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[[चित्र:Ganesh-Temple-Barsur.jpg|thumb|250px|गणेश मंदिर, बरसुर]]
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'''बरसुर''' [[छत्तीसगढ़]] राज्य के [[दन्तेवाड़ा ज़िला|दन्तेवाड़ा ज़िले]] में स्थित है।
'''बरसुर''' अथवा 'बारासुर' [[छत्तीसगढ़|छत्तीसगढ़ राज्य]] के [[दन्तेवाड़ा ज़िला|दन्तेवाड़ा ज़िले]] में स्थित एक छोटा-सा शांत [[ग्राम]] है। यह माना जाता है कि प्राचीन समय में बरसुर में लगभग 147 मन्दिर और लगभग इतने ही तालाब थे। संरक्षण के अभाव में इनकी ख़ूबसूरती में कमी आई है, लेकिन यह आज भी पर्यटकों को बहुत आकर्षित करते हैं।
*मन्दिरों और तालाबों के लिए प्रसिद्ध बरसुर गीदम की उत्तरी दिशा में 24 किलोमीटर की दूरी पर [[इन्द्रावती नदी]] के किनारे पर स्थित है।  
 
*यह माना जाता है कि प्राचीन समय में बरसुर में लगभग 147 मन्दिर और लगभग इतने ही तालाब थे।  
*मन्दिरों और तालाबों के लिए प्रसिद्ध बरसुर गीदम की उत्तरी दिशा में 24 किलोमीटर की दूरी पर [[इन्द्रावती नदी]] के किनारे पर स्थित है।
*संरक्षण के अभाव में इनकी ख़ूबसूरती में कमी आई है, लेकिन यह आज भी पर्यटकों को बहुत आकर्षित करते हैं।  
*[[शताब्दी]] दर शताब्दी इस स्थान का महत्व कम होता गया और अब यहाँ उन मंदिरों के [[अवशेष]] मात्र रह गए हैं, जिनके लिए कभी यह स्थान प्रसिद्ध था।
*बरसुर में मामा-भांजा, चन्द्रादित्य, बत्तीसा और भगवान [[गणेश]] के मन्दिर आकर्षण का केंद्र है।  
*बरसुर मंदिरों और तालाबों का शहर है। सदियों पुराने मंदिर और उतने ही पुराने नदियाँ और झरने, जैसे [[हिमाचल प्रदेश|हिमाचल]] के [[मंडी हिमाचल प्रदेश|मंडी]] को मंदिरों कि बहुतायत की वजह से "छोटी काशी" कहा जाता है, [[छत्तीसगढ़]] में बरसुर को भी वही दर्ज़ा प्राप्त है।
*एक समय वह भी था, जब यहाँ 147 मंदिर और इतने ही तालाब हुआ करते थे। आज मंदिर टूट-फूट चुके हैं और तालाब सूख चुके हैं।
*कहने को तो बरसुर के निवासी आदिवासी हैं, लेकिन इनके भवन, मंदिर और [[जल]] सरंक्षण के तरीके देखकर ये समझ नहीं आता कि ये लोग पिछड़े हुए हैं या ऐसे ही इनको धक्का देकर जबरदस्ती मुख्यधारा में धकेला जा रहा है।
*[[इन्द्रावती नदी]] के साथ-साथ यह [[ग्राम]] बसा हुआ है। यहीं से नक्सलियों के गढ़ अबुझमाड़ के लिए रास्ता जाता है।
*बरसुर के बसअड्डे पर उतरते ही मंदिरों के दर्शन हो जाते हैं। यहाँ पांच प्रसिद्ध मंदिर हैं-
*मामा-भांजा मंदिर
*चंद्रादित्य मंदिर
*गणेश मंदिर
*बत्तीसा मंदिर


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==बाहरी कड़ियाँ==
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*[http://www.tarungoel.in/2014/04/01/barsur-temples-indravati-abhujmar/ मंदिरों और तालाबों का शहर, बारसुर]
==संबंधित लेख==
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11:36, 13 नवम्बर 2014 का अवतरण

गणेश मंदिर, बरसुर

बरसुर अथवा 'बारासुर' छत्तीसगढ़ राज्य के दन्तेवाड़ा ज़िले में स्थित एक छोटा-सा शांत ग्राम है। यह माना जाता है कि प्राचीन समय में बरसुर में लगभग 147 मन्दिर और लगभग इतने ही तालाब थे। संरक्षण के अभाव में इनकी ख़ूबसूरती में कमी आई है, लेकिन यह आज भी पर्यटकों को बहुत आकर्षित करते हैं।

  • मन्दिरों और तालाबों के लिए प्रसिद्ध बरसुर गीदम की उत्तरी दिशा में 24 किलोमीटर की दूरी पर इन्द्रावती नदी के किनारे पर स्थित है।
  • शताब्दी दर शताब्दी इस स्थान का महत्व कम होता गया और अब यहाँ उन मंदिरों के अवशेष मात्र रह गए हैं, जिनके लिए कभी यह स्थान प्रसिद्ध था।
  • बरसुर मंदिरों और तालाबों का शहर है। सदियों पुराने मंदिर और उतने ही पुराने नदियाँ और झरने, जैसे हिमाचल के मंडी को मंदिरों कि बहुतायत की वजह से "छोटी काशी" कहा जाता है, छत्तीसगढ़ में बरसुर को भी वही दर्ज़ा प्राप्त है।
  • एक समय वह भी था, जब यहाँ 147 मंदिर और इतने ही तालाब हुआ करते थे। आज मंदिर टूट-फूट चुके हैं और तालाब सूख चुके हैं।
  • कहने को तो बरसुर के निवासी आदिवासी हैं, लेकिन इनके भवन, मंदिर और जल सरंक्षण के तरीके देखकर ये समझ नहीं आता कि ये लोग पिछड़े हुए हैं या ऐसे ही इनको धक्का देकर जबरदस्ती मुख्यधारा में धकेला जा रहा है।
  • इन्द्रावती नदी के साथ-साथ यह ग्राम बसा हुआ है। यहीं से नक्सलियों के गढ़ अबुझमाड़ के लिए रास्ता जाता है।
  • बरसुर के बसअड्डे पर उतरते ही मंदिरों के दर्शन हो जाते हैं। यहाँ पांच प्रसिद्ध मंदिर हैं-
  • मामा-भांजा मंदिर
  • चंद्रादित्य मंदिर
  • गणेश मंदिर
  • बत्तीसा मंदिर


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