"ठुकरा दो या प्यार करो -सुभद्रा कुमारी चौहान": अवतरणों में अंतर
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फिर भी साहस कर मंदिर में पूजा करने चली आयी | फिर भी साहस कर मंदिर में पूजा करने चली आयी | ||
धूप-दीप-नैवेद्य नहीं है झांकी का | धूप-दीप-नैवेद्य नहीं है झांकी का शृंगार नहीं | ||
हाय! गले में पहनाने को फूलों का भी हार नहीं | हाय! गले में पहनाने को फूलों का भी हार नहीं | ||
13:19, 25 जून 2013 का अवतरण
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देव! तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैं |