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06:19, 23 अगस्त 2011 के समय का अवतरण

  • छछूंदर रायसा बुन्देली बोली में लिखा गया रासो काव्य है।
  • यह एक छोटी रचना है।
  • छछूंदर रायसे की प्रेरणा का स्रोत एक लोकोक्ति को माना जा सकता है- 'भई गति सांप छछूंदर केरी।'
  • इस रचना में हास्य के नाम पर जातीय द्वेष भाव की झलक देखने को मिलती है।
  • दतिया राजकीय पुस्तकालय में मिली खण्डित प्रति से न तो सही छन्द संख्या ज्ञात हो सकी और न कवि के सम्बन्ध में ही कुछ जानकारी उपलब्ध हो सकी।
  • रचना की भाषा मंजी हुई बुन्देली है।
  • अवश्य ही ऐसी रचनाएं दरबारी कवियों द्वारा अपने आश्रयदाता को प्रसन्न करने अथवा कायर क्षत्रियत्व पर व्यंग्य के लिये लिखी गई होगी।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रासो काव्य : वीरगाथायें (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 15 मई, 2011।

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