"महमूद तुग़लक़": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - " जिलों" to " ज़िलों")
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*महमूद तुग़लक़ (1399-1413 ई.) [[दिल्ली]] के [[तुग़लक़ वंश]] का अंतिम सुल्तान था।
*महमूद तुग़लक़ (1399-1413 ई.) [[दिल्ली]] के [[तुग़लक़ वंश]] का अंतिम सुल्तान था।
*उसके राज्यकाल में अनवरत संघर्ष चलते रहे और दुरावस्था अपनी चरम सीमा पर पहुँच गयी।
*उसके राज्यकाल में अनवरत संघर्ष चलते रहे और दुरावस्था अपनी चरम सीमा पर पहुँच गयी।
*महमूद तुग़लक़ के समय तक [[दिल्ली सल्तनत]] से दक्षिण [[भारत]], [[बंगाल]], ख़ानदेश, [[गुजरात]], [[मालवा]], [[राजस्थान]], [[बुन्देलखण्ड]] आदि प्रान्त स्वतन्त्र गये थे।
*महमूद तुग़लक़ के समय तक [[दिल्ली सल्तनत]] से दक्षिण [[भारत]], [[बंगाल]], [[ख़ानदेश]], [[गुजरात]], [[मालवा]], [[राजस्थान]], [[बुन्देलखण्ड]] आदि प्रान्त स्वतन्त्र गये थे।
*महमूद तुग़लक़ के समय में मलिक सरवर नाम के एक हिजड़े ने सुल्तान से ‘मलिक-उस-र्शक’ (पूर्वाधिपति) की उपाधि ग्रहण कर [[जौनपुर]] में स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की।
*महमूद तुग़लक़ के समय में मलिक सरवर नाम के एक हिजड़े ने सुल्तान से ‘मलिक-उस-र्शक’ (पूर्वाधिपति) की उपाधि ग्रहण कर [[जौनपुर]] में स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की।
*महमूद तुग़लक़ का शासन इस समय [[दिल्ली]] से पालम (निकटवर्ती कुछ ज़िलों) तक ही सीमित रह गया था।
*महमूद तुग़लक़ का शासन इस समय [[दिल्ली]] से पालम (निकटवर्ती कुछ ज़िलों) तक ही सीमित रह गया था।

06:38, 11 अप्रैल 2011 का अवतरण

  • महमूद तुग़लक़ (1399-1413 ई.) दिल्ली के तुग़लक़ वंश का अंतिम सुल्तान था।
  • उसके राज्यकाल में अनवरत संघर्ष चलते रहे और दुरावस्था अपनी चरम सीमा पर पहुँच गयी।
  • महमूद तुग़लक़ के समय तक दिल्ली सल्तनत से दक्षिण भारत, बंगाल, ख़ानदेश, गुजरात, मालवा, राजस्थान, बुन्देलखण्ड आदि प्रान्त स्वतन्त्र गये थे।
  • महमूद तुग़लक़ के समय में मलिक सरवर नाम के एक हिजड़े ने सुल्तान से ‘मलिक-उस-र्शक’ (पूर्वाधिपति) की उपाधि ग्रहण कर जौनपुर में स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की।
  • महमूद तुग़लक़ का शासन इस समय दिल्ली से पालम (निकटवर्ती कुछ ज़िलों) तक ही सीमित रह गया था।
  • इस समय नसरत शाह तुग़लक़ एवं महमूद तुग़लक़ ने एक साथ शासन किया।
  • महमूद तुग़लक़ ने दिल्ली से तथा नुसरत शाह ने फिरोजाबाद से अपने शासन का संचालन किया।
  • महमूद तुग़लक़ के समय में तैमूर लंग ने 1398 ई. में दिल्ली पर आक्रमण किया। एक पैर से लंगड़ा होने के कारण उसका नाम ‘तैमूर लंग’ पड़ गया था।
  • तैमूर के आक्रमण से डरकर दोनों सुल्तान राजधानी से भाग गये।
  • 15 दिन तक दिल्ली में रहने के पश्चात् तैमूर वापस चला गया और खिज्र ख़ाँ को अपने विजित प्रदेशों का राज्यपाल नियुक्त किया।
  • एक मान्यता के अनुसार तैमूर आक्रमण के बाद दिल्ली सल्तनत का विस्तार सिमट कर पालम तक ही रह गया था।
  • तैमूर के वापस जाने के पश्चात् महमूद तुग़लक़ ने अपने वजीर मल्लू इमबार की सहायता से पुन: दिल्ली सिंहासन पर अधिकार कर लिया, पर कालान्तर में मल्लू इकबाल मुल्तान के सूबेदार खिज्र ख़ाँ से युद्ध करते हुए मारा गया।
  • मल्लू इकबाल के मरने के बाद सुल्तान ने दिल्ली की सत्ता एक अफ़ग़ान सरदार दौलत ख़ाँ लोदी को सौंप दी।
  • 1412 ई. में महमूद तुग़लक़ की मृत्यु हो गई।
  • 1413 ई. में दिल्ली सिंहासन के लिए दौलत ख़ाँ लोदी एवं खिज्र ख़ाँ ने दिल्ली की गद्दी पर अधिकार कर एक नये राजवंश ‘सैय्यद वंश’ की स्थापना की।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख