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|37- काठ की हाँडी एक  ही बार चढ़ती है।
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अर्थ - धोखेबाजी हर बार नहीं चल सकती है।
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|38- कान में तेल डाले बैठे हैं।
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16:55, 8 जुलाई 2011 का अवतरण

कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें

                              अं                                                                                              क्ष    त्र    श्र
कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ
1- ककड़ी-खीरा समझना।

अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना।

2- कच्चा चिट्ठा खोलना।

अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना।

3- काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती।

अर्थ - लकड़ी की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती। किसी व्यक्ति को एक बार ही मूर्ख बनाया जा सकता है, बार-बार नहीं।

4- कंगाली में आटा गीला।

अर्थ - नुक़सान पर नुक़सान होना।

5- कंधे से कंधा छिलना।

अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है।

6- काहे पंडित पढ़ि पढ़ि भरो, पूस अमावस की सुधि करो।

अर्थ - यदि पूस माह की दशमी को घटा छायी हो तो सावन माह की दशमी को चारों दिशाओं में वर्षा होगी।

7- कन्या धान मीनै जौ। जहां चाहै तहंवै लौ।।

अर्थ - कन्या राशि की संक्रान्ति होने पर धान (कुमारी) और मीन राशि की संक्रान्ति होने पर जौ की फ़सल काटनी चाहिए।

8- कुलिहर भदई बोओ यार। तब चिउरा की होय बहार।।

अर्थ - कुलिहर (पूस-माघ में जोते हुए) खेत में भादों में पकने वाला धान बोने से चिउड़े का आनन्द आता है- अर्थात वह धान उपजता है।

9- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल।

अर्थ - एक गंदी मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है।

10- कंगाली में आटा गीला।

अर्थ - एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत आ जाना।

11- ककड़ी के चोर को फाँसी नहीं दी जाती।

अर्थ - छोटे अपराध के लिए बहुत कड़ा दंड उचित नहीं होता है।

12- कचहरी का दरवाज़ा खुला है।

अर्थ - सभी के लिए न्याय का रास्ता खुला है,न्याय के लिए न्यायालय में जाना चाहिए।

13- कड़ाही से गिरा चूल्हे में पड़ा।

अर्थ - छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना।

14- कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी।

अर्थ - उलटी बात करना।

15- क़ब्र में पाँव लटकाए बैठा है ।

अर्थ - मरणासन्न ।

16- कभी दिन बड़े कभी रात।

अर्थ - सब दिन एक समान नहीं होते।

17- कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव पर।

अर्थ - हालात बदलते रहते हैं।

18- कमली ओढ़ने से फ़कीर नहीं होता।

अर्थ - ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते।

19- कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती।

अर्थ - बात सोच- समझकर करनी चाहिए।

20- करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान

अर्थ - प्रयत्न करते रहना चाहिए, सफलता अवश्य मिलेगी।

21- करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया।

अर्थ -

22- करमहीन खेती करे, बैल मरे या सूखा पड़े।

अर्थ - दुर्भाग्य हो तो किसी न किसी कारण से काम ख़राब होता रहता है।

23- कर ले सो काम ,भज ले सो राम।

अर्थ - कर्म करने और पूजा-पाठ करने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए।

24- कर सेवा तो खा मेवा।

अर्थ - सेवा करने वाले को अच्छा फल मिलता है।

25- करे कोई भरे कोई।

अर्थ - किसी की करनी का फल कोई और भोगे।

26- करे दाढ़ीवाला, पकड़ा जाए जाए मुंछोंवाला।

अर्थ - किसी के अपराध के लिए किसी दूसरे को दोषी ठहराया जाता है।

27- कल किसने देखा है।

अर्थ - भविष्य में क्या होगा , कौन जानता है। कोई नहीं जानता कि कल क्या होने वाला है।

28- कलाल की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है।

अर्थ - बुरी संगत में कलंक लगता ही है। शराब की दुकान पर जाओ तो सभी सोचते हैं कि शराब पीने गया होगा।

29- कहने से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता।

अर्थ - मनमनी करने वाला दूसरों की बात नहीं मानता।

30- कहाँ राम–राम, कहाँ टाँय-टाँय।

अर्थ - उच्च कोटि की वस्तु से किसी निम्न- कोटि की वस्तु की तुलना नहीं की जा सकती।

31- कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा।

अर्थ - बेमेल चीज़ें को जोड़-जोड़कर इकट्ठा कर लेना।

32- कहीं गधा भी घोड़ा बन सकता है।

अर्थ - बुरा या छोटा आदमी कभी अच्छा या बड़ा नहीं बन सकता।

33- कहें खेत की, सुने खलिहान की।

अर्थ - कहा कुछ गया और कुछ समझा कुछ गया।

34- काग़ज की नाव नहीं चलती।

अर्थ - बेईमानी या धोखेबाज़ी ज़्यादा दिन तक नहीं चल सकती।

35- काजल की कोठरी में कैसो हू सयानो जाय,

एक लीक काजल की लगि है सो लागि है।

अर्थ - बुरी संगत में रहने से कभी न कभी कलंक अवश्य लग ही जाता है।

36- काज़ी जी दुबले क्यों शहर के अंदेशे से।

अर्थ - अपनी चिन्ता न करके दूसरों की चिन्ता करना।

37- काठ की हाँडी एक ही बार चढ़ती है।

अर्थ - धोखेबाज़ी हर बार नहीं चल सकती है।

38- कान में तेल डाले बैठे हैं।

अर्थ - कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की ख़बर ही नहीं।

39- काम का ना काज का , दुश्मन अनाज का।

अर्थ - निकम्मा आदमी।

40- क़ाबुल में क्या गधे नहीं होते।

अर्थ - कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है।

41- काम को काम सिखाता है।

अर्थ - काम करते-करते अनुभव से आदमी होशियार हो जाता है।

42- काल के हाथ कमान, बूढ़ा बचे न जवान,

काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक।

अर्थ - मृत्यु सब को आती है।

43- काला अक्षर भैंस बराबर।

अर्थ - पढ़ा लिखा ना होना।

44- काली के ब्याह को सौ जोखो।

अर्थ - एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं।

45- किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान।

अर्थ - स्वाभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती।

46- किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है।

अर्थ - अरे ,वह तो किसी कीमत का नहीं है अर्थात नगण्य है।

47- किसी का घर जले कोई तापे।

अर्थ - किसी के दु:ख और परेशनी से दूसरे का खुश होना।

48- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना।

अर्थ - कंजूस होना।

49- कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है।

अर्थ - लाभ जहाँ से होता है वहीं खर्च भी हो जाता है।

50- कौए उड़ाना।

अर्थ - घटिया या छोटे काम करना।

51- कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है।

अर्थ - सफ़ाई सब को पसंद होती है।

52- कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी।

अर्थ - लाख प्रयत्न करो, कुटिल व्यक्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता।

53- कुत्ते को घी नहीं पचता।

अर्थ - नीच आदमी उच्चे पद पाकर दूसरों को बेवकूफ समझने लगता है।

54- कुत्ते के भौकनें से हाथी नहीं डरते।

अर्थ - महापुरुष नीच व्यक्ति के द्वारा निंदा करने से नहीं घबराते हैं।

55- कोल्हू का बैल।

अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला।

56- कै हंसा मोती चुगे, कै भूखा मर जाय।

अर्थ - प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। स्वाभिमान को छोड़कर नहीं जीना पसंद करता।

57- कोई मरे कोई जीवे, सुथरा घोल बताशा गावे।

अर्थ - सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। दूसरों के दु:ख की कोई चिन्ता नहीं करता।

58- कोई माल मस्तख़, कोई हाल मस्तत।

अर्थ - कोई अमीरी से संतुष्ट, कोई ग़रीबी में भी संतुष्ट है।

59- कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवे।

अर्थ - धनवान धन होने पर भी चिंतित रहता है, ग़रीब धन ना होने पर भी निश्चिंत रहता है।

60- कोयल होय न उजली, सौ मन साबुन लाइ।

अर्थ - कोशिश करने पर भी स्वभाव नहीं बदलता है।

61- कोयलों की दलाली में हाथ काले।

अर्थ - बुरों की संगत से भले आदमी को भी कलंक लग जाता है।

62- कौड़ी नहीं गाँठ, चले बाग़ की सैर।

अर्थ - पूरे साधन नहीं और काम शुरू कर दिया।

63- कौन कहे राजा जी नंगे हैं।

अर्थ - बड़े लोगों की बुराई करने कि हिम्मत किसी की नहीं होती।

64- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल।

अर्थ - दूसरों की नकल करने से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व भी खो बैठता है।

65- क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा।

अर्थ - तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है।

66- का वर्षा जब कृषि सुखानी।

अर्थ - अवसर निकलने जाने पर सहायता मिलना व्यर्थ होता है।

67- कच्ची गोली नहीं खेलना।

अर्थ - अनुभवहीन नहीं होना, पारंगत होना।

68- कट जाना।

अर्थ - शर्मिंदा होना, शर्मिंदा होकर सामने ना पड़ना।

69- कटे पर नमक छिड़कना।

अर्थ - दु:खी व्यक्ति को और अधिक दु:खी करना।

70- कढ़ी का सा उबाल।

अर्थ - मामूली से जोश में आना।

71- क़दम उखड़ना।

अर्थ - भाग खड़े होना।

72- कन्नी काटना।

अर्थ - सामने ना पड़ना, कतरा कर निकल जाना।

73- कमर कसना।

अर्थ - पूरी तरह तैयार हो जाना।

74- कलम का धनी।

अर्थ - अच्छा लेखक होना, भाषा पर पकड़ होना।

75- कलम तोड़ना।

अर्थ - बहुत बढ़िया लिखना।

76- कली खिलना।

अर्थ - बहुत खुश होना।

77- कलेजा ठंडा होना।

अर्थ - मन को सुख, शांति और सकून मिलना।

78- कलेजा धक से रह जाना।

अर्थ - डर जाना, घबरा जाना।

79- कलेजा मुँह को आना।

अर्थ - दु:ख होना, परेशान होना।

80- कलेजा का टुकड़ा।

अर्थ - बहुत प्यारा बेटा होना।

81- कलेजे पर साँप लोटना।

अर्थ - डाह से कुढ़ना, जलन होना।

82- कहा-सुनी होना।

अर्थ - लड़ाई झगड़ा होना।

83- काँटा दूर होना।

अर्थ - बाधा दूर होना, रूकावटें हट जाना।

84- काँटे बिछाना।

अर्थ - रूकावटें और अड़चने पैदा करना।

85- काँटों पर लेटना।

अर्थ - बेचैन होना, परेशान होना।

86- काँटों पर घसीटना।

अर्थ - संकट, मुसीबत में डालना।

87- काग़ज़ी घोड़े दौड़ाना।

अर्थ - केवल लिखा-पढ़ी करते रहना।

88- काजल की कोठरी।

अर्थ - कलंक लगने का स्थान।

89- काठ का उल्लू।

अर्थ - महामूर्ख होना, बुद्धि ना होना।

90- काठ मार जाना।

अर्थ - हतप्रभ हो जाना, अचम्भित होना।

91- कान कतरना।

अर्थ - मात देना, बेवकूफ बनाना।

92- कान खड़े होना।

अर्थ - चौकन्ना होना।

93- कान खोलना।

अर्थ - सावधान कर देना।

94- कान गरम करना।

अर्थ - पिटाई करना।

95- कान देना।

अर्थ - ध्यान से सुनना।

96- कान पकड़ना।

अर्थ - ग़लती मान लेना।

97- कान पर जूँ तक न रेंगना।

अर्थ - कुछ भी परवाह न करना।

98- कान भरना।

अर्थ - चुगली करना।

99- कान में बात डाल देना।

अर्थ - सुना देना, कह देना।

100- कान में तेल डालकर बैठना।

अर्थ - सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना।

101- कान में फूँकना।

अर्थ - चुपचाप से कह देना।

102- कान लगाना।

अर्थ - ध्यान देकर सुनना।

103- काफ़ूर होना।

अर्थ - गायब हो जाना।

104- कोर दबना।

अर्थ - दबाव में होना।

105- काम तमाम करना।

अर्थ - मार डालना।

106- काया पलट जाना।

अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना।

107- काल कवलित होना।

अर्थ - मर जाना।

108- काल के गाल में जाना।

अर्थ - मर जाना।

109- काला नाग।

अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति ।

110- काला मुँह करना।

अर्थ - बदनामी करना, नाम ख़राब करना।

111- काले कोसों।

अर्थ - बहुत दूर।

112- किताबी कीड़ा होना।

अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना।

113- किरकिरी हो जाना।

अर्थ - विघ्न पड़ना।

114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा।

अर्थ - किसी भी काम का न होना।

115- क़िस्मत फूटना।

अर्थ - बुरे दिन आना।

116- कीचड़ उछालना।

अर्थ - निंदा करना।

117- कुआँ खोदना।

अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना।

118- कुएँ में गिरना।

अर्थ - विपत्ति में पड़ जाना।

119- कुएँ में भाँग पड़ना।

अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना।

120- कुछ उठा न रखना।

अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना।

121- कुत्ते की दुम।

अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना।

122- कुत्ते की मौत मरना।

अर्थ - बुरी तरह मरना।

123- कूच कर जाना।

अर्थ - चले जाना।

124- कूप मंडूक होना।

अर्थ - सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना।

125- कोई दम भर का मेहमान होना।

अर्थ - मरने के क़रीब होना।

126- कोढ़ में खाज होना।

अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना।