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1- टके का सब खेल है।
1- बुद्ध वृहस्पति दो भले, शुक्र न भला बखा…<br />
रवि, मंगल बोनी करे, द्वार न आवे धान॥
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अर्थ - पैसा सब कुछ करता है।  
अर्थ - धान की बुवाई हेतु बुद्ध और गुरु शुभ दिन हैं। शुक्र अशुभ है। अगर रविवार और मंगल को धान बोया जाएगा तो उपज नहीं के समान होगी ऐसा लोकमत है।
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|2- टका सा जवाब देना।
|2- बिल्ली के भागों छींका टूटा।
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अर्थ - साफ़ इंकार करना।
अर्थ - जैसा व्यक्ति चाहे, वैसा ही हो जाये।
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|3- टका सा मुँह लेकर रह जाना।
|3- बिन माँगे मोती मिलें, माँगे मिले न भीख।
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अर्थ - लज्जित हो जाना।
अर्थ - सौभाग्य  से कोई अच्छी चीज़ अपने –आप मिल जाती है और दुर्भाग्य से घटिया चीज़ प्रयत्न करने पर भी नहीं मिलती।
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|4- टटिया की आड़ में शिकार खेलना।
|4- बंदर घुड़की / भभकी।
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अर्थ - छिपकर किसी के विरूद्ध कुछ करना, आड़ लेकर काम करना।
अर्थ - प्रभावहीन धमकी।
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|5- टट्टू पार होना।
|5- बखिया उधेड़ना।
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अर्थ - काम निकल जाना।
अर्थ - भेद खोलना।
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|6- टाँग अड़ाना।
|6- बच्चों का खेल।
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अर्थ - बाधा पैदा करना।
अर्थ - सरल काम ।
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|7- टाँग तले से निकलना।
|7- बछिया का ताऊ।
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अर्थ - हार मनवाना।
अर्थ - मूर्ख! कुछ समझते भी हो या नहीं।
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|8- टाँय-टाँय फिस होना।
|8- बट्टा लगना।
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अर्थ - काम बिगड़ जाना।
अर्थ - कलंक लगना।
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|9- टाट उलटना।
|9- बड़े घर की हवा खाना।
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अर्थ - दीवाला निकलना।
अर्थ - जेल जाना।
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|10- टेढ़ी खीर।
|10- बत्ती सी खिलना।
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अर्थ - कठिन काम।
अर्थ - हँसी आना।
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|11- जब तक जीना तब तक सीना।
|11- बत्तीसी बंद होना।
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अर्थ - जीते-जी कोई न कोई काम करना पड़ता है।
अर्थ - चुप हो जाना।
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|12- जब तक साँस तब तक आस।
|12- बरस पड़ना।
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अर्थ - अंत समय तक उम्मीद बनी रहती है।
अर्थ - अति क्रुद्ध होकर डाँटना।
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|13- जबरदस्ती का ठेंगा सिर पर।
|13- बल्लियों / बासों उछलना।
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अर्थ - जबरदस्ती आदमी दबाव डाल कर काम लेता है ।
अर्थ - बहुत खुश होना।
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|14- जबरा मारे रोने न दे।
|14- बाएँ हाथ का खेल।
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अर्थ - जवरदस्त आदमी का अत्याचार चुपचाप सहना पड़ता है।
अर्थ - अति सरल कार्य।
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|15- ज़बान को लगाम चाहिए।
|15- बुरे दिनन के फेर से सुमेरू होत माटी को।
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अर्थ - सोच-समझकर बोलना चाहिए।
अर्थ - जब बुरे दिन आते हैं तो सोना भी मिट्टी की कीमत का हो जाता है।
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|16- ज़बान ही हाथी चढ़ाए, ज़बान ही सिर कटाए।
|16- बाछें खिल जाना।
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अर्थ - मीठी बोली से आदर और कड़वी बोली से निरादर होता है।
अर्थ - अत्यन्त प्रसन्न होना।
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|17- ज़र का ज़ोर पूरा है, और सब अधूरा है।
|17- बाज़ार गर्म होना।
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अर्थ - धन सबसे बलवान है।
