"रंग-मंच -अवतार एनगिल": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
 
पंक्ति 105: पंक्ति 105:
[[Category:पद्य साहित्य]]
[[Category:पद्य साहित्य]]
[[Category:काव्य कोश]]
[[Category:काव्य कोश]]
[[Category:साहित्य कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

09:15, 2 जनवरी 2012 के समय का अवतरण

रंग-मंच -अवतार एनगिल
पुस्तक सूर्य से सूर्य तक का आवरण पृष्ठ
पुस्तक सूर्य से सूर्य तक का आवरण पृष्ठ
कवि अवतार एनगिल
मूल शीर्षक सूर्य से सूर्य तक
देश भारत
पृष्ठ: 88
भाषा हिन्दी
विषय कविता
प्रकार काव्य संग्रह
अवतार एनगिल की रचनाएँ





दर्शक

नटी री !
तेरे पथरीले अंगों की लोच
मेरे खुरदुरेपन का मंथन कर गई
कि तेरा कटाक्ष
शत्रु के व्यंग्य-सा
गहरे में चुभ गया

नटी री !
गहरी पुतली के काले सागर ने
तेरी पथरीली लोच
भोगी है पोर-पोर
कलाकार सूत्रधार तो शापित ऋषि है

हे नटी !
शापित का शाप
मेरा हर दाग़ ख़ूबसूरत कर गया
तुम अहल्या नहीं
वह गौतम नहीं
मैं नहीं चन्द्रमां
फिर भी यह झूठ
कितना सच्चा है।

सूत्रधार

मंच से बाहर
भागने विस्तार
अनंत सच
पात्रों में रच
उन्हीं से अनभिज्ञ
उनके दु:ख को
अनकहे सुख को
सूत्रधार से ज़्यादा
किसने भोगा है ?
नकली की हकीकत का दर्द
सूत्रधार से ज़्यादा
किसने जिया है?

नटी
इस मंच पर
सूत्रधार संग खड़ी नटी
स्वयं सिरजी अवज्ञा है

पारे की थरथराहट
आग की लपट
कामना की आंख
असीम अंधेरे की सुरंग
जिसका नहीं कोई आदि
नहीं कोई अंत

अनंत के यात्री !
कदम बढ़ाने से पहले
अपने 'मैं' की कूंजी
किसी को सौंपकर नहीं
सागर में फैंककर आना।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख