"प्रयोग:Asha": अवतरणों में अंतर

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1- जो बोये गेहूं पांच पसेरी, मटर के बीघा तीन सेर,<br />
1- टके का सब खेल है।
बोये चना पसेरी तीन, सेर तीन जुबारी कीन्ह,<br />
दो सेर मेथी अरहर माल, डेढ सेर बीघा बीज कपास,<br />
पांच पसेरी बीघा धान, खूब उपज भर कोटिला धान।
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अर्थ - एक बीघा में पांच सेर गेहूं,  मटर तीन सेर, चना तीन पसेरी,  ज्वार तीन सेर, अरहर और उड़द दो दो सेर बोना चाहिए। डेढ़ सेर कपास और धान पांच पसेरी बोया जाए तो अनाज की इतनी उपज होगी कि आपके भंडार भर जायेंगे।
अर्थ - पैसा सब कुछ करता है।
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|2- जो हल जोतै खेती वाकी, और नहीं तो जाकी ताकी।
|2- टका सा जवाब देना।
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अर्थ -  
अर्थ - साफ़ इंकार करना।
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|3- जब बरखा चित्रा में होय। सगरी खेती जावै खोय।।
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|3- टका सा मुँह लेकर रह जाना।
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अर्थ - चित्रा नक्षत्र की वर्षा प्राय: सारी खेती नष्ट कर देती है।
अर्थ - लज्जित हो जाना।
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|4- जो बरसे पुनर्वसु स्वाती। चरखा चलै न बोलै तांती।।
|4- टटिया की आड़ में शिकार खेलना।
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अर्थ - पुनर्वसु और स्वाति नक्षत्र की बारिश से किसान सुखी रहते है, उन्हें और तांत(चरखा) चलाकर जीवन निर्वाह करने की जरूरत नहीं पड़ती।
अर्थ - छिपकर किसी के विरूद्ध कुछ करना, आड़ लेकर काम करना।
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|5- जो कहुं मग्घा बरसै जल। सब नाजों में होगा फल।।
|5- टट्टू पार होना।
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अर्थ - मघा नक्षत्र में पानी बरसने से सब अनाज अच्छी तरह पैदा होते हैं।
अर्थ - काम निकल जाना।
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|6- जब बरसेगा उत्तरा। नाज न खावै कुत्तरा।।
|6- टाँग अड़ाना।
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अर्थ - यदि उत्तरा नक्षत्र बरसेगा तो अन्न इतना अधिक होगा कि उसे कुत्ते भी नहीं खाएंगे।
अर्थ - बाधा पैदा करना।
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|7- जंगल में मोर नाचा किसने देखा।
|7- टाँग तले से निकलना।
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अर्थ - ऐसे स्थान पर गुण प्रदर्शन न करें जहाँ कद्र न हो।
अर्थ - हार मनवाना।
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|8- जड़ काटते जाएं, पानी देते जाएं।
|8- टाँय-टाँय फिस होना।
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अर्थ -  भीतर से शत्रु ऊपर से मित्र।
अर्थ -  काम बिगड़ जाना।
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|9- जने–जने की लकड़ी, एक जने का बोझ।
|9- टाट उलटना।
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अर्थ - सबसे थोड़ा-थोड़ा मिले तो काम पूरा हो जाता है।
अर्थ - दीवाला निकलना।
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|10- टेढ़ी खीर।
|10- जब चने थे दाँत न थे, जब दाँत भये तब चने नहीं।
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अर्थ - कभी वस्तु  है तो उसका भोग करने वाला नहीं और कभी भोग करने वाला है तो वस्तु  नहीं।।
अर्थ - कठिन काम।
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|11- जब तक जीना तब तक सीना।
|11- जब तक जीना तब तक सीना।
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अर्थ - थोड़ी सी कठिनाई के कारण कोई काम छोड़ा नहीं जाता।
अर्थ - थोड़ी सी कठिनाई के कारण कोई काम छोड़ा नहीं जाता।
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|49- कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है।
|49- जुठा खाए, मीठे के लालच।
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अर्थ - लाभ जहाँ से होता है वहीं खर्च भी हो जाता है।
अर्थ - लाभ के लालच में नीच काम करना।
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|50- कुतिया चोरों से मिल जाए तो पहरा कौन दे।
|50- जैसा करोगे वैसा भरोगे, जैसा बोओगे वैसा काटोगे।
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अर्थ - जब रक्षक ही बेईमान हो जाए तो क्या रास्ता है ?
अर्थ - अपनी करनी का फल मिलता है।
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|51-  कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है।
|51-  जैसा मुँह वैसा थप्पड़।
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अर्थ - सफ़ाई सब को पसंद होती है।
अर्थ - जो जिसके योग्य हो उसको वही मिलता है।
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|52- कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी।
|52- जैसा राजा वैसी प्रजा।
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अर्थ - लाख प्रयत्न  करो, कुटिल व्यक्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता।
अर्थ - जैसा मालिक होता है वैसे ही कर्मचारी होते हैं।
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|53- कुत्ते को घी नहीं पचता।
|53- जैसे तेरी कोमरी, वैसे मेरे गीत।
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अर्थ - नीच आदमी उच्चे पद पाकर दूसरों को बेवकूफ समझने लगता है।
अर्थ - जैसा दोगे वैसा पाओगे।
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|54- कुत्ते के भौकनें से हाथी नहीं डरते।
|54- जैसे कंता घर रहे वैसे रहे परदेश।
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अर्थ - महापुरूष  नीच व्यक्ति के द्वारा निंदा करने से नहीं घबराते हैं।
अर्थ - निकम्‍मा आदमी घर में रहे या बाहर कोई अंतर नहीं।
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|55- कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है।
|55- जैसे नागनाथ वैसे साँपनाथ।
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अर्थ - हर कोई अपनी वस्तु की प्रशंसा करता है।
अर्थ - सबका एक जैसा होना।
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|56- कै हंसा मोती चुगे, कै भूखा मर जाय।
|56- जैसे मियाँ काइ का वैसे सन की दाढ़ी।
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अर्थ - प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। स्वाभिमान को छोड़कर नहीं जीना पसंद करता।
अर्थ - ठीक मेल है।
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|57- कोई मरे कोई जीवे, सुथरा घोल बताशा गावे।
|57- जो गरजते हैं वो बरसते नहीं।
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अर्थ - सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। दूसरों के दु:ख की कोई चिन्ता नहीं करता।
अर्थ - बहुत डींग हाँकने वाले काम के नहीं होते हैं।
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|58- कोई माल मस्तख़, कोई हाल मस्तत।
|58- जोगी का बेटा खेलेगा तो साँप से।
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अर्थ - कोई अमीरी से संतुष्ट, कोई गरीबी में भी संतुष्ट है।
अर्थ - बाप का प्रभाव बेटे पर पड़ता है।
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|59- कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवे।
|59- जो गुड़ खाए सो कान छिदवाए।
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अर्थ - धनवान धन होने पर भी चिंतित रहता है, गरीब धन ना होने पर भी निश्चिंत रहता है।
अर्थ - लाभ पाने वाले को कष्ट सहना ही पड़ता है।
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|60- कोयल होय न उजली, सौ मन साबुन लाइ।
|60- जो तोको काँटा बुवे ताहि बोइ तू फूल।
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अर्थ - कोशिश करने पर भी स्वभाव नहीं बदलता है।
अर्थ - बुराई का बदला भी भलाई से दो।
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|61- कोयलों की दलाली में हाथ काले।
|61- जो बोले सो घी को जाए।
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अर्थ -  बुरों की संगत से भले आदमी को भी कलंक लग जाता है।
अर्थ -  ज्यादा बोलना अच्छा नहीं होता।
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|62- कौड़ी नहीं गाँठ, चले बाग की सैर।
|62- जो हाँडी में होगा वह थाली में आएगा।
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अर्थ - पूरे साधन नहीं और काम शुरू कर दिया।
अर्थ - जो मन में है वह प्रकट होगा ही।
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|63- कौन कहे राजा जी नंगे हैं।
|63- ज्यों-ज्यों भीजे कामरी त्यों -त्यों भारी होय
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अर्थ - बड़े लोगों की बुराई करने कि हिम्मत किसी की नहीं होती।
अर्थ - जैसे-जैसे समय बीतता है जिम्मेदारियाँ बढ़ती जाती हैं।
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|64- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल।
|64- ज्यों  नकटे को आरसी होत दिखाई क्रोध।
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अर्थ - दूसरों की नकल करने से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व भी खो बैठता है।
अर्थ - दोषी को उसका दोष बताया जाए तो क्रुद्ध होता है।
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|65- क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा।
|65- जो सुख चौबारे, न बखल न बुखारे।
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अर्थ - तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है।
अर्थ - अपना घर दूर से सूझता है।
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|66- का वर्षा  जब कृषि सुखानी।
|66- जंगल में मंगल होना।
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अर्थ - अवसर निकलने जाने पर सहायता मिलना व्यर्थ होता है।
अर्थ - उजाड़ में चहल-पहल होना।
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|67- कच्ची गोली नहीं खेलना।
|67- जड़ों में मट्ठा ड़ालना / तेल देना / जड़ खोदना / जड़ काटना।
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अर्थ - अनुभवहीन नही होना , पारंगत होना।
अर्थ - समूल नष्ट करना।
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|68- कट जाना।
|68- ज़बान काट कर देना।
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अर्थ - शर्मिंदा होना, शर्मिंदा होकर सामने ना पड़ना।
अर्थ - वादा करना।
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|69- कटे पर नमक छिड़कना।
|69- ज़बान पर चढ़ना।
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अर्थ -  दु:खी व्यक्ति को और अधिक दु:खी करना।
अर्थ -  याद आना।
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|70- कढ़ी का सा उबाल।
|70- ज़बान पर लगाम न होना।
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अर्थ - मामूली से जोश में आना।
अर्थ - बेमतलब बोलते जाना।
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|71- कदम उखड़ना।
|71- ज़मीन आसमान एक करना।
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अर्थ - भाग खड़े होना।
अर्थ - सब उपाय कर डालना।
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|72- कन्नी काटना।
|72- ज़मीन आसमान का फर्क।
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अर्थ - सामने ना पड़ना, कतरा कर निकल जाना।
अर्थ - बहुत भारी अंतर होना। 
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|73- कमर कसना।
|73- ज़मीन पर पैर न रखना। 
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अर्थ - पूरी तरह तैयार हो जाना।
अर्थ - अकड़कर चलना, इतराना।
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|74- कलम का धनी।
|74- ज़मीन में गड़ना।
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अर्थ - अच्छा लेखक होना, भाषा पर पकड़ होना।  
अर्थ - लज्जा  से सिर नीचा होना।
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|75- कलम तोड़ना।
|75- जलती आग में घी डालना।
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अर्थ - बहुत बढ़िया लिखना।
अर्थ - और भड़काना।
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|76- कली खिलना।
