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चावल विश्व की दूसरी सर्वाधिक क्षेत्रफल पर उगाई जाने वाली फ़सल है। विश्व में लगभग 15 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 45 करोड़ टन चावल का उत्पादन होता है। [[भारत]] विश्व में चावल का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है। यहाँ पर विश्व के कुल उत्पादन का 20% चावल पैदा किया जाता है। भारत में 4.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 9.2 करोड़ मीट्रिक टन चावल का उत्पादन किया जाता है। चावल भारत की सर्वाधिक मात्रा में उत्पादित की जाने वाली फ़सल है। यहाँ लगभग 34% भू-भाग पर मोटे अनाज की खेती की जाती है। भारत में चावल उत्पादक राज्यों में [[पश्चिम बंगाल]], [[उत्तर प्रदेश]], [[आन्ध्र प्रदेश]], [[बिहार]], [[मध्य प्रदेश]], [[छत्तीसगढ़]], [[तमिलनाडु]], [[कर्नाटक]], [[उड़ीसा]], [[असम]] तथा [[पंजाब]] है। यह दक्षिणी और पूर्वी भारत के राज्‍यों का मुख्‍य भोजन है।
चावल विश्व की दूसरी सर्वाधिक क्षेत्रफल पर उगाई जाने वाली फ़सल है। विश्व में लगभग 15 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 45 करोड़ टन चावल का उत्पादन होता है। [[भारत]] विश्व में चावल का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है। यहाँ पर विश्व के कुल उत्पादन का 20% चावल पैदा किया जाता है। भारत में 4.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 9.2 करोड़ मीट्रिक टन चावल का उत्पादन किया जाता है। चावल भारत की सर्वाधिक मात्रा में उत्पादित की जाने वाली फ़सल है। यहाँ लगभग 34% भू-भाग पर मोटे अनाज की खेती की जाती है। भारत में चावल उत्पादक राज्यों में [[पश्चिम बंगाल]], [[उत्तर प्रदेश]], [[आन्ध्र प्रदेश]], [[बिहार]], [[मध्य प्रदेश]], [[छत्तीसगढ़]], [[तमिलनाडु]], [[कर्नाटक]], [[उड़ीसा]], [[असम]] तथा [[पंजाब]] है। यह दक्षिणी और पूर्वी भारत के राज्‍यों का मुख्‍य भोजन है।
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==मिट्टी==
==मिट्टी==
चावल उत्‍पादन के लिए उपयुक्‍त मिट्टी 6.0 प्रतिशत फॉस्फोरस वाली होती है। इसमें व्‍यापक क़िस्म की मिट्टी होती है। अच्‍छी उपज़ पाने के लिए भूमि की कम से कम चार बार जुताई होनी चाहिए। प्रत्‍येक तीसरे वर्ष किसानों को चूना बीज बोने के एक या दो सप्‍ताह पहले लगाना चाहिए।  
चावल उत्‍पादन के लिए उपयुक्‍त मिट्टी 6.0 प्रतिशत फॉस्फोरस वाली होती है। इसमें व्‍यापक क़िस्म की मिट्टी होती है। अच्‍छी उपज़ पाने के लिए भूमि की कम से कम चार बार जुताई होनी चाहिए। प्रत्‍येक तीसरे वर्ष किसानों को चूना बीज बोने के एक या दो सप्‍ताह पहले लगाना चाहिए।  
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==बाहरी कड़ियाँ==
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*[http://www.lifemojo.com/lifestyle/%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B2-%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%9F%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AE-40412432/hi चावल रोटी बनाम]
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05:17, 29 जनवरी 2011 का अवतरण

चावल की फ़सल

चावल विश्व की दूसरी सर्वाधिक क्षेत्रफल पर उगाई जाने वाली फ़सल है। विश्व में लगभग 15 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 45 करोड़ टन चावल का उत्पादन होता है। भारत विश्व में चावल का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है। यहाँ पर विश्व के कुल उत्पादन का 20% चावल पैदा किया जाता है। भारत में 4.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 9.2 करोड़ मीट्रिक टन चावल का उत्पादन किया जाता है। चावल भारत की सर्वाधिक मात्रा में उत्पादित की जाने वाली फ़सल है। यहाँ लगभग 34% भू-भाग पर मोटे अनाज की खेती की जाती है। भारत में चावल उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, कर्नाटक, उड़ीसा, असम तथा पंजाब है। यह दक्षिणी और पूर्वी भारत के राज्‍यों का मुख्‍य भोजन है।

अन्य भाषाओं में नाम
भाषा असमिया उड़िया उर्दू कन्नड़ कश्मीरी संस्कृत गुजराती
शब्द चाउल चाउळ, भात चावल अक्कि तॉमुल अक्षत चोखा
भाषा डोगरी तमिल तेलुगु नेपाली पंजाबी बांग्ला बोडो
शब्द अरिसि बिय्युम चौल चाउल
भाषा मणिपुरी मराठी मलयालम मैथिली संथाली सिंधी अंग्रेज़ी
शब्द तांदुळ, भात अरि चांवर Rice