अर्थ - तेजी होना।
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|18- ज़र है तो नर, नहीं तो खंडहर।
|18- बात का धनी होना।
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अर्थ - पैसे से ही आदमी का सम्मान है।
अर्थ - वचन का पक्का होना।
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|19- जल में रहकर मगर से बैर।
|19- बात की बाम में।
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अर्थ - जहाँ रहना हो वहाँ के मुखिया से बैर ठीक नहीं होता
अर्थ - तुरंत बात की बात में
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|20- जस दूल्हा तस बनी बराता।
|20- बात तक न पूछना।
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अर्थ - जैसे आप वैसे साथी।
अर्थ - आदर न करना।
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|21- जहं जहं चरण पड़े संतन के, तहं तहं बंटाधार।
|21- बाल की खाल उतारना।
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अर्थ - अभागा व्यक्ति जहाँ जाता है, बुरा होता है। 
अर्थ - अनावश्यक विवाद करना।
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|22- जहाँ गुड़ होगा, वहीं मक्खियाँ होंगी।
|22- बाल बाँका न कर सकना।
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अर्थ - आकर्षक जगह पर लोग जमा होते हैं।
अर्थ - कुछ भी हानि न पहुँचा सकना।
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|23- जहाँ चार बासन होगें, वहाँ खटकेगें भी।
|23- बालू से तेल निकालना।
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अर्थ - जहाँ कुछ व्यक्ति होते है वहाँ कभी-कभी झगड़ा हो ही जाता है।
अर्थ - असम्भव को सम्भव करना।
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|24- जहाँ चाह वहाँ राह।
|24- बासी कढी में उबाल आना।
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अर्थ - इच्छा हो तो काम करने का रास्ता निकल ही आता है।
अर्थ - उचित समय के पश्चात इच्छा जागना।
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|25- जहाँ देखे तवा परात, वहीं गुजारी सारी रात।
|25- बिल्ली के गले में घंटी बाँधना।
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अर्थ - जहाँ कुछ प्राप्ति होती हो, वहाँ लालची आदमी जम जाता है।
अर्थ - अपने को संकट में डालना।
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|26- जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि।
|26- बेपेंदी का लोटा।
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अर्थ - कवि अपनी  कल्पना से सब जगह पहुँच जाता है।
अर्थ - ढुलमुल कोशिश / अस्थिर विचारों वाला।
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|27- जहाँ फूल वहाँ काँटा।
|27- देसी कुतिया विलायती बोली।
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अर्थ - अच्छाई के साथ बुराई भी लगी होती है।
अर्थ - किसी की नकल में अपनापन छोड़ना।
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|28- जहाँ मुर्गा नहीं होता क्या वहाँ सवेरा नहीं होता।
|28- देह धरे का दंड है, हर काहू को होय।<br />
ज्ञानी काटे ज्ञान से, मूरख काटे रोय।।
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अर्थ - किसी के बिना काम रुकता नहीं है।
अर्थ - जीवन में शरीर के साथ कष्ट तो लगा रहता है, बुध्दिमान व्यक्ति युक्ति से और बेवकूफ रो रोकर जीवन जीता है ।
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|29- जाके पैर न फटी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई।
|29- दोनों हाथों से ताली बजती है।
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अर्थ - दु:ख को भुक्ता भोगी ही जानता है उसे अन्य  कोई नहीं जान सकता है।
अर्थ - लड़ाई झगड़े के ज़िम्मेदार दोनों पक्ष होते हैं।
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|30- जागेगा सो पावेगा,सोवेगा सो खोएगा।
|30- दोनों हाथों में लड्डू।
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अर्थ - लाभ इसमें है कि आदमी सतर्क रहे।
अर्थ - हर तरफ लाभ ही लाभ होना।
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|31- जादू वह जो सिर पर चढ़कर बोले।
|31- दो मुल्लों  में मुर्गी हलाल।
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अर्थ - असरदार आदमी की बात माननी ही पड़ती है।
अर्थ - एक ही काम की ज़िम्मेदारी दो लोगों को देने से दिया गया काम बिगड़ जाता है।
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|32- जान मारे बनिया पहचान मारे चोर।
|32- दो लड़ें तीसरा ले उड़े।
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अर्थ - बनिया और चोर जान पहचान वालों को भी ठगते हैं।
अर्थ - दो व्यक्तियों की लड़ाई में तीसरे व्यक्ति की बन आती है।
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|33- जाएं लाख, रहे साख।
|33- दुविधा में दोनों गये, माया मिली ना राम।
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अर्थ - धन भले ही चला जाए, इज्जत बचनी चाहिए।
अर्थ - दुविधा में  हमेशा हानि हो जाती है। संशय में कोई भी काम पूरा नहीं होता है।
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|34- जितना गुड़ डालो, उतना ही मीठा।
|34- दमड़ी की बुढिया टका सिर मुँड़ाई।
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अर्थ - जितना खर्चा करोगे चीज़ उतनी ही अच्छी मिलेगी।
अर्थ - मामूली चीज़ के रखरखाव और मरम्मत पर ज्यादा खर्च करना।
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|35- जितनी चादर देखो, उतने ही पैर पसारो।
|35- दाढ़ी पेट में होना।
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अर्थ - आमदनी के हिसाब से खर्च करो।
अर्थ - छोटी उम्र में अधिक ज्ञान।
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|36- जितने मुँह उतनी बातें।
|36- दमड़ी के तीन होना।
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अर्थ - अनेक प्रकार की अफवाहें।
अर्थ - सस्ते  होना।
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|37- जिन खोजा तिन पाइयाँ, गहरे पानी पैंठ।
|37- दमड़ी के लिए चमड़ी उधेड़ना।
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अर्थ - जितना कठिन परिश्रम उतना ही लाभ होता है।
अर्थ - दावा करना।
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|38- जिस तन लगे वही तन जाने।
|38- दम भरना।
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अर्थ - जिसको कष्ट  होता है वही उसका अनुभव कर सकता है।
अर्थ - जिसको कष्ट  होता है वही उसका अनुभव कर सकता है।
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|39- जिस थाली में खाना, उसी में छेद करना।
|39- दाँत काटी रोटी।
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अर्थ - जो उपकार करे, उसका ही अहित करना।
अर्थ - घनिष्ठ मित्रता।
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|40- जिसका काम उसी को साजै।
|40- दाँत खट्टे करना।
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अर्थ - जो काम जिसका है वही उसे भली प्रकार से कर सकता है।
अर्थ - हरा देना।
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|41- जिसका खाइए उसका गाइए।
|41- दाँत तालू में जमना।
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अर्थ - जिससे लाभ हो उसी का पक्ष लो।
अर्थ - बुरे दिन आना।
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|42- जिसकी जूती उसी के सिर।
|42- दाई से पेट छिपाना।
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अर्थ - जिसकी करनी उसी को फल मिलता है।
अर्थ - जानकार से बात छिपाना।
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|43- जिसकी लाठी उसी की भैंस।
|43- दांत पीसकर रह जाना।
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अर्थ - शक्ति संपन्न आदमी का रौब चलता है और वह अपना काम बना लेता है।
अर्थ - क्रोध रोक लेना।
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|44- जिसके ह‍ाथ डोई, उसका सब कोई।
|44- दाँतो तले उँगली दबाना।
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अर्थ - धनी आदमी के सब मित्र हैं।
अर्थ - आर्श्चय चकित होना।
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|45- जिसको पिया चाहे, वहीं सुहागिन।
|45- दाल जूतियों में बंटना।
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अर्थ - जिसको अफ़सर माने,वहीं योग्य है।
अर्थ - अनबन होना।
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|46- जी का बैरी जी।
|46- दाल न गलना।
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अर्थ - मनुष्य ही मनुष्य का शत्रु है।
अर्थ - बस न चलना।
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|47- जीभ भी जली और स्वाद भी न आया।
|47- दाल में काला होना।
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अर्थ - कष्ट सहकर भी सुख न मिला।
अर्थ - संदेह होना।
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|48- जूँ के डर से गुदड़ी नहीं फेंकी जाती
|48- दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति होना।
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अर्थ - थोड़ी सी कठिनाई के कारण कोई काम छोड़ा नहीं जाता।
अर्थ - तीव्र गति से विकास।
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|49- जुठा खाए, मीठे के लालच।
|49- दिन पहाड़ होना।
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अर्थ - लाभ के लालच में नीच काम करना।
अर्थ - दिन नहीं कटना।
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|50- जैसा करोगे वैसा भरोगे, जैसा बोओगे वैसा काटोगे।
|50- दिनों का फेर होना।
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अर्थ - अपनी करनी का फल मिलता है।
अर्थ - समय समय की बात होना।
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|51-  जैसा मुँह वैसा थप्पड़।
|51-  दिमाग आसमान पर चढ़ना।
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अर्थ - जो जिसके योग्य हो उसको वही मिलता है।
अर्थ - बहुत घमंड होना।
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|52- जैसा राजा वैसी प्रजा।
|52- दिल का गुबार निकालना।
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अर्थ - जैसा मालिक होता है वैसे ही कर्मचारी होते हैं।
अर्थ - दबा भाव प्रकट करना।
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|53- जैसे तेरी कोमरी, वैसे मेरे गीत।
|53- दिल के फफोले तोड़ना।
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अर्थ - जैसा दोगे वैसा पाओगे।
अर्थ - कुढ़कर जली-कटी बातें कहना।
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|54- जैसे कंता घर रहे वैसे रहे परदेश।
|54- दिल भर आना।
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अर्थ - निकम्‍मा आदमी घर में रहे या बाहर कोई अंतर नहीं।
अर्थ - दु:खी होना।
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|55- जैसे नागनाथ वैसे साँपनाथ।
|55- दिल मसोसकर रह जाना।
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अर्थ - सबका एक जैसा होना।
अर्थ - मन में खीझकर रह जाना।
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|56- जैसे मियाँ काइ का वैसे सन की दाढ़ी।
|56- दूज का चाँद होना।
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अर्थ - ठीक मेल है।
अर्थ - बहुत दिनों बाद दिखाई देना।
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|57- जो गरजते हैं वो बरसते नहीं।
|57- दूध का धुला होना।
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अर्थ - बहुत डींग हाँकने वाले काम के नहीं होते हैं।
अर्थ - निर्दोष  होना।
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|58- जोगी का बेटा खेलेगा तो साँप से।
|58- दूध का दूध और पानी का पानी।
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अर्थ - बाप का प्रभाव बेटे पर पड़ता है।
अर्थ - सही निर्णय करना।
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|59- जो गुड़ खाए सो कान छिदवाए।
|59- दूध के दाँत न टूटना।
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अर्थ - लाभ पाने वाले को कष्ट सहना ही पड़ता है।
अर्थ - ज्ञान और अनुभव न होना।
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|60- जो तोको काँटा बुवे ताहि बोइ तू फूल।
|60- दूर की कौड़ी लाना।
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अर्थ - बुराई का बदला भी भलाई से दो।
अर्थ - दूर तक का सोच लेना।
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|61- जो बोले सो घी को जाए।
|61- देवता कूच कर जाना।
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अर्थ -  ज्यादा बोलना अच्छा नहीं होता।
अर्थ -  घबरा जाना।
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|62- जो हाँडी में होगा वह थाली में आएगा।
|62- दो टूक बात कहना।
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अर्थ - जो मन में है वह प्रकट होगा ही।
अर्थ - साफ-साफ कहना।
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|63- ज्यों-ज्यों भीजे कामरी त्यों -त्यों भारी होय
|63- दो दिन का मेहमान।
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अर्थ - जैसे-जैसे समय बीतता है जिम्मेदारियाँ बढ़ती जाती हैं।
अर्थ - जल्दी मरने वाला।
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|64- ज्यों  नकटे को आरसी होत दिखाई क्रोध।
|64- दो नावों पर पैर रखना।
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अर्थ - दोषी को उसका दोष बताया जाए तो क्रुद्ध होता है।
अर्थ - दोनों तरफ रहना।
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|65- जो सुख चौबारे, न बखल न बुखारे।
|65- जो सुख चौबारे, न बखल न बुखारे।

13:44, 13 मई 2010 का अवतरण

त्रिपुरा
त्रिपुरा प्रदेश के ज़िले

उत्तर त्रिपुरा ज़िला . दक्षिण त्रिपुरा ज़िला . धलाई ज़िला . पश्चिम त्रिपुरा ज़िला


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कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ

1- बुद्ध वृहस्पति दो भले, शुक्र न भला बखा…
रवि, मंगल बोनी करे, द्वार न आवे धान॥

अर्थ - धान की बुवाई हेतु बुद्ध और गुरु शुभ दिन हैं। शुक्र अशुभ है। अगर रविवार और मंगल को धान बोया जाएगा तो उपज नहीं के समान होगी ऐसा लोकमत है।

2- बिल्ली के भागों छींका टूटा।

अर्थ - जैसा व्यक्ति चाहे, वैसा ही हो जाये।

3- बिन माँगे मोती मिलें, माँगे मिले न भीख।

अर्थ - सौभाग्य से कोई अच्छी चीज़ अपने –आप मिल जाती है और दुर्भाग्य से घटिया चीज़ प्रयत्न करने पर भी नहीं मिलती।

4- बंदर घुड़की / भभकी।

अर्थ - प्रभावहीन धमकी।

5- बखिया उधेड़ना।

अर्थ - भेद खोलना।

6- बच्चों का खेल।

अर्थ - सरल काम ।

7- बछिया का ताऊ।

अर्थ - मूर्ख! कुछ समझते भी हो या नहीं।

8- बट्टा लगना।

अर्थ - कलंक लगना।

9- बड़े घर की हवा खाना।

अर्थ - जेल जाना।

10- बत्ती सी खिलना।

अर्थ - हँसी आना।

11- बत्तीसी बंद होना।

अर्थ - चुप हो जाना।

12- बरस पड़ना।

अर्थ - अति क्रुद्ध होकर डाँटना।

13- बल्लियों / बासों उछलना।

अर्थ - बहुत खुश होना।

14- बाएँ हाथ का खेल।

अर्थ - अति सरल कार्य।

15- बुरे दिनन के फेर से सुमेरू होत माटी को।

अर्थ - जब बुरे दिन आते हैं तो सोना भी मिट्टी की कीमत का हो जाता है।

16- बाछें खिल जाना।

अर्थ - अत्यन्त प्रसन्न होना।

17- बाज़ार गर्म होना।

अर्थ - तेजी होना।

18- बात का धनी होना।

अर्थ - वचन का पक्का होना।

19- बात की बाम में।

अर्थ - तुरंत बात की बात में ।

20- बात तक न पूछना।

अर्थ - आदर न करना।

21- बाल की खाल उतारना।

अर्थ - अनावश्यक विवाद करना।

22- बाल बाँका न कर सकना।

अर्थ - कुछ भी हानि न पहुँचा सकना।

23- बालू से तेल निकालना।

अर्थ - असम्भव को सम्भव करना।

24- बासी कढी में उबाल आना।

अर्थ - उचित समय के पश्चात इच्छा जागना।

25- बिल्ली के गले में घंटी बाँधना।

अर्थ - अपने को संकट में डालना।

26- बेपेंदी का लोटा।

अर्थ - ढुलमुल कोशिश / अस्थिर विचारों वाला।

27- देसी कुतिया विलायती बोली।

अर्थ - किसी की नकल में अपनापन छोड़ना।

28- देह धरे का दंड है, हर काहू को होय।

ज्ञानी काटे ज्ञान से, मूरख काटे रोय।।

अर्थ - जीवन में शरीर के साथ कष्ट तो लगा रहता है, बुध्दिमान व्यक्ति युक्ति से और बेवकूफ रो रोकर जीवन जीता है ।

