"बूढ़ा फौजी -कुलदीप शर्मा": अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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पंक्ति 37: | पंक्ति 37: | ||
ताकि सुरक्षित रहे उसके हिस्से की ज़मीन | ताकि सुरक्षित रहे उसके हिस्से की ज़मीन | ||
बूढ़ा फौजी फर्क नहीं कर पा रहा | बूढ़ा फौजी फर्क नहीं कर पा रहा | ||
देश और ज़मीन में | |||
पहचान पत्र पर छपे तीन शेर | पहचान पत्र पर छपे तीन शेर | ||
चुपके से उसके कान में | चुपके से उसके कान में | ||
पंक्ति 81: | पंक्ति 81: | ||
एक जरूरी और पवित्र दिनचर्या की तरह | एक जरूरी और पवित्र दिनचर्या की तरह | ||
फिर कीली पर टांग देता है | फिर कीली पर टांग देता है | ||
शिव जी के कलैण्डर की बगल में बूढ़ा फौजी | |||
यन्त्रवत रटता हुआ-‘कन्धे शस्त्र’ | यन्त्रवत रटता हुआ-‘कन्धे शस्त्र’ | ||
और उसके सामने से निःसंकोच | और उसके सामने से निःसंकोच | ||
पंक्ति 123: | पंक्ति 123: | ||
कारगिल के किस्से | कारगिल के किस्से | ||
सीमापार की कहानियां | सीमापार की कहानियां | ||
और शेष जीवन के लिए | और शेष जीवन के लिए पैन्शन | ||
वे आते ही मसरूफ हो गए हैं | वे आते ही मसरूफ हो गए हैं | ||
स्थानीय राजनीति में | स्थानीय राजनीति में | ||
पंक्ति 146: | पंक्ति 146: | ||
कोई अन्याय़ | कोई अन्याय़ | ||
इसी | इसी देश, इन्हीं लोगों से | ||
बदा है उसका भाग्य | बदा है उसका भाग्य | ||
देश और भाग्य में | |||
कुछ भी चुनना संभव नहीं है उसके लिए़ | कुछ भी चुनना संभव नहीं है उसके लिए़ | ||
पंक्ति 155: | पंक्ति 155: | ||
हैसियत से थोड़ा ज्यादा खर्च | हैसियत से थोड़ा ज्यादा खर्च | ||
और कुढ़ते है साल भऱ | और कुढ़ते है साल भऱ | ||
अपने हिस्से की | अपने हिस्से की खुशी | ||
तलाश लेते हैं | |||
दुखती रगों से हाथ बचाते हुए | दुखती रगों से हाथ बचाते हुए | ||
पंक्ति 181: | पंक्ति 181: | ||
जो हर लड़ाई हार कर | जो हर लड़ाई हार कर | ||
खुश रहना सीख गए हैं | |||
जिनके लिए | जिनके लिए खुशामद | ||
हर खतरे के खिलाफ एक अचूक उपाय है | हर खतरे के खिलाफ एक अचूक उपाय है | ||
जिनके लिए गाय ‘माता’ है | जिनके लिए गाय ‘माता’ है | ||
पंक्ति 201: | पंक्ति 201: | ||
इतनी कम संभावनाओं के बावजूद | इतनी कम संभावनाओं के बावजूद | ||
बाकायदा मुस्कुरा रहे हैं प्रधानमन्त्री | बाकायदा मुस्कुरा रहे हैं प्रधानमन्त्री | ||
बुलेटप्रूफ | बुलेटप्रूफ शीशे की ओट में | ||
फौजी के अधटूटे दांतों में | फौजी के अधटूटे दांतों में | ||
पंक्ति 225: | पंक्ति 225: | ||
उससे छीन ली गई है लड़ाई | उससे छीन ली गई है लड़ाई | ||
पहचान के सारे सुराग मिटाकर | पहचान के सारे सुराग मिटाकर | ||
आस-पास रख दिये हैं | आस-पास रख दिये हैं दुश्मन ही दुश्मन-- | ||
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13:45, 2 जनवरी 2012 का अवतरण
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