|76- जली-कटी सुनाना।
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अर्थ - बहुत खुश होना।
अर्थ - बुरा-भला कहना।
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|77- कलेजा ठंडा होना।
|77- ज़हर उगलना।
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अर्थ - मन को सुख, शांति और सकून मिलना।
अर्थ - कड़वी बातें कहना।
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|78- कलेजा धक से रह जाना।
|78- ज़हर की पुडि़या।
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अर्थ - डर जाना, घबरा जाना।
अर्थ - झगड़ालू औरत। 
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|79- कलेजा मुँह को आना।
|79- ज़हाज का पंछी।
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अर्थ - दु:ख होना, परेशान होना।
अर्थ - जिसका कोई ठिकाना नहीं हो।
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|80- कलेजा का टुकड़ा।
|80- जान के लाले पड़ना।
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अर्थ - बहुत प्यारा बेटा होना।
अर्थ - संकट में पड़ना।
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|81- कलेजे पर साँप लोटना।
|81- जान पर खेलना।
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अर्थ - डाह से कुढ़ना, जलन होना।
अर्थ - जान की बाजी लगाना।
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|82- कहा-सुनी होना।
|82- जान में जान आना।
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अर्थ - लड़ाई झगड़ा होना।
अर्थ - चैन, सकून मिलना।
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|83- काँटा दूर होना।
|83- जान से हाथ धोना बैठना।
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अर्थ - बाधा दूर होना, रूकावटें हट जाना।  
अर्थ - मारा जाना।  
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|84- काँटे बिछाना।
|84- जान हथेली पर रखना।
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अर्थ - रूकावटें और अड़चने पैदा करना।
अर्थ - जान की परवाह न करना।  
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|85- काँटों पर लेटना।
|85- जामे से बाहर होना।
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अर्थ - बेचैन होना, परेशान होना।  
अर्थ - अत्यधिक क्रुद्ध होना।
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|86- काँटों पर घसीटना।
|86- जी का जंजाल।
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अर्थ - संकट, मुसीबत में डालना।
अर्थ - व्यर्थ का झंझट।
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|87- कागजी घोड़े दौड़ाना।
|87- जी खट्टा होना।
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अर्थ - केवल लिखा-पढ़ी करते रहना।
अर्थ - विरक्ति होना।
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|88- काजल की कोठरी।
|88- जी चुराना।
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अर्थ - कलंक लगने का स्थान।
अर्थ - काम करने से कतराना।
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|89- काठ का उल्लू।
|89- जीते जी मक्खी निगलना।
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अर्थ - महामूर्ख होना, बुद्धि ना होना।
अर्थ - जी पर  बन आना।
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|90- काठ मार जाना।
|90- जी भर आना।
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अर्थ - हतप्रभ हो जाना, अचम्भित होना।  
अर्थ - दु:खी होना।  
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|91- कान कतरना।
|91- जूतियों में दाल बाँटना।
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अर्थ - मात देना, बेवकूफ बनाना।
अर्थ - लड़ाई- झगड़ा होना।
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|92- कान खड़े होना।
|92- जूते चाटना।
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अर्थ -  चौकन्ना  होना।