29- दोनों हाथों से ताली बजती है।

अर्थ - लड़ाई झगड़े के ज़िम्मेदार दोनों पक्ष होते हैं।

30- दोनों हाथों में लड्डू।

अर्थ - हर तरफ लाभ ही लाभ होना।

31- दो मुल्लों में मुर्गी हलाल।

अर्थ - एक ही काम की ज़िम्मेदारी दो लोगों को देने से दिया गया काम बिगड़ जाता है।

32- दो लड़ें तीसरा ले उड़े।

अर्थ - दो व्यक्तियों की लड़ाई में तीसरे व्यक्ति की बन आती है।

33- दुविधा में दोनों गये, माया मिली ना राम।

अर्थ - दुविधा में हमेशा हानि हो जाती है। संशय में कोई भी काम पूरा नहीं होता है।

34- दमड़ी की बुढिया टका सिर मुँड़ाई।

अर्थ - मामूली चीज़ के रखरखाव और मरम्मत पर ज्यादा खर्च करना।

35- दाढ़ी पेट में होना।

अर्थ - छोटी उम्र में अधिक ज्ञान।

36- दमड़ी के तीन होना।

अर्थ - सस्ते होना।

37- दमड़ी के लिए चमड़ी उधेड़ना।

अर्थ - दावा करना।

38- दम भरना।

अर्थ - जिसको कष्ट होता है वही उसका अनुभव कर सकता है।

39- दाँत काटी रोटी।

अर्थ - घनिष्ठ मित्रता।

40- दाँत खट्टे करना।

अर्थ - हरा देना।

41- दाँत तालू में जमना।

अर्थ - बुरे दिन आना।

42- दाई से पेट छिपाना।

अर्थ - जानकार से बात छिपाना।

43- दांत पीसकर रह जाना।

अर्थ - क्रोध रोक लेना।

44- दाँतो तले उँगली दबाना।

अर्थ - आर्श्चय चकित होना।

45- दाल जूतियों में बंटना।

अर्थ - अनबन होना।

46- दाल न गलना।

अर्थ - बस न चलना।

47- दाल में काला होना।

अर्थ - संदेह होना।

48- दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति होना।

अर्थ - तीव्र गति से विकास।

49- दिन पहाड़ होना।

अर्थ - दिन नहीं कटना।

50- दिनों का फेर होना।

अर्थ - समय समय की बात होना।

51- दिमाग आसमान पर चढ़ना।

अर्थ - बहुत घमंड होना।

52- दिल का गुबार निकालना।

अर्थ - दबा भाव प्रकट करना।

53- दिल के फफोले तोड़ना।

अर्थ - कुढ़कर जली-कटी बातें कहना।

54- दिल भर आना।

अर्थ - दु:खी होना।

55- दिल मसोसकर रह जाना।

अर्थ - मन में खीझकर रह जाना।

56- दूज का चाँद होना।

अर्थ - बहुत दिनों बाद दिखाई देना।

57- दूध का धुला होना।

अर्थ - निर्दोष होना।

58- दूध का दूध और पानी का पानी।

अर्थ - सही निर्णय करना।

59- दूध के दाँत न टूटना।

अर्थ - ज्ञान और अनुभव न होना।

60- दूर की कौड़ी लाना।

अर्थ - दूर तक का सोच लेना।

61- देवता कूच कर जाना।

अर्थ - घबरा जाना।

62- दो टूक बात कहना।

अर्थ - साफ-साफ कहना।

63- दो दिन का मेहमान।

अर्थ - जल्दी मरने वाला।

64- दो नावों पर पैर रखना।

अर्थ - दोनों तरफ रहना।

65- जो सुख चौबारे, न बखल न बुखारे।

अर्थ - अपना घर दूर से सूझता है।

66- जंगल में मंगल होना।

अर्थ - उजाड़ में चहल-पहल होना।

67- जड़ों में मट्ठा ड़ालना / तेल देना / जड़ खोदना / जड़ काटना।

अर्थ - समूल नष्ट करना।

68- ज़बान काट कर देना।

अर्थ - वादा करना।

69- ज़बान पर चढ़ना।

अर्थ - याद आना।

70- ज़बान पर लगाम न होना।

अर्थ - बेमतलब बोलते जाना।

_ 71- ज़मीन आसमान एक करना।

अर्थ - सब उपाय कर डालना।

72- ज़मीन आसमान का फर्क।

अर्थ - बहुत भारी अंतर होना।

73- ज़मीन पर पैर न रखना।

अर्थ - अकड़कर चलना, इतराना।

74- ज़मीन में गड़ना।

अर्थ - लज्जा से सिर नीचा होना।

75- जलती आग में घी डालना।

अर्थ - और भड़काना।

76- जली-कटी सुनाना।

अर्थ - बुरा-भला कहना।

77- ज़हर उगलना।

अर्थ - कड़वी बातें कहना।

78- ज़हर की पुडि़या।

अर्थ - झगड़ालू औरत।

79- ज़हाज का पंछी।

अर्थ - जिसका कोई ठिकाना नहीं हो।

80- जान के लाले पड़ना।

अर्थ - संकट में पड़ना।

81- जान पर खेलना।

अर्थ - जान की बाजी लगाना।

82- जान में जान आना।

अर्थ - चैन, सकून मिलना।

83- जान से हाथ धोना बैठना।

अर्थ - मारा जाना।

84- जान हथेली पर रखना।

अर्थ - जान की परवाह न करना।

85- जामे से बाहर होना।

अर्थ - अत्यधिक क्रुद्ध होना।

86- जी का जंजाल।

अर्थ - व्यर्थ का झंझट।

87- जी खट्टा होना।

अर्थ - विरक्ति होना।

88- जी चुराना।

अर्थ - काम करने से कतराना।

89- जीते जी मक्खी निगलना।

अर्थ - जी पर बन आना।

90- जी भर आना।

अर्थ - दु:खी होना।

91- जूतियों में दाल बाँटना।

अर्थ - लड़ाई- झगड़ा होना।

92- जूते चाटना।

अर्थ - चापलूसी करना।

93- जोड़-तोड़ करना।

अर्थ - उपाय करना।

|94- कान गरम करना। | अर्थ - पिटाई करना। |- |95- कान देना। | अर्थ - ध्यान से सुनना। |- |96- कान पकड़ना। | अर्थ - गलती मान लेना। |- |97- कान पर जूँ तक न रेंगना। | अर्थ - कुछ भी परवाह न करना। |- |98- कान भरना। | अर्थ - चुगली करना। |- |99- कान में बात डाल देना। | अर्थ - सुना देना, कह देना। |- |100- कान में तेल डालकर बैठना। | अर्थ - सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना। |- |101- कान में फूँकना। | अर्थ - चुपचाप से कह देना। |- |102- कान लगाना। | अर्थ - ध्यान देकर सुनना। |- |103- काफूर होना। | अर्थ - गायब हो जाना। |- |104- काम आना। | अर्थ - शत्रु के हाथों मारा जाना। |- |105- काम तमाम करना। | अर्थ - मार डालना। |- |106- काया पलट जाना। | अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना। |- |107- काल कवलित होना। | अर्थ - मर जाना। |- |108- काल के गाल में जाना। | अर्थ - मर जाना। |- |109- काला नाग। | अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति । |- |110- काला मुँह करना। | अर्थ - बदनामी करना, नाम खराब करना। |- |111- काले कोसों। | अर्थ - बहुत दूर। |- |112- क़िताबी कीड़ा होना। | अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना। |- |113- किरकिरी हो जाना। | अर्थ - विघ्न पड़ना। |- |114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा। | अर्थ - किसी भी काम का न होना। |- |115- किस्मत फूटना। | अर्थ - बुरे दिन आना। |- |116- कीचड़ उछालना। | अर्थ - निंदा करना। |- |117- कुआँ खोदना। | अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना। |- |118- कुएँ में गिरना। | अर्थ - विपत्ति में पड़ जाना। |- |119- कुएँ में भाँग पड़ना। | अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना। |- |120- कुछ उठा न रखना। | अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना। |- |121- कुत्ते की दुम। | अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना। |- |122- कुत्ते की मौत मरना। | अर्थ - बुरी तरह मरना। |- |123- कूच कर जाना। | अर्थ - चले जाना। |- |124- कूप मंडूक होना। | अर्थ - सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना। |- |125- कोई दम भर का मेहमान होना। | अर्थ - मरने के क़रीब होना। |- |126- कोढ़ में खाज होना। | अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना। |- |127- कोर दबना। | अर्थ - दबाव में होना। |- |128- कोल्हू का बैल। | अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला। |- |129- कौए उड़ाना। | अर्थ - घटिया या छोटे काम करना। |- |130- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना। | अर्थ - कंजूस होना। |- |131- कंधे से कंधा छिलना। | अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है। |- |132- ककड़ी-खीरा समझना। | अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना। |- |133- कच्चा चिट्ठा खोलना। | अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना। |- |} 228 - देखकर मक्खी नहीं निगली जाती, `अर्थ - कहावत - अहित सामने देखकर चुप नहीं रहा जाता। |}