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*रायसो में दतिया के वयोवृद्ध नरेश पारीछत की सेना एवं टीकमगढ़ के राजा विक्रमाजीतसिंह के बाघाट स्थित दीवान गन्धर्वसिंह के मध्य हुए युद्ध का वर्णन है। | *रायसो में दतिया के वयोवृद्ध नरेश पारीछत की सेना एवं टीकमगढ़ के राजा विक्रमाजीतसिंह के बाघाट स्थित दीवान गन्धर्वसिंह के मध्य हुए युद्ध का वर्णन है। | ||
*युद्ध की तिथि सं. 1873 दी गई है। अतएव यह रचना सं. 1873 के | *युद्ध की तिथि सं. 1873 दी गई है। अतएव यह रचना सं. 1873 के पश्चात् की ही रही होगी। | ||
*इसका सम्पादन श्री 'हरिमोहन लाल श्रीवास्तव' के द्वारा किया गया है। | *इसका सम्पादन श्री 'हरिमोहन लाल श्रीवास्तव' के द्वारा किया गया है। | ||
*भारतीय साहित्य ने [[सम्वत]] 1959 में कन्हैयालाल मुंशी, हिन्दी विद्यापीठ [[आगरा]] द्वारा इसे प्रकाशित किया गया।<ref>{{cite web |url=http://knowhindi.blogspot.com/2011/02/blog-post_4165.html |title=रासो काव्य : वीरगाथायें|accessmonthday=15 मई|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | *भारतीय साहित्य ने [[सम्वत]] 1959 में कन्हैयालाल मुंशी, हिन्दी विद्यापीठ [[आगरा]] द्वारा इसे प्रकाशित किया गया।<ref>{{cite web |url=http://knowhindi.blogspot.com/2011/02/blog-post_4165.html |title=रासो काव्य : वीरगाथायें|accessmonthday=15 मई|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> |
07:46, 23 जून 2017 के समय का अवतरण
- पारीछत रायसा रासो काव्य के रचयिता श्रीधर कवि है।
- रायसो में दतिया के वयोवृद्ध नरेश पारीछत की सेना एवं टीकमगढ़ के राजा विक्रमाजीतसिंह के बाघाट स्थित दीवान गन्धर्वसिंह के मध्य हुए युद्ध का वर्णन है।
- युद्ध की तिथि सं. 1873 दी गई है। अतएव यह रचना सं. 1873 के पश्चात् की ही रही होगी।
- इसका सम्पादन श्री 'हरिमोहन लाल श्रीवास्तव' के द्वारा किया गया है।
- भारतीय साहित्य ने सम्वत 1959 में कन्हैयालाल मुंशी, हिन्दी विद्यापीठ आगरा द्वारा इसे प्रकाशित किया गया।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ रासो काव्य : वीरगाथायें (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 15 मई, 2011।