मिट्टी

चावल उत्‍पादन के लिए उपयुक्‍त मिट्टी 6.0 प्रतिशत फॉस्फोरस वाली होती है। इसमें व्‍यापक क़िस्म की मिट्टी होती है। अच्‍छी उपज़ पाने के लिए भूमि की कम से कम चार बार जुताई होनी चाहिए। प्रत्‍येक तीसरे वर्ष किसानों को चूना बीज बोने के एक या दो सप्‍ताह पहले लगाना चाहिए।

विश्व उत्पादन

विश्व में कुल चावल उत्पादन का 90% चावल दक्षिण-पूर्वी एशिया में प्राप्त किया जाता है। एशिया में प्रमुख उत्पादन देश चीन, भारत, जापान, बांग्लादेश, पाकिस्तान, हिन्देशिया, ताइवान, म्यांमार, मलेशिया, फिलिपींस, वियतनाम तथा कोरिया आदि हैं। एशिया से बाहर चावल के प्रमुख उत्पादक देश मिस्र, ब्राज़ील, अर्जेण्टीना, संयुक्त राज्य अमरीका, इटली, स्पेन, तुर्की गिनीकोस्ट तथा मलागासी हैं।

तापमान 200 से 270 °C
वर्षा 150 सेन्टीमीटर 200 सेन्टीमीटर
मिट्टी चिकनी (जलोढ़)
खाद सुपर फॉस्फेट व अमोनिया, नाइट्रोजन, पोटैशियम आदि।
चीन

चीन विश्व का सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। यहाँ पर 3.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 17.1 करोड़ मीट्रिक टन चावल पैदा किया जाता है जो विश्व के कुल उत्पादन का लगभग एक तिहाई है।

भारत

भारत विश्व में चावल का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है।

इण्डोनेशिया

इण्डोनेशिया विश्व का तीसरा बड़ा उत्पादक देश है जो कुल उत्पादन का 8% चावल उत्पादन करता है। यहाँ पर जावा द्वीप में सबसे अधिक चावल का उत्पादन होता है।

चावल के खेत
बांग्लादेश

विश्व का 5% चावल उत्पादन कर बांग्लादेश विश्व का चौथा बड़ा उत्पादक देश है। यहाँ पर भूमि के 60% भाग में चावल का उत्पादन किया जाता है। यहाँ वर्ष में चावल की तीन फ़सलें उगाई जाती हैं। इसके अतिरिक्त थाईलैण्ड, जापान, म्यांमार तथा कोरिया चावल के प्रमुख उत्पादक देश हैं। चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश थाईलैण्ड है। इसके अतिरिक्त म्यांमार, वियतनाम, संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब गणराज्य, पाक़िस्तान, इटली, ब्राजील, पेरू तथा आस्ट्रेलिया आदि बड़े निर्यातक देशों में शामिल हैं। चावल का अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थान मनीला (फिलीपींस) में तथा राष्ट्रीय चावल शोध संस्थान कटक (उड़ीसा) में स्थित है।

प्रजातियाँ

हरित क्रांति के दौरान भारत में चावल की अनेक प्रजातियाँ विकसित की गई जिनमें जया, विजया, रत्ना, पद्मा, हंसा, करुणा, कांची, कृष्णा, अन्नपूर्णा आदि प्रमुख हैं। जापानी धान-ताईवान-3 तथा भारतीय धान बासमती के मिश्रण से तैयार करके नई संकर प्रजाति ट्रिटेकेल पी. एन. आर. 8 तैयार किया गया है। भारत में लगभग 2,00,000 क़िस्‍म के चावल हैं। भारत के विभिन्‍न भागों में उपजाये जाने वाले चावल के प्रकार हवा, मिट्टी संरचना, विशेषताओं पर निर्भर करते हैं। विश्‍व में चावल का सबसे बड़ा कटाई क्षेत्र भारत में स्थित हैं। चावल की खेती पूरे भारत में की जाती है। 1965 से लगभग 600 उन्‍नत क़िस्‍म के इंडिका चावल खेती के लिए जारी किए जाते रहे हैं। चावल की क़िस्‍मों के लिए परिपक्‍वता अवधि 130 से 160 दिनों के बीच है। यह चावल के प्रकार और जिस क्षेत्र में उपजाया जाता है, पर निर्भर करती है।

