"प्रवासी पक्षी/ कूँज -कुलदीप शर्मा": अवतरणों में अंतर
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पता नहीं क्या नाम रखा है | पता नहीं क्या नाम रखा है | ||
धौलाधार का इन्होंने | धौलाधार का इन्होंने | ||
जहां न बर्फ बची है न | जहां न बर्फ बची है न पेड़ | ||
पल भर रूक जाने का | पल भर रूक जाने का | ||
आग्रह भी नहीं करती | आग्रह भी नहीं करती | ||
अब | अब धौलाधार | ||
उठाओ अपने कुदाल फावड़े | उठाओ अपने कुदाल फावड़े | ||
पंक्ति 66: | पंक्ति 66: | ||
बैलों को टिटकारी दो पुचकारो | बैलों को टिटकारी दो पुचकारो | ||
बादलों को न्यौता देकर आए हैं | बादलों को न्यौता देकर आए हैं | ||
ये दूर | ये दूर देश के पक्षी़ | ||
अपने नन्हे बच्चों को | अपने नन्हे बच्चों को | ||
पंक्ति 78: | पंक्ति 78: | ||
चुप हो जाओ थोड़ी देर के लिए | |||
और सुनो झील के साथ इनका संवाद | और सुनो झील के साथ इनका संवाद | ||
ये साइबेरिया का कोई मधुर गीत | ये साइबेरिया का कोई मधुर गीत | ||
सुनाने वाले हैं | सुनाने वाले हैं | ||
सिसकती हुई सतलुज को़ | सिसकती हुई सतलुज को़ | ||
ये | ये जानते भी नहीं | ||
कितने | कितने देशों की सीमाएं | ||
लांघ आए हैं अनायास | लांघ आए हैं अनायास | ||
आपस में बतियाते | आपस में बतियाते | ||
आसमान में लिख आए हैं | आसमान में लिख आए हैं | ||
मेघदूत का | मेघदूत का संदेश | ||
युद्ध के खिलाफ अमन की | युद्ध के खिलाफ अमन की | ||
एक अमिट इबारत | एक अमिट इबारत |
09:54, 2 जनवरी 2012 का अवतरण
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