अर्थ -  चापलूसी करना।
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|93- कान खोलना।
|93- जोड़-तोड़ करना।
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अर्थ -  सावधान  कर देना।
अर्थ -  उपाय करना।
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|94- कान गरम करना।
|94- कान गरम करना।
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13:46, 11 मई 2010 का अवतरण

त्रिपुरा
त्रिपुरा प्रदेश के ज़िले

उत्तर त्रिपुरा ज़िला . दक्षिण त्रिपुरा ज़िला . धलाई ज़िला . पश्चिम त्रिपुरा ज़िला


कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें

                              अं                                                                                              क्ष    त्र    श्र
कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ

1- टके का सब खेल है।

अर्थ - पैसा सब कुछ करता है।

2- टका सा जवाब देना।

अर्थ - साफ़ इंकार करना।

|3- टका सा मुँह लेकर रह जाना। | अर्थ - लज्जित हो जाना। |- |4- टटिया की आड़ में शिकार खेलना। | अर्थ - छिपकर किसी के विरूद्ध कुछ करना, आड़ लेकर काम करना। |- |5- टट्टू पार होना। | अर्थ - काम निकल जाना। |- |6- टाँग अड़ाना। | अर्थ - बाधा पैदा करना। |- |7- टाँग तले से निकलना। | अर्थ - हार मनवाना। |- |8- टाँय-टाँय फिस होना। | अर्थ - काम बिगड़ जाना। |- |9- टाट उलटना। | अर्थ - दीवाला निकलना। |- |10- टेढ़ी खीर। | अर्थ - कठिन काम। |- |} |11- जब तक जीना तब तक सीना। | अर्थ - जीते-जी कोई न कोई काम करना पड़ता है। |- |12- जब तक साँस तब तक आस। | अर्थ - अंत समय तक उम्मीद बनी रहती है। |- |13- जबरदस्ती का ठेंगा सिर पर। | अर्थ - जबरदस्ती आदमी दबाव डाल कर काम लेता है । |- |14- जबरा मारे रोने न दे। | अर्थ - जवरदस्त आदमी का अत्याचार चुपचाप सहना पड़ता है। |- |15- ज़बान को लगाम चाहिए। | अर्थ - सोच-समझकर बोलना चाहिए। |- |16- ज़बान ही हाथी चढ़ाए, ज़बान ही सिर कटाए। | अर्थ - मीठी बोली से आदर और कड़वी बोली से निरादर होता है। |- |17- ज़र का ज़ोर पूरा है, और सब अधूरा है। | अर्थ - धन सबसे बलवान है। |- |18- ज़र है तो नर, नहीं तो खंडहर। | अर्थ - पैसे से ही आदमी का सम्मान है। |- |19- जल में रहकर मगर से बैर। | अर्थ - जहाँ रहना हो वहाँ के मुखिया से बैर ठीक नहीं होता । |- |20- जस दूल्हा तस बनी बराता। | अर्थ - जैसे आप वैसे साथी। |- |21- जहं जहं चरण पड़े संतन के, तहं तहं बंटाधार। | अर्थ - अभागा व्यक्ति जहाँ जाता है, बुरा होता है। |- |22- जहाँ गुड़ होगा, वहीं मक्खियाँ होंगी। | अर्थ - आकर्षक जगह पर लोग जमा होते हैं। |- |23- जहाँ चार बासन होगें, वहाँ खटकेगें भी। | अर्थ - जहाँ कुछ व्यक्ति होते है वहाँ कभी-कभी झगड़ा हो ही जाता है। |- |24- जहाँ चाह वहाँ राह। | अर्थ - इच्छा हो तो काम करने का रास्ता निकल ही आता है। |- |25- जहाँ देखे तवा परात, वहीं गुजारी सारी रात। | अर्थ - जहाँ कुछ प्राप्ति होती हो, वहाँ लालची आदमी जम जाता है। |- |26- जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि। | अर्थ - कवि अपनी कल्पना से सब जगह पहुँच जाता है। |- |27- जहाँ फूल वहाँ काँटा। | अर्थ - अच्छाई के साथ बुराई भी लगी होती है। |- |28- जहाँ मुर्गा नहीं होता क्या वहाँ सवेरा नहीं होता। | अर्थ - किसी के बिना काम रुकता नहीं है। |- |29- जाके पैर न फटी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई। | अर्थ - दु:ख को भुक्ता भोगी ही जानता है उसे अन्य कोई नहीं जान सकता है। |- |30- जागेगा सो पावेगा,सोवेगा सो खोएगा। | अर्थ - लाभ इसमें है कि आदमी सतर्क रहे। |- |31- जादू वह जो सिर पर चढ़कर बोले। | अर्थ - असरदार आदमी की बात माननी ही पड़ती है। |- |32- जान मारे बनिया पहचान मारे चोर। | अर्थ - बनिया और चोर जान पहचान वालों को भी ठगते हैं। |- |33- जाएं लाख, रहे साख। | अर्थ - धन भले ही चला जाए, इज्जत बचनी चाहिए। |- |34- जितना गुड़ डालो, उतना ही मीठा। | अर्थ - जितना खर्चा करोगे चीज़ उतनी ही अच्छी मिलेगी। |- |35- जितनी चादर देखो, उतने ही पैर पसारो। | अर्थ - आमदनी के हिसाब से खर्च करो। |- |36- जितने मुँह उतनी बातें। | अर्थ - अनेक प्रकार की अफवाहें। |- |37- जिन खोजा तिन पाइयाँ, गहरे पानी पैंठ। | अर्थ - जितना कठिन परिश्रम उतना ही लाभ होता है। |- |38- जिस तन लगे वही तन जाने। | अर्थ - जिसको कष्ट होता है वही उसका अनुभव कर सकता है। |- |39- जिस थाली में खाना, उसी में छेद करना। | अर्थ - जो उपकार करे, उसका ही अहित करना। |-|} |40- जिसका काम उसी को साजै। | अर्थ - जो काम जिसका है वही उसे भली प्रकार से कर सकता है। |- |41- जिसका खाइए उसका गाइए। | अर्थ - जिससे लाभ हो उसी का पक्ष लो। |- |42- जिसकी जूती उसी के सिर। | अर्थ - जिसकी करनी उसी को फल मिलता है। |- |43- जिसकी लाठी उसी की भैंस। | अर्थ - शक्ति संपन्न आदमी का रौब चलता है और वह अपना काम बना लेता है। |- |44- जिसके ह‍ाथ डोई, उसका सब कोई। | अर्थ - धनी आदमी के सब मित्र हैं। |- |45- जिसको पिया चाहे, वहीं सुहागिन। | अर्थ - जिसको अफ़सर माने,वहीं योग्य है। |- |46- जी का बैरी जी। | अर्थ - मनुष्य ही मनुष्य का शत्रु है। |- |47- जीभ भी जली और स्वाद भी न आया। | अर्थ - कष्ट सहकर भी सुख न मिला। |- |48- जूँ के डर से गुदड़ी नहीं फेंकी जाती | अर्थ - थोड़ी सी कठिनाई के कारण कोई काम छोड़ा नहीं जाता। |- |49- जुठा खाए, मीठे के लालच। | अर्थ - लाभ के लालच में नीच काम करना। |- |50- जैसा करोगे वैसा भरोगे, जैसा बोओगे वैसा काटोगे। | अर्थ - अपनी करनी का फल मिलता है। |- |51- जैसा मुँह वैसा थप्पड़। | अर्थ - जो जिसके योग्य हो उसको वही मिलता है। |- |52- जैसा राजा वैसी प्रजा। | अर्थ - जैसा मालिक होता है वैसे ही कर्मचारी होते हैं। |- |53- जैसे तेरी कोमरी, वैसे मेरे गीत। | अर्थ - जैसा दोगे वैसा पाओगे। |- |54- जैसे कंता घर रहे वैसे रहे परदेश। | अर्थ - निकम्‍मा आदमी घर में रहे या बाहर कोई अंतर नहीं। |- |55- जैसे नागनाथ वैसे साँपनाथ। | अर्थ - सबका एक जैसा होना। |- |56- जैसे मियाँ काइ का वैसे सन की दाढ़ी। | अर्थ - ठीक मेल है। |- |57- जो गरजते हैं वो बरसते नहीं। | अर्थ - बहुत डींग हाँकने वाले काम के नहीं होते हैं। |- |58- जोगी का बेटा खेलेगा तो साँप से। | अर्थ - बाप का प्रभाव बेटे पर पड़ता है। |- |59- जो गुड़ खाए सो कान छिदवाए। | अर्थ - लाभ पाने वाले को कष्ट सहना ही पड़ता है। |- |60- जो तोको काँटा बुवे ताहि बोइ तू फूल। | अर्थ - बुराई का बदला भी भलाई से दो। |- |61- जो बोले सो घी को जाए। | अर्थ - ज्यादा बोलना अच्छा नहीं होता। |- |62- जो हाँडी में होगा वह थाली में आएगा। | अर्थ - जो मन में है वह प्रकट होगा ही। |- |63- ज्यों-ज्यों भीजे कामरी त्यों -त्यों भारी होय | अर्थ - जैसे-जैसे समय बीतता है जिम्मेदारियाँ बढ़ती जाती हैं। |- |64- ज्यों नकटे को आरसी होत दिखाई क्रोध। | अर्थ - दोषी को उसका दोष बताया जाए तो क्रुद्ध होता है। |- |65- जो सुख चौबारे, न बखल न बुखारे। | अर्थ - अपना घर दूर से सूझता है। |- |66- जंगल में मंगल होना। | अर्थ - उजाड़ में चहल-पहल होना। |- |67- जड़ों में मट्ठा ड़ालना / तेल देना / जड़ खोदना / जड़ काटना। | अर्थ - समूल नष्ट करना। |- |68- ज़बान काट कर देना। | अर्थ - वादा करना। |- |69- ज़बान पर चढ़ना। | अर्थ - याद आना। |- |70- ज़बान पर लगाम न होना। | अर्थ - बेमतलब बोलते जाना। |_ |71- ज़मीन आसमान एक करना। | अर्थ - सब उपाय कर डालना। |- |72- ज़मीन आसमान का फर्क। | अर्थ - बहुत भारी अंतर होना। |- |73- ज़मीन पर पैर न रखना। | अर्थ - अकड़कर चलना, इतराना। |- |74- ज़मीन में गड़ना। | अर्थ - लज्जा से सिर नीचा होना। |- |75- जलती आग में घी डालना। | अर्थ - और भड़काना। |- |76- जली-कटी सुनाना। | अर्थ - बुरा-भला कहना। |- |77- ज़हर उगलना। | अर्थ - कड़वी बातें कहना। |- |78- ज़हर की पुडि़या। | अर्थ - झगड़ालू औरत। |- |79- ज़हाज का पंछी। | अर्थ - जिसका कोई ठिकाना नहीं हो। |- |80- जान के लाले पड़ना। | अर्थ - संकट में पड़ना। |- |81- जान पर खेलना। | अर्थ - जान की बाजी लगाना। |- |82- जान में जान आना। | अर्थ - चैन, सकून मिलना। |- |83- जान से हाथ धोना बैठना। | अर्थ - मारा जाना। |- |84- जान हथेली पर रखना। | अर्थ - जान की परवाह न करना। |- |85- जामे से बाहर होना। | अर्थ - अत्यधिक क्रुद्ध होना। |- |86- जी का जंजाल। | अर्थ - व्यर्थ का झंझट। |- |87- जी खट्टा होना। | अर्थ - विरक्ति होना। |- |88- जी चुराना। | अर्थ - काम करने से कतराना। |- |89- जीते जी मक्खी निगलना। | अर्थ - जी पर बन आना। |- |90- जी भर आना। | अर्थ - दु:खी होना। |- |91- जूतियों में दाल बाँटना। | अर्थ - लड़ाई- झगड़ा होना। |- |92- जूते चाटना। | अर्थ - चापलूसी करना। |- |93- जोड़-तोड़ करना। | अर्थ - उपाय करना। |- |} |94- कान गरम करना। | अर्थ - पिटाई करना। |- |95- कान देना। | अर्थ - ध्यान से सुनना। |- |96- कान पकड़ना। | अर्थ - गलती मान लेना। |- |97- कान पर जूँ तक न रेंगना। | अर्थ - कुछ भी परवाह न करना। |- |98- कान भरना। | अर्थ - चुगली करना। |- |99- कान में बात डाल देना। | अर्थ - सुना देना, कह देना। |- |100- कान में तेल डालकर बैठना। | अर्थ - सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना। |- |101- कान में फूँकना। | अर्थ - चुपचाप से कह देना। |- |102- कान लगाना। | अर्थ - ध्यान देकर सुनना। |- |103- काफूर होना। | अर्थ - गायब हो जाना। |- |104- काम आना। | अर्थ - शत्रु के हाथों मारा जाना। |- |105- काम तमाम करना। | अर्थ - मार डालना। |- |106- काया पलट जाना। | अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना। |- |107- काल कवलित होना। | अर्थ - मर जाना। |- |108- काल के गाल में जाना। | अर्थ - मर जाना। |- |109- काला नाग। | अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति । |- |110- काला मुँह करना। | अर्थ - बदनामी करना, नाम खराब करना। |- |111- काले कोसों। | अर्थ - बहुत दूर। |- |112- क़िताबी कीड़ा होना। | अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना। |- |113- किरकिरी हो जाना। | अर्थ - विघ्न पड़ना। |- |114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा। | अर्थ - किसी भी काम का न होना। |- |115- किस्मत फूटना। | अर्थ - बुरे दिन आना। |- |116- कीचड़ उछालना। | अर्थ - निंदा करना। |- |117- कुआँ खोदना। | अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना। |- |118- कुएँ में गिरना। | अर्थ - विपत्ति में पड़ जाना। |- |119- कुएँ में भाँग पड़ना। | अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना। |- |120- कुछ उठा न रखना। | अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना। |- |121- कुत्ते की दुम। | अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना। |- |122- कुत्ते की मौत मरना। | अर्थ - बुरी तरह मरना। |- |123- कूच कर जाना। | अर्थ - चले जाना। |- |124- कूप मंडूक होना। | अर्थ - सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना। |- |125- कोई दम भर का मेहमान होना। | अर्थ - मरने के क़रीब होना। |- |126- कोढ़ में खाज होना। | अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना। |- |127- कोर दबना। | अर्थ - दबाव में होना। |- |128- कोल्हू का बैल। | अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला। |- |129- कौए उड़ाना। | अर्थ - घटिया या छोटे काम करना। |- |130- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना। | अर्थ - कंजूस होना। |- |131- कंधे से कंधा छिलना। | अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है। |- |132- ककड़ी-खीरा समझना। | अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना। |- |133- कच्चा चिट्ठा खोलना। | अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना। |- |} 228 - देखकर मक्खी नहीं निगली जाती, `अर्थ - कहावत - अहित सामने देखकर चुप नहीं रहा जाता। |}