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*कृत्यकल्पतरु के मत से यह संवत्सरव्रत है और हेमाद्रि ने इसे प्रकीर्णक माना है। | *कृत्यकल्पतरु के मत से यह संवत्सरव्रत है और हेमाद्रि ने इसे प्रकीर्णक माना है। | ||
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12:50, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- इस व्रत में केवल दूध का सेवन किया जाता है।
- पृथ्वी की एक स्वर्णिम प्रतिमा होती है।
- जिसकी तौल 22 पल होती है।
- इसमें रुद्र देवता होता है।
- कर्ता रुद्रलोक को जाता है।[1]
- कृत्यकल्पतरु के मत से यह संवत्सरव्रत है और हेमाद्रि ने इसे प्रकीर्णक माना है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मत्स्य पुराण (101|52); कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 446); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 906
अन्य संबंधित लिंक
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