"पादोदक स्नान": अवतरणों में अंतर

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*इसी प्रकार संकर्षण, प्रद्युम्न एवं अनिरुद्ध की प्रतिमाओं के पादों को स्नान कराना।
*इसी प्रकार संकर्षण, प्रद्युम्न एवं अनिरुद्ध की प्रतिमाओं के पादों को स्नान कराना।
*इससे दुर्भाग्य, बाँधाएँ एवं रोग दूर होते हैं और यश एवं संतति की प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 650-653, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।</ref>
*इससे दुर्भाग्य, बाँधाएँ एवं रोग दूर होते हैं और यश एवं संतति की प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 650-653, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।</ref>
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

11:35, 19 जून 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • उत्तराषाढ़ नक्षत्र पर उपवास रखा जाता है।
  • श्रवण नक्षत्र पर हरि प्रतिमा के पादों को स्नान कराना तथा सोने, चाँदी, ताम्र तथा मिट्टी के चार घट तैयार करना।
  • इसी प्रकार संकर्षण, प्रद्युम्न एवं अनिरुद्ध की प्रतिमाओं के पादों को स्नान कराना।
  • इससे दुर्भाग्य, बाँधाएँ एवं रोग दूर होते हैं और यश एवं संतति की प्राप्ति होती है।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 650-653, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।

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