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10:18, 21 मार्च 2011 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह व्रत चैत्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी को करना चाहिए।
- वासुदेव के रूपों की पूजा करनी चाहिए।
- आठ वसुओं की गंध, पुष्पों आदि से पूजा करनी चाहिए।
- यह व्रत एक वर्ष तक करना चाहिए।
- अन्त में एक गोदान करना चाहिए।
- सभी कामनाओं की पूर्ति एवं विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विष्णुधर्मोत्तरपुराण (3|172|1-7)
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