।
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| |40- आप न जावे सासुरे औरों को देय सीख।
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| अर्थ - स्वयं तो काम करते नहीं और दूसरों को सीख देते हैं।
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| |41- आप पड़ोसन लड़े।
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| अर्थ - बिना बात ही झगड़ा करना।
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| |42- आप भला तो जग भला।
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| अर्थ - भले आदमी को सब लोग भले ही मिलते हैं।
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| |43- आप मरे जग परलय।
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| अर्थ - अपने मरने के बाद दुनिया में कुछ भी होता रहे।
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| |44- आप मरे बिन स्वर्ग न जावे।
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| अर्थ - अपना काम स्वयं किए बिना ठीक नहीं होता।
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| |45- आप मियाँ जी माँगते, द्वार खड़े दरवेश।
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| अर्थ - अपने पास कुछ भी नहीं है दूसरों की सहायता क्या करेगें।
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| |46- आपा तजे तो हरि को भजे।
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| अर्थ - स्वार्थ को छोड़ने से ही परमार्थ प्राप्त होता है।
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| |47- आब–आब कर मर गया, सिरहाने रखा पानी।
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| अर्थ - वस्तु के पास होने पर भी सही भाषा ना जानने से समस्या आती है।
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| |48- आ बला गले लग, आ बैल मुझे मार।
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| अर्थ - बिना बात मुसीबत मोल लेना।
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| |49- आम खाने से काम, पेड गिनने से क्या काम।
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| अर्थ - अपने मतलब की बात करना।
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| |50- आए की खुशी न गए का गम।
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| अर्थ - हर हालात में एक जैसा ही रहना।
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| |51- आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास।
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| अर्थ - उच्च लक्ष्य लेकर चलना पर कोई घटिया सा काम करने लगना।
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| |52- आस-पास बरसे दिल्ली पड़ी तरसे।
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| अर्थ - जिसे आवश्यकता हो उसे न मिलकर किसी और को मिलना।
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| |53- आसमान का थूका मुँह पर आता है।
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| अर्थ - बड़े लोगों की निंदा करने से अपनी ही बदनामी होती है।
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| |54- आसमान से गिरा खजूर पर अटका।
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| अर्थ - कोई काम पूरा होते-होते रह गया, एक मुसीबत से निकले तो दूसरी मुसीबत में फंस जाना।
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| |55- आकाश कुसुम।
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| अर्थ - अनहोनी बात।
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| |56- आकाश चूमना।
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| अर्थ - बुलन्द होना।
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| |57- आकाश से बातें करना।
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| अर्थ - बहुत ऊँचा होना।
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| |58- आकाश पाताल एक करना।
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| अर्थ - कोई उपाय न छोड़ना।
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| |59- आग पर तेल छिड़कना।
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| अर्थ - और भड़काना।
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| |60- आग पर पानी डालना।
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| अर्थ - झगड़ा मिटाना।
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| |61- आग पानी या आग और फूल का बैर होना।
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| अर्थ - स्वाभाविक शत्रुता होना।
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| |62- आग बबूला होना।
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| अर्थ - बहुत गुस्सा होना।
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| |63- आग में कूदना।
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| अर्थ - जान जोखिम में डालना।
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| |64- आग लगने पर कुआँ खोदना।
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| अर्थ - पहले से कोई उपाय न कर रखना।
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| |65- आग लगाकर तमाशा देखना।
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| अर्थ - झगड़ा पैदा करके खुश होना।
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| |66- आगा-पीछा करना।
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| अर्थ - हिचकिचाना।
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| |67- आगे का पैर पीछे पड़ना।
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| अर्थ - क़िस्मत उलटी होना।
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| |68- आटा गीला होना।
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| अर्थ - विपत्ति में पड़ना।
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| |69- आटे के साथ घुन पीसना।
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| अर्थ - दोषी के साथ निर्दोष की भी हानि होना।
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| |70- आटे दाल का भाव मालूम होना।
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| अर्थ - दुनियादारी ज्ञात होना।
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| |71- आठ-आठ आँसू रोना।
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| अर्थ - बहुत पछतावा होना।
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| |72- आड़े आना।
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| अर्थ - मुसीबत में सहायता करना।
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| |-
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| |73- आड़े हाथों लेना।
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| अर्थ - बातों से लज्जित कर देना।
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| |-
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| |74- आधा तीतर आधा बटेर।
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| अर्थ - बेमेल काम।
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| |-
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| |75- आपे से बाहर होना।
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| अर्थ - क्रोध से अपने वश में न रहना।
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| |76- आ बनना।
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| अर्थ - मुसीबत पड़ना।
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| |77- आव न देखा ताव।
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| अर्थ - बिना कारण।
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| |78- आवाज़ उठाना।
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| अर्थ - विरोध प्रकट करना।
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| |79- आसन डोलना।
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| |
| अर्थ - विचलित होना।
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| |-
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| |80- आसमान के तारे तोड़ना।
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| अर्थ - असंभव कार्य करना।
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| |81- आसमान टूट पड़ना।
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| अर्थ - अचानक विपत्ति आ पड़ना।
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| |82- आसमान पर चढ़ा देना।
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| अर्थ - बहुत तारीफ करना।
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| |83- आसमान पर दिमाग होना।
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| अर्थ - बहुत घंमडी होना।
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| |84- आसमान फट पड़ना।
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| अर्थ - अचानक आफ़त आ पड़ना।
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| |85- आसमान सिर पर उठाना।
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| अर्थ - बहुत हो-हल्ला मचाना।
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| |86- आस्तीन का साँप।
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| अर्थ - विश्वासघाती मित्र।
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