विशिष्ट क़िस्में

आर सी पी एल 1-28 और आर सी पी एल 1-29 चावल की दो क़िस्में है जो समुद्र तल से 800 से 1300 मीटर की ऊँचाई पर उगायी जाती हैं और वे विस्फोट रोधी हैं। आर सी पी एल 1-81-8 चावल की ऐसी क़िस्म है जो मध्‍यम ऊँचा ई में उपजायी जाती है जो लौह विषक्‍तता के प्रति सहनशील है।कुछ विशिष्‍ट प्रकार के चावल विशिष्ट क्षेत्रों में उपजाये जाते हैं। उदाहरण के लिए बासमती हिमालय की तराई क्षेत्र में उपजाया जाता हैं, सोना मसूरी, कर्नाटकआंध्र प्रदेश में, मोलाकोलुकुलु आंध्र प्रदेश में और आम्‍बेमोहोर महाराष्ट्र में उपजाया जाता हैं। चावल की दूसरी लोकप्रिय क़िस्में एमजेंसी, चम्‍पा राइस, 1034, आई आर 64 पीनो राइस, सुजाता और राजहंस हैं।

सिंचाई

किसी भी क्षेत्र में रोपी जाने वाली चावल की क़िस्म क्षेत्र की ऊँचाई पर निर्भर करती है। ऊँचाई की भूमि सूखी या अर्ध सूखी होती हैं। यहाँ किसान अपना खेत सींचने के लिए वर्षा पर निर्भर रहते हैं। जुताई करने के बाद समान रूप से खेत से खाद बुआई के 2 से 3 सप्‍ताह पहले वितरित किया जाता है। बीज बुआई, हल के पीछे बीज बोना या बोरिंग का प्रसारण करके मानूसन की बारिश होने के तुरन्‍त बाद बीज बोया जाता है। बीज पंक्तियों में 2 सेन्टीमीटर की दूरी पर बोया जाना चाहिए। गीली या निचली भूमि खेती ऐसे क्षेत्रों में की जाती है जहाँ सुनिश्चित तौर पर पर्याप्‍त मात्रा में जल की आपूर्ति होती है चाहे वह वर्षा से हो या सिंचाई द्वारा। गीली जुताई करने के बाद भूमि को जल और अर्वरक के समान वितरण के लिए समतल किया जाता है।

मौसम

बुआई और रोपण के लिए दो मौसम होते हैं:- रबी और ख़रीफ़ मौसम। चावल एक ख़रीफ़ फ़सल है। चावल की कटाई अक्टूबर-नवंबर में की जाती है।

चावल की खेती

केरल में चावल की खेती तटीय नहरों ओर लैगूनों के खेतों में की जाती है। यह (भेड़) डाइक के निर्माण करने के बाद किया जाता है जो दल-दल को सूखाता है। दक्षिणी राज्‍य जैसे कर्नाटक और आंध्र प्रदेश अपने खेत सींचने के लिए मानसून पर निर्भर होते हैं। पंजाब और हरियाणा में चावल के खेतों को नहर जैसे आधुनिक प्रणाली से सींचा जाता है। यहाँ चावल वाणिज्यिक फ़सल के रूप में उपजाया जाता है। यह उच्‍च दोमतीय मिट्टी पर की जाती है जो पारंपरिक चावल उपजाने वाले क्षेत्रों की मिट्टी से भिन्‍न होती है।[1]

धार्मिक महत्व

चावल धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। कोई भी पूजा, यज्ञ आदि अनुष्ठान बिना चावल के पूर्ण नहीं हो सकता। चावल अर्थात अक्षत का मतलब जिसका क्षय नहीं हुआ है। शास्त्रों के अनुसार अक्षत ही एक ऐसा अनाज है जिसे पूर्ण स्वरूप माना जाता है। पूर्ण स्वरूप होने के कारण इसे सभी देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता है। माना जाता है कि अक्षत चढ़ाने का भाव यही होता है कि जिस प्रकार हम देवी को पूर्ण स्वरूप चावल चढ़ा रहे हैं उसी प्रकार देवी भी हम पर पूर्ण कृपा और आशीर्वाद बनाए रखें। हमारी श्रद्धा और भक्ति खंडित ना हो, सदैव बढ़ती जाए। चावल धन-धान्य का प्रतिनिधित्व करता है अत: इसे देवी-देवताओं को चढ़ाने का एक भाव यह भी है कि हमारे घर और समाज में धन-धान्य की कोई कमी ना हो। देवी अन्नपूर्णा की कृपा सदैव बनी रहे।[2]

मांगलिक कार्य
  • हर मांगलिक कार्य में चावल का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि में घट स्थापना के साथ-साथ हर देवी पूजा में इसका उपयोग किया जाता है।
  • हिन्दुओं में किसी भी शुभ कार्यों पर माथे पर रोली के साथ चावल लगाकर तिलक किया जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. चावल (हिन्दी) भारत डॉट जीओवी डॉट इन। अभिगमन तिथि: 28 जनवरी, 2011
  2. चावल क्यों चढ़ाते हैं माताजी को (हिन्दी) (एच.टी,एम.एल) दैनिक भास्कर। अभिगमन तिथि: 28 जनवरी, 2011

बाहरी कड़ियाँ

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