"तैत्तिरीयोपनिषद शिक्षावल्ली अनुवाक-8": अवतरणों में अंतर
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14:46, 11 सितम्बर 2011 का अवतरण
- तैत्तिरीयोपनिषद के शिक्षावल्ली का यह आठवाँ अनुवाक है।
मुख्य लेख : तैत्तिरीयोपनिषद
- इस अनुवाक में 'ॐ' को ही 'ब्रह्म' माना गया है और उसी के द्वारा 'ब्रह्म' को प्राप्त करने की बात कही गयी है।
- आचार्य 'ॐ' को ही प्रत्यक्ष जगत मानते हैं और उसके उच्चारण अथवा स्मरण के उपरान्त साम-गान तथा शस्त्र-सन्धान करते हैं।
- 'ॐ' के द्वारा ही अग्निहोत्र किया जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
तैत्तिरीयोपनिषद ब्रह्मानन्दवल्ली |
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