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छत्तीसगढ़ | '''लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर''' [[छत्तीसगढ़]] में स्थित एक प्राचीन मंदिर है जो [[रामायण]] कालीन समय का बताया जाता है। | ||
*यह मंदिर छत्तीसगढ़ के [[शिवरीनारायण मन्दिर]] से कुछ किलोमीटर दूर पर खरौद शहर में स्थित है। | |||
लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर एक पवित्र धार्मिक तीर्थ स्थल है | *खरौद नगर छत्तीसगढ़ के प्रमुख कला केंद्रों में से एक है और यह माना जाता है की इस स्थान पर मोक्ष की भी प्राप्ति होती है इसलिए इस स्थान को छत्तीसगढ़ का [[काशी]] भी कहा जाता है. | ||
*लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर एक पवित्र धार्मिक तीर्थ स्थल है और यह लखेश्वर [[शिवलिंग]] के नाम से भी प्रसिद्ध है, यह माना जाता है कि इस शिवलिंग में एक लाख लिंग विराजमान हैं। | |||
*इस मंदिर में [[सावन|सावन मास]] में श्रावणी पर्व मनाया जाता है इसके साथ ही [[शिवरात्रि]] के पावन पर्व में भगवान [[शिव]] जी की बारात झांकि स्वरूप निकाली जाती हैं जिसके दर्शनों हेतु दूर-दूर से भक्त यहाँ पर आते हैं। | |||
*मंदिर से प्राचीन [[शिलालेख]] भी प्राप्त हुए हैं जिनमें आठवी शताब्दी के शासकों का उल्लेख किया गया है इन शिलालेखों में अनेक मंदिर, मठ आदि के निर्माण के बारे में पता चलता है, जिसके अनुसार राजा खड्गदेव ने इस मंदिर के निर्माण में बहुत कार्य किए थे। | |||
मंदिर से प्राचीन शिलालेख भी प्राप्त हुए हैं जिनमें आठवी शताब्दी के शासकों का उल्लेख किया गया है इन शिलालेखों में अनेक मंदिर, मठ आदि के निर्माण के बारे में पता चलता है | *मंदिर में चित्रित कलाकृतियों रामायण से संबंधित चित्रों को उकेरा गया है जैसे [[बाली]] वध, [[राम]] और [[सुग्रीव]] मिलन, [[रावण]] तथा [[नटराज]] की कृति मंदिर के प्रवेश द्वार पर [[गंगा]] और [[यमुना]] जी की प्रतिमाएं स्थित हैं। | ||
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06:20, 15 जनवरी 2012 का अवतरण
लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर छत्तीसगढ़ में स्थित एक प्राचीन मंदिर है जो रामायण कालीन समय का बताया जाता है।
- यह मंदिर छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण मन्दिर से कुछ किलोमीटर दूर पर खरौद शहर में स्थित है।
- खरौद नगर छत्तीसगढ़ के प्रमुख कला केंद्रों में से एक है और यह माना जाता है की इस स्थान पर मोक्ष की भी प्राप्ति होती है इसलिए इस स्थान को छत्तीसगढ़ का काशी भी कहा जाता है.
- लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर एक पवित्र धार्मिक तीर्थ स्थल है और यह लखेश्वर शिवलिंग के नाम से भी प्रसिद्ध है, यह माना जाता है कि इस शिवलिंग में एक लाख लिंग विराजमान हैं।
- इस मंदिर में सावन मास में श्रावणी पर्व मनाया जाता है इसके साथ ही शिवरात्रि के पावन पर्व में भगवान शिव जी की बारात झांकि स्वरूप निकाली जाती हैं जिसके दर्शनों हेतु दूर-दूर से भक्त यहाँ पर आते हैं।
- मंदिर से प्राचीन शिलालेख भी प्राप्त हुए हैं जिनमें आठवी शताब्दी के शासकों का उल्लेख किया गया है इन शिलालेखों में अनेक मंदिर, मठ आदि के निर्माण के बारे में पता चलता है, जिसके अनुसार राजा खड्गदेव ने इस मंदिर के निर्माण में बहुत कार्य किए थे।
- मंदिर में चित्रित कलाकृतियों रामायण से संबंधित चित्रों को उकेरा गया है जैसे बाली वध, राम और सुग्रीव मिलन, रावण तथा नटराज की कृति मंदिर के प्रवेश द्वार पर गंगा और यमुना जी की प्रतिमाएं स्थित हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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