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09:44, 21 मार्च 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी से प्रारम्भ होता है।
- एक वर्ष तक सूर्य की पूजा की जाती है।
- कमल के चित्र पर खखोल्क नामक सूर्य की स्थापना की जाती है।
- इसका मूलमन्त्र है—'ओं खखोल्काय नमाः', सूर्य प्रतिमा के समक्ष 12 आदित्य, जय, विजय, शेष, वासुकि, विनायक, महाश्वेत एवं रानी सुवर्चला की स्थापना की जाती है।
- अन्य देव भी बुलाये जाते हैं।
- सप्तमी को निम्बदलों का सेवन तथा सूर्य प्रतिमा के समक्ष शयन कराया जाता है।
- अष्टमी को भी सूर्य पूजा की जाती है।
- कर्ता सभी पापों से मुक्त हो जाता है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 198-203); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 697-701); निर्णयामृत (52)।
अन्य संबंधित लिंक
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