"बूढ़ा फौजी -कुलदीप शर्मा": अवतरणों में अंतर
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घोर बसंत समय में | घोर बसंत समय में | ||
जैसे पेड़ लड़ते हैं हवा स़े | जैसे पेड़ लड़ते हैं हवा स़े | ||
बीज लड़ता है | बीज लड़ता है मिट्टी स़े | ||
युद्ध से बचे हुए | युद्ध से बचे हुए | ||
पंक्ति 153: | पंक्ति 153: | ||
अमूमन वे सारे भले लोग | अमूमन वे सारे भले लोग | ||
तीज त्यौहारों पर करते हैं | तीज त्यौहारों पर करते हैं | ||
हैसियत से | हैसियत से थोड़ा ज्यादा खर्च | ||
और कुढ़ते है साल भऱ | और कुढ़ते है साल भऱ | ||
अपने हिस्से की खुषी | अपने हिस्से की खुषी | ||
पंक्ति 160: | पंक्ति 160: | ||
ऐसे लोगों के बीच | ऐसे लोगों के बीच | ||
बूढ़ा फौजी भूल गया है | |||
तर्क का स्वाद | तर्क का स्वाद | ||
बूढ़ा फौजी जब तैयार कर रहा होता है | बूढ़ा फौजी जब तैयार कर रहा होता है | ||
पंक्ति 167: | पंक्ति 167: | ||
सैर का रोज़ाना नियम निभाने! | सैर का रोज़ाना नियम निभाने! | ||
बूढ़े फौजी के लिए नहीं बचे हैं विकल्प | |||
डसका घर हो गया है खंदक में तब्दील | डसका घर हो गया है खंदक में तब्दील | ||
संगीत भी उसके कानों में | संगीत भी उसके कानों में | ||
पंक्ति 208: | पंक्ति 208: | ||
लोकतन्त्र की तरह | लोकतन्त्र की तरह | ||
जो हल्का सा स्वाद दे रही है | जो हल्का सा स्वाद दे रही है | ||
पुरानी स्मृतियों का | |||
अचार जिसे उसकी मॉं बनाना जानती थी | अचार जिसे उसकी मॉं बनाना जानती थी | ||
लोकतन्त्र जिसे नेहरू चलाना जानते थ़े | लोकतन्त्र जिसे नेहरू चलाना जानते थ़े | ||
पंक्ति 219: | पंक्ति 219: | ||
और हर लड़ाई उजाले में लड़ी जाती थी़ | और हर लड़ाई उजाले में लड़ी जाती थी़ | ||
बूढ़ा फौजी जो | बूढ़ा फौजी जो लड़ाई के अतिरिक्त | ||
कुछ नहीं जानता | कुछ नहीं जानता | ||
पास रखी बंदूक के बावजूद | पास रखी बंदूक के बावजूद |
09:58, 2 जनवरी 2012 का अवतरण
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