"तैत्तिरीयोपनिषद ब्रह्मानन्दवल्ली अनुवाक-2": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('*तैत्तिरीयोपनिषद के [[तैत्तिरीयोपनिषद ब्रह्मानन्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (Text replace - "==संबंधित लेख==" to "==संबंधित लेख== {{तैत्तिरीयोपनिषद}}")
पंक्ति 14: पंक्ति 14:


==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{तैत्तिरीयोपनिषद}}
[[Category:तैत्तिरीयोपनिषद]]
[[Category:तैत्तिरीयोपनिषद]]
[[Category:दर्शन कोश]]
[[Category:दर्शन कोश]]

14:46, 11 सितम्बर 2011 का अवतरण

  • इस अनुवाक में मनुष्य को पक्षी के समकक्ष मानकर पंचकोशों का वर्णन किया गया है। यहाँ 'अन्नमय कोश' का वर्णन है।
  • सभी प्राणी अन्न से जन्म लेते हैं, अन्न से ही जीवित रहते हैं और अन्त में अन्न में ही समा जाते हैं। इसीलिए 'अन्न' को सभी तत्त्वों में श्रेष्ठ कहा गया है।
  • अन्न रस से युक्त इस शरीर में प्राण-रूप आत्मा का वास है।
  • उस प्राणगत देह का प्राण ही उसका सिर है, व्यान दाहिना पंख, अपान बायां पंख, आकाश मध्य भाग और पृथ्वी उसकी पूंछ है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

तैत्तिरीयोपनिषद ब्रह्मानन्दवल्ली

अनुवाक-1 | अनुवाक-2 | अनुवाक-3 | अनुवाक-4 | अनुवाक-5 | अनुवाक-6 | अनुवाक-7 | अनुवाक-8 | अनुवाक-9

तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली

अनुवाक-1 | अनुवाक-2 | अनुवाक-3 | अनुवाक-4 | अनुवाक-5 | अनुवाक-6 | अनुवाक-7 | अनुवाक-8 | अनुवाक-9 | अनुवाक-10

तैत्तिरीयोपनिषद शिक्षावल्ली

अनुवाक-1 | अनुवाक-2 | अनुवाक-3 | अनुवाक-4 | अनुवाक-5 | अनुवाक-6 | अनुवाक-7 | अनुवाक-8 | अनुवाक-9 | अनुवाक-10 | अनुवाक-11 | अनुवाक-12