"गढ़ पथैना रासो": अवतरणों में अंतर
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*भरतपुर के राजा 'सुजानसिंह' के अंगरक्षक 'शार्दूलसिंह' के पुत्रों के अदम्य उत्साह एवं वीरता का वर्णन किया गया है। | *भरतपुर के राजा 'सुजानसिंह' के अंगरक्षक 'शार्दूलसिंह' के पुत्रों के अदम्य उत्साह एवं वीरता का वर्णन किया गया है। | ||
*बाबू वृन्दावनदास अभिनन्दन ग्रन्थ में | *बाबू वृन्दावनदास अभिनन्दन ग्रन्थ में सन् 1975 में 'हिन्दी साहित्य सम्मेलन', [[इलाहाबाद]] द्वारा इसका विवरण प्रकाशित किया गया है।<ref>{{cite web |url=http://knowhindi.blogspot.com/2011/02/blog-post_4165.html |title=रासो काव्य : वीरगाथायें|accessmonthday=15 मई|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | ||
14:05, 6 मार्च 2012 का अवतरण
- गढ़ पथैना रासो नामक रासो काव्य के रचयिता कवि चतुरानन हैं।
- इसमें 1833 वि. के एक युद्ध का वर्णन किया गया है।
- छन्द संख्या 319 है।
- इसमें वर्णित युद्ध आधुनिक भरतपुर नगर से 32 मील पूर्व 'पथैना' ग्राम में, वहां के वीरों और सहादत अली के मध्य लड़ा गया था।
- भरतपुर के राजा 'सुजानसिंह' के अंगरक्षक 'शार्दूलसिंह' के पुत्रों के अदम्य उत्साह एवं वीरता का वर्णन किया गया है।
- बाबू वृन्दावनदास अभिनन्दन ग्रन्थ में सन् 1975 में 'हिन्दी साहित्य सम्मेलन', इलाहाबाद द्वारा इसका विवरण प्रकाशित किया गया है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ रासो काव्य : वीरगाथायें (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 15 मई, 2011।