"एक परिवार की कहानी -अवतार एनगिल": अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
कात्या सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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क्या कहा, | क्या कहा, | ||
आप मुझे नहीं जानते? | आप मुझे नहीं जानते? | ||
अरे,मैं पिता हूं ! | अरे, मैं पिता हूं! | ||
वर्षों पहले लगाये थे मैंने | वर्षों पहले लगाये थे मैंने, | ||
इस पनीरी में | इस पनीरी में | ||
तीन नन्हें पौधे | तीन नन्हें पौधे | ||
ये तीनों पौधे मेरे तीन बेटे हैं | ये तीनों पौधे मेरे तीन बेटे हैं, | ||
पहले हर पेड़ एक बेटा था | पहले हर पेड़ एक बेटा था, | ||
अब हर बेटा एक पेड़ है | अब हर बेटा एक पेड़ है, | ||
बड़-सा, जड़ । | बड़-सा, जड़ । | ||
पंक्ति 71: | पंक्ति 71: | ||
अरे कपूतों | अरे कपूतों | ||
इस कोख- | इस कोख-जली को दकियानूसी कहते हो | ||
जोरुओं के ग़ुलामों ! | |||
बाप दादा का घर छोड़ | बाप दादा का घर छोड़ | ||
किराए के क्वार्टरों में रहते | किराए के क्वार्टरों में रहते हो। | ||
तुम तीनों मेरे तीन दुःख थे | तुम तीनों मेरे तीन दुःख थे | ||
पंक्ति 87: | पंक्ति 87: | ||
तिस पर | तिस पर | ||
इन लिपी-पुती | इन लिपी-पुती चुड़ैलों ने | ||
बहका दिए | बहका दिए | ||
मेरे भोले बेटे ! | मेरे भोले बेटे ! | ||
पंक्ति 154: | पंक्ति 154: | ||
सर धुनता | सर धुनता | ||
आखिरकार---शहर के बड़े व्यापारी का | आखिरकार---शहर के बड़े व्यापारी का | ||
छोटा | छोटा सेल्समैन बन गया | ||
शादी हुई,थोड़ी देर लगा | शादी हुई, थोड़ी देर लगा | ||
सर पर आसमान तन गया, | सर पर आसमान तन गया, | ||
पंक्ति 173: | पंक्ति 173: | ||
'''<big>छोटा विनोद</big>''' | '''<big>छोटा विनोद</big>''' | ||
देखिए, | देखिए, | ||
मेरी | मेरी जोकरनुमा शक्ल देखकर | ||
हंसियेगा नहीं | हंसियेगा नहीं | ||
मैं विनोद हूं : बप्पा का नालायक़ छोटा बेटा। | मैं विनोद हूं : बप्पा का नालायक़ छोटा बेटा। | ||
किसी तरह घिसटकर | किसी तरह घिसटकर कॉलेज पहुंचा | ||
तो एक दिन | तो एक दिन | ||
एक सहपाठिन को | एक सहपाठिन को | ||
पंक्ति 183: | पंक्ति 183: | ||
लड़की मुस्कुराई | लड़की मुस्कुराई | ||
पर अगले दिन आया | पर अगले दिन आया | ||
हॉकी उठाए उसका भाई | |||
हुई धुनाई | हुई धुनाई | ||
पंक्ति 223: | पंक्ति 223: | ||
मैंने नृत्य-मुद्रा में दर्पण देखा था | मैंने नृत्य-मुद्रा में दर्पण देखा था | ||
अब तो जीवन का दर्पण है | अब तो जीवन का दर्पण है | ||
'ये है,मैं हूं, | 'ये है, मैं हूं, | ||
और दर्पण में दूर कहीं तुम तीनों | और दर्पण में दूर कहीं तुम तीनों हो।' | ||
बड़ा बेटा कहता है : | बड़ा बेटा कहता है : | ||
'मेरा नाम श्रवण कुमार है | 'मेरा नाम श्रवण कुमार है | ||
पंक्ति 243: | पंक्ति 243: | ||
और मां के सामने | और मां के सामने | ||
उसकी छोटी बहू को पेश कर कहूंगा : | उसकी छोटी बहू को पेश कर कहूंगा : | ||
'जी भर कर गालियां दे लो माँ ।</poem> | 'जी भर कर गालियां दे लो माँ । | ||
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11:59, 23 दिसम्बर 2011 का अवतरण
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पिता |