"ठुकरा दो या प्यार करो -सुभद्रा कुमारी चौहान": अवतरणों में अंतर
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मन का भाव प्रकट करने को वाणी में चातुर्य नहीं | मन का भाव प्रकट करने को वाणी में चातुर्य नहीं | ||
नहीं दान है, नहीं दक्षिणा | नहीं दान है, नहीं दक्षिणा ख़ाली हाथ चली आयी | ||
पूजा की विधि नहीं जानती, फिर भी नाथ चली आयी | पूजा की विधि नहीं जानती, फिर भी नाथ चली आयी | ||
10:45, 8 दिसम्बर 2011 का अवतरण
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देव! तